विसरा रिपोर्ट क्या है ? किसी शख्स की मौत के कई सारे कारण हो सकते हैं लेकिन जब किसी शख्स की अचानक मौत हो जाती है. वहीं अचानक हुई इस मौत पर शक पैदा हो जाए और पोस्टमार्टम करने के बाद भी मौत का कारण न पता चले तो इस दौरान विसरा की जांच सबसे अहम रोल अदा करती है. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि विसरा की जांच क्या है और कब होती है.
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विसरा रिपोर्ट क्या है
एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी शख्स की मौत अचानक होने के बाद उसकी मौत का कारण पता लगाने के लिए मृतक के शरीर के कुछ आंतरिक अंगों को सुरक्षित रखा जाने को विसरा कहते हैं यानि कि मानव शरीर के अंदरुनी अंगों फेफड़ा, किडनी, आंत को विसरा कहा जाता है. विसरा की जाँच तब होती है जब किसी व्यक्ति का शव देखने पर उसकी मृत्यु संदिग्ध लगे या उसे जहर देने की आशंका जताई जा रही हो इस दौरान उस व्यक्ति का विसरा सुरक्षित रख लिया जाता है और बाद में जांच के बाद स्थिति का पता लगाया जाता है. वहीं इस बिसरा का रासायनिक परीक्षण करने के बाद मौत की वजह का पता चल जाता है और इस विसरा सैम्पल की जांच फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री में होती है.
किन मामलों में होती है विसरा की जांच
डेड बॉडी देखने के बाद विसरा की जांच तब होती है जब डेड बॉडी नीली पड़ी हुई हो, जीभ, आंख, नाखून आदि नीला पड़ा हुआ हो या मुंह से झाग आदि निकलने के निशान हों तो जहर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में पोस्टमॉर्टम के बाद डेड बॉडी से विसरा प्रिजर्व किया जाता है.
वहीं अगर विसरा प्रिजर्व करने की जरुरत है तो हॉस्पिटल के टॉक्सिकोलॉजिकल डिपार्टमेंट द्वारा विसरा प्रिजर्व किया जाता है और फिर उसे जांच के लिए लैब भेजा जाता है. और इस विसरा की रिपोर्ट तैयार करने में तीन हफ्ते का वक्त लगता है. वहीं इस विसरा रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि मौत जहर से हुई है या नहीं. सीआरपीसी की धारा-293 के तहत एक्सपर्ट व्यू एडमिशिबल एविडेंस होता है यानी विसरा रिपोर्ट एक्सपर्ट व्यू होती है और यह मान्य साक्ष्य है.
कौन सा और कितना अंग रखा जाता है सुरक्षित
वहीं इस विसरा के लिए मृतक के शरीर से 100 ग्राम खून, 100 ग्राम पेशाब, 500 ग्राम लीवर सुरक्षित रखा जाता है. इसे सेचूरेटेड सॅाल्ट सोल्यूशन में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे बाद में जांच करने पर सही रिपोर्ट पता किया जा सके और किसी और अन्य जहर के लक्षण न आएं.” वहीं इस बिसरा को तीन शीशे के जारों में सुरक्षित रखा जाता है, एक में जितने भी पाचन तंत्र हैं उन्हें रखते हैं, दूसरे में ब्रेन, किडनी, लीवर और तीसरे में ब्लड को रखा जाता है.
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