जानिए मथुरा में क्यों मनाई जाती है लट्ठमार होली
इस साल देश में 8 नवम्बर को होली (Holi 2023) का त्यौहार मनाया जायेगा. वहीं होली की बात हो रही है तो इस मौके पर मथुरा (Mathura) की लट्ठमार होली (Lathmar Holi) का जिक्र जरुर होता है. उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में होली के मौके पर लट्ठमार होली खेली जाती है. लेकिन इस बात की जानकारी लोगों को नहीं है कि उत्तर प्रदेश का मथुरा में लट्ठमार होली कब से शुरू हुई और क्यों यहाँ पर लट्ठमार होली खेलते हैं.
कैसे शुरू हुई ये परंपरा
उत्तर प्रदेश के मथुरा अंचल में लट्ठमार होली की अनूठी परंपरा द्वापर युग से शुरू हुई थी. पौरणिक कथा के अनुसार, होली के मौके पर भगवान कृष्ण राधा के जन्म स्थान बरसाना होली खेलने जाते थे. माना जाता है कि कृष्ण अपने सखाओं के साथ इसी प्रकार कमर में फेंटा लगाए राधारानी तथा उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे तथा उनके साथ हंसी-ठिठोली करते थे जिस पर राधारानी तथा उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। ऐसे में लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाल ढ़ालों का प्रयोग किया करते थे जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गया और तभी से यहां पर लट्ठमार होली खेलने की परंपरा बन गयी.
प्रेम का प्रतीक है लट्ठमार होली
वहीं इसके बाद से ही होली के मौके पर इस दिन महिलाएं पुरुषों के ऊपर लाठी बरसाती है और खुशी से इस रस्म को निभाती है. इस लट्ठमार होली को राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ये पर्व दुनियाभर में मशहूर है और इस लट्ठमार होली को देखने के लिए देश-विदेश से लोग मथुरा,बरसाना पहुंचते हैं.
अब ऐसे मनाई जाती है मथुरा में लट्ठमार होली
वहीं श्री कृष्ण के समय से शुरू हुई ये परंपरा के अनुसार, बरसाना में नाचते झूमते लोग गांव में पहुंचते हैं तो औरतें हाथ में ली हुई लाठियों से उन्हें पीटना शुरू कर देती हैं और पुरुष खुद को बचाते भागते हैं। लेकिन खास बात यह है कि यह सब मारना पीटना हंसी खुशी के वातावरण होता है।