कौन है वो महिला जज, जिन्होंने राहुल गांधी के मानहानि मामले से खुद को किया दरकिनार…

Justice Gita Gopi
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गुजरात हाई कोर्ट की जज जस्टिस गीता गोपी (Justice Gita Gopi) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के मामले की सुनवाई से खुद को दरकिनार कर लिया. कांग्रेस के बहुचर्चित नेता राहुल गांधी ने आपराधिक अवमानना मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

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26 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट में जस्टिस गीता गोपी (Justice Gita Gopi) की कोर्ट में राहुल गांधी के मामले का ज़िक्र हुआ. उन्होंने थोड़ी देर मामला सुना. उसके बाद कहा- मेरे सामने नहीं और राहुल गांधी के वकील को सुझाव दिया कि वह इस मामले को हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के सामने दोबारा मेंशन करें ताकि किसी और बेंच को असाइन हो सके.

वहीँ राहुल गांधी की वकील चाम्पनेरी  ने कहा कि  अब वो  हाई कोर्ट  के एक्टिंग चीफ के सामने इस मामले को मेंशन करेंगी. ताकि मामला किसी और बेंच को असाइन हो सके.

कौन हैं Justice Gita Gopi?

जस्टिस गीता गोपी मूल रूप से  गुजरात की ही रहने वाली हैं. 24 मार्च 1966 को गुजरात के नवसारी में जन्मीं जस्टिस गीता गोपी कॉमर्स में ग्रेजुएट हैं. उन्होंने सूरत के मशहूर सर केपी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद नवसारी के दिनशॉ डब्बू लॉ कॉलेज (Dinshaw Daboo Law College) से कानून की डिग्री हासिल की है.

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गुजरात हाईकोर्ट की वेबसाइट पर दिए गए ब्यौरे के मुताबिक जस्टिस गोपी ने साल 1993 में नवसारी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की थी. उन्होंने एडवोकेट केपी देसाई के साथ वकालत की शुरुआत की थी. जस्टिस गोपी 24 नवंबर 2008 को डिस्ट्रिक्ट जज कैडर से जुडिशरी में आईं और तमाम क्रिमिनल और सिविल मैटर को हैंडल कर चुकी है. वह सीबीआई से लेकर पोटा कोर्ट में स्पेशल जज़ रही हैं. गोपी साल 2014 में गुजरात हाईकोर्ट की रजिस्ट्रार भी रही हैं.

लेक्चरर भी रहीं है 13 साल

जस्टिस गीता गोपी को 3 मार्च 2020 को गुजरात हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था. जस्टिस गोपी की पठन-पाठन में भी रुचि है. सूरत के जिस दिनशॉ डब्बू लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई की थी, वहां करीब 13 साल तक पार्ट टाइम लेक्चरर भी रही हैं.

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क्या है राहुल गांधी का मामला?

सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने दायर किया था. इसी सजा के बाद राहुल गांधी की सांसदी चली गई. राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत मामले दर्ज हैं.

राहुल गांधी ने इस सजा को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली. 20 अप्रैल को सत्र न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद कांग्रेस नेता ने हाई कोर्ट का रुख किया था.

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