मशहूर शिक्षक और UPSC कोच अवध प्रताप ओझा उर्फ ओझा सर युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वह इतिहास और राजनीति विज्ञान को मनोरंजक तरीके से पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। वह इतिहास जैसे विषय को कहानियों के माध्यम से सरल और रोचक बना देते हैं। हालांकि, कई बार वह अपने लैक्चर में दिए गए कुछ बयानों के कारण विवादों में भी घिर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के गोंडा में जन्मे अवध प्रताप ओझा भले ही युवाओं को यूपीएससी की तैयारी के लिए प्रेरित कर रहे हों, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वह खुद यूपीएससी पास करना चाहते थे लेकिन अपने आखिरी प्रयास में भी यूपीएससी पास नहीं कर सके, तब उनकी मां ने कहा था- ‘ तुम्हारा खेल ख़त्म हो गया, अब तुम्हें मेरे सहारे जीवित रहना होगा।’ हालांकि ओझा सर स्वयं अम्बेडकरवादी हैं, इसलिए वे अम्बेडकर की सोच से बहुत प्रभावित थे और वे अच्छी तरह जानते थे कि ‘शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वो दहाड़ेगा।’ इसी जोश के साथ वह अपने लक्ष्य की ओर निकल पड़े और शिक्षा के समाज में अवध प्रताप ओझा से ‘ओझा सर’ बन गये। ओझा सर अब कई पॉडकास्ट में नजर आते हैं और अपने जोशीले भाषणों से युवाओं को प्रेरित करते हैं। हाल ही में ओझा सर के अंबेडकर पर दिए एक पुराने इंटरव्यू की एक क्लिप वायरल हो रही है जिसमें वह युवाओं से कह रहे हैं कि कभी भी अंबेकर से नफरत मत करना। आइए आपको बताते हैं उन्होंने ऐसा क्यों कहा?
और पढ़ें: बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के लिए खाना बनाती थीं ये दादी, जानिए क्या कहा
अंबेडकर के प्रशंसक हैं अवध ओझा
लल्लनटॉप को दिए अपने एक इंटरव्यू में अवध ओझा अंबेडकर के बारे में ऐसी बातें कहते हैं, जिसे सुन युवा जोश से भर जाते हैं और अवध ओझा के हर बयान पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देती है। ओझा का कहना है कि वह अंबेडकर से काफी प्रभावित हैं और हर इंटरव्यू में उनका नाम लेते हैं। ओझा के अनुसार, अंबेडकर को एक जाति के रूप में ब्रांड नहीं किया जा सकता क्योंकि अंबेडकर उन सभी उत्पीड़ित लोगों के लिए एक सहारा हैं जो जीवन में अपना स्थान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अंबेडकर से कभी नफरत मत करना
अवध ओझा आगे कहते हैं, ‘अंबेडकर से कभी नफरत मत करना। हां, आप अंबेडकर से प्रेम जरूर कर सकते हैं, लेकिन प्रेम जागृत भाव से होना चाहिए। ताकि आप उनसे कुछ सीख सकें। डॉ. अंबेडकर ने एक बार कहा था कि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो भी इसे पीएगा वह दहाड़ेगा।’ अवध ओझा आगे कहते हैं कि अंबेडकर की इस पंक्ति से आप समझ सकते हैं कि आज जो बच्चे आगे बढ़ रहे हैं, वह शराब या सिगरेट की वजह से नहीं, बल्कि वह शिक्षा के दम पर आगे बढ़ रहे हैं। इसीलिए हमारे देश में किताबों को इतना महत्व दिया जाता है और उन्हें माथे पर लगाया जाता है। क्योंकि इसमें सरस्वती का वास है। ओझा आगे कहते हैं कि आज अगर कोई इंसान शिक्षा को गले लगा लेता है तो समाज उसे राजा बना देता है। इसी तरह बाबा साहेब ने भी शिक्षा को अपनाया और दुनिया ने उन्हें एक राजा की तरह सम्मान दिया।
अगर हम बाबा साहेब की बात करें तो वे भले ही पिछड़े वर्ग से आते हों, भले ही उनके जीवन में जाति की वजह से उनकी पहचान छिपी रही हो, लेकिन जब उन्होंने शिक्षा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया तो उन्होंने जाति के सारे बंधन तोड़ दिए, जो समाज ने उन पर थोप रखे थे।
और पढ़ें: बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म पर लिखी गई ये पुस्तकें आपको अवश्य पढ़ना चाहिए