विमान हादसे का पता लगाता है Black Box
जब भी कोई विमान हादसा (plane crash) होता है तो इस बात की जाँच की जाती है कि ये विमान हादसा कैसे हुआ और इस विमान हादसे की वजह क्या थी. वहीं इस हादसे में सबसे अहम रोल होता है ब्लैक बॉक्स (Black Box) का, दरअसल, विमान हादसे की जाँच में ब्लैक बॉक्स का सबसे अहम योगदान होता है और ज़्यादातर विमान हादसे के मामलों की जाँच इस ब्लैक बॉक्स से पूरी होती है. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि ये ब्लैक बॉक्स होता क्या है और कैसे ये काम करता है साथ ही इसकी मदद से कैसे हादसे का पता लगाया जाता है.
क्या है ब्लैक बॉक्स
जब 50 के दशक में विमान हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी तब एक्सपर्ट्स ने विमान में एक ऐसे उपकरण (plane equipment) को लगाने की बात कही जो विमान हादसे के कारणों की ठीक से जानकारी दे सके जिसके बाद साल 1953-54 में विमान एक अन्दर ब्लैक बॉक्स को रखा जाने लगा. शुरुआत में इसके लाल रंग के कारण ‘रेड एग’ (Red eg) के नाम से पुकारा जाता था और शुरूआती दिनों में बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था, जिसके बाद इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ गया. इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है और ये ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम (titanium) का बना होता है ताकि ऊंचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसको कम से कम नुकसान हो. यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है. ब्लैक बॉक्स प्लेन के जरूरी हिस्सों में से एक होता है. ये बॉक्स सभी प्लेन में रहता है चाहें वह पैसेंजर प्लेन (passenger plane) हो, कार्गो (cargo Plane) या फाइटर (fighter Plane) हो.
कैसे काम करता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स के अन्दर दो बॉक्स होते हैं. पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (flight data recorder) जो विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान सहित 88 तरह के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी रखता है. इस दोनों बक्सों का रंग काला नही बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके. दूसरा उपकरण होता है कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर. यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है. यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है, ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था.
दुर्घटना के बाद भी काम करता है ये बॉक्स
ये ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम करता रहता है. जब यह बॉक्स हादसे के बाद किसी जगह पर गिरता है तो हर सेकेंड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है. इस आवाज की उपस्थिति को खोजी दल (Research team) द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है. वहीं अगर ये ब्लैक बॉक्स समुद्र में गिर जाए तो ये 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेतक भेज सकता है. इसी वजह से विमान हादसे के बाद इस ब्लैक बॉक्स को खोजा जाता है
ब्लैक बॉक्स खोलता है दुर्घटना का राज
जब भी कोई विमान हादसे का शिकार होता है तो जांच एजेंसियां उस विमान के ब्लैक बॉक्स (Black Box) को ढूंढती है. कहा जाता है कि ये ब्लैक बॉक्स दुर्घटनाओं के सभी राज़ खोल देता है.इस बॉक्स से मिली जानकारी से ये पता लगाया जाता है कि विमान के हादसे का कारण क्या था.
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