इस बात से हम सभी वाकिफ हैं की मुगलों ने हिन्दुस्तान पर करीब सैकड़ों सालों तक राज किया. जिनके शासनकाल, रहन -सहन के बारे में आज हमे कक्षा 6 से 12वीं तक की किताबों में पढाया जाता है. मुगल शासन काल के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं. इतिहास को पसंद करने वाले मुगल काल की हर बात जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं. और इसी के चलते वो हमेशा अपने साथ पुरानी किताबों का कलेक्शन रखते हैं. ऐसी कई सारी किताबें हैं जिनमे आपको मुग़लों के बारे में अनसुनी बातें भी मिलेगी. जिनके बारे में आजतक आपने सुना तक नहीं होगा. आज हम आपको मुगलों के स्वादिष्ट खाने के बारे में बताने जा रहे हैं. और वो भी इसलिए कि क्या आखिर इनका खाना भी अलग अलग तरीके से किसी खास उद्देश्य के लिहाज से बनाया जाता था ? जैसे कामोत्तेजना बढ़ाने या फिर किसी बीमारी से ग्रसित होने के बाद किसी खास तरह का पकवान या फिर सिर्फ ऐसे ही शाही अंदाज़ में खाने के लिए बनवाते थे?
किन्नर परोसते थे खाना
सलमा युसूफ हुसैन की एक किताब है- ‘द मुगल फीस्ट: रेसिपीज फ्रॉम द किचन ऑफ एम्परर शाहजहां’. इसमें उन्होंने बताया है कि मुगल बादशाह आमतौर पर अपनी रानियों और हरम(Haram) में रहने वाली स्त्रियों के साथ भोजन किया करते थे. वहीं उत्सव के अवसरों को छोड़कर वह रईसों और खास दरबारियों के साथ भोजन करते थे. उन्हें भोजन आमतौर पर किन्नर पररोसते थे.
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भोजन में कहीं जहर मिलाकर न दे दिया जाए, इसके प्रति खूब सावधानी बरती जाती थी. शाहजहां के पास ऐसी प्लेट थी, जिसमें जहरीला खाना डालते ही या तो उसका रंग(Colour) बदल जाता था या फिर वह टूट जाता था. जहरीले खाने की पहचान करनेवाली यह तश्तरी बेहद खास थी, जो आज भी आगरा के ताज म्यूजियम में रखी हुई है.
रोज तय होता था शाही व्यंजन
उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि मुगलों(Mughals) के शाही व्यंजन रोज तय होते थे. इसका पूरा जिम्मा हकीम(Hakeem ) पर होता था. हकीम शाही भोजन में ऐसी चीजों और औषधियों को शामिल करते थे, जिससे मुगल शासक स्वस्थ रहे और ताकतवर रहे. मुगलों का खाना मौसम और बादशाह के स्वास्थ्य(Health) के हिसाब से तय होता था.
कामोत्तेजना बढाने के लिए करते थे ये खास इन्तजाम
चावल(Rice) के दानों पर चांदी के वर्क किए जाते थे. इसके बारे में कहा गया है कि चांदी की वजह से खाना पचने में आसानी होती थी. इसके साथ ही यह कामोत्तेजना(sexual arousal) को भी बढ़ाता था. शाही खाना(Royal Dish) गंगा नदी और बारिश के छने हुए पानी में तैयार किया जाता था.
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शाहजहाँ की फेवरेट डिश- छोला
शाहजहां खानपान के बड़े शौकीन थे. हालांकि इस मुगल बादशाह ने अपने जीवन के आखिरी कुछ साल बहुत तकलीफों में बिताए. गद्दी की खातिर बेटे औरंगजेब (Aurangzeb)ने उन्हें आगरा के किले में कैद करवा दिया था. पूरे आठ साल तक वो कैदखाने में रहे. 1666 में शाहजहां की मृत्यु हो गई. कहा जाता है कि औरंगजेब ने ऐसा आदेश दिया था कि उनके पिता शाहजहां (Shahjahan)को कैदखाने में उनकी पसंद की केवल एक ही डिश दी जाए. ऐसे में शाहजहां ने छोले(Chole) को चुना था.
छोले के चुनने के पीछे भी खास वजह थी. कहा जाता है कि शाहजहां ने छोले को इसलिए चुना था क्योंकि उसे अलग-अलग कई तरीकों से पकाया जा सकता है. इससे एक ही डिश में उन्हें कई तरह के स्वाद मिल जाते थे. उत्तर भारत(North-India) में तो शाहजहां के नाम से एक खास छोला व्यंजन भी फेमस है- शाहजहानी दाल. मलाई से भरपूर ग्रेवी तैयार कर छोले डालकर पकाने पर यह तैयार होता है.