पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं कि उनकी हत्या की जा सकती है, उनको मारने की साजिश बन रही है. इसी बीच वो बार बार मुर्तजा भुट्टो का नाम ले रहे हैं की मझे उन्ही की तरह प्लान करके मार दिया जाएगा अब उन्होंने इस बात को फिर से कहा है. उन्होंने कहा कि आज या कल मुझे मार दिया जाएगा. इमरान ने कहा कि अब एक और प्लान बना है. आईजी पंजाब और आईजी इस्लामाबाद और पीछे इनके हैंडलर्स ने प्लान बनाया है. जमान पार्क (इमरान का आवास) के बाहर ऑपरेशन का प्लान है. 2 स्क्वॉड बनाई हैं. ये हमारे यहां आ जाएंगे और फिर 2-4 पुलिसवालों को मारेंगे.
इमरान कहते हैं कि इसके बाद वहां से अटैक होगा. हमारे लोगों को मारा जाएगा. उसके बाद वो मेरे पास आएंगे और मुर्तजा भुट्टो की तरह मेरी हत्या कर दी जाएगी. यहां हम आपको बताएंगे कि कौन है मुर्तजा भुट्टो और कैस उनकी हत्या की गई. मुर्तज़ा भुट्टो की कहानी शुरू होती है 4 अप्रैल, 1979 से जब सारी दुनिया को धता बताते हुए पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह जनरल ज़िया उल हक़ ने वहाँ के पहले निर्वाचित नेता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को फाँसी पर चढ़वा दिया.
लंदन में बिताई जिंदगी
भुट्टो की बेटी बेनज़ीर ने पाकिस्तान में ही रह कर ज़िया के ख़िलाफ़ संघर्ष, करने का फ़ैसला किया. लेकिन उनके दोनों बेटों शहनवाज़ और मुर्तज़ा ने पाकिस्तान के बाहर जा कर अपने पिता को बचाने की मुहिम चलाई. लेकिन ज़िया पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. भुट्टो को जब फाँसी दी गई तो मुर्तज़ा और शाहनवाज़ भुट्टो लंदन के एक फ़्लैट में रह रहे थे.
ALSO READ: भारत में किस हाल में जी रहा है आज का दलित समाज?
ख़बर मिलते ही वो बाहर आए और दुनिया भर के मीडिया के सामने बोले, “उन्होंने दो सालों तक उन्हें यातनाएं दीं. उनका राजनीतिक नाम बरबाद करने की कोशिश की और अब उन्होंने उन्हें मार डाला है. हमें किसी भी चीज़ पर शर्म करने की ज़रूरत नहीं है.
इंदिरा गांधी से मुलाकात
भुट्टो की मौत के बाद उसका बदला लेने के ले भुट्टो के दोनों बेटों ने हथियार उठा लिए और अल-ज़ुल्फ़िकार की स्थापना की. पहले दोनों अफ़गानिस्तान और सीरिया में साथ साथ रहे लेकिन बाद में शाहनवाज़ फ़्रांस में अपनी पत्नी के साथ रहने लगे.इस बीच दोनों भाई गुप्त रूप से भारत आए और उन्होंने इंदिरा गाँधी से मुलाकात की.
मशहूर पत्रकार श्याम भाटिया अपनी किताब ‘गुडबाई शहज़ादी’ में लिखते हैं, “इंदिरा गांधी ने विपक्ष में रहते हुए अपने दिल्ली निवास में दो बार मुर्तज़ा और शहनवाज़ भुट्टो से मुलाकात की थी. भारतीय सूत्रों का कहना है कि भुट्टो भाइयों ने आर्थिक मदद की माँग की थी और इंदिरा गाँधी की वजह से उन्हें ये मदद मिली भी थी.”
क्या हुआ था मुर्तजा भुट्टो के साथ
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के भाई मुर्तजा 1996 में कराची में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे. उस समय बेनजीर सत्ता में थीं. 11 साल बाद 2007 में रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान हुए आतंकी हमले में उनकी भी मौत हो गई थी. सैन्य प्रतिष्ठान के तत्वों को उनकी हत्याओं के लिए दोषी ठहराया जाता है.
1977 में जनरल जिया-उल-हक ने तख्तापलट कर उनके पिता यानी जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से हटाया था और बाद में 1979 में उन्हें फांसी पर लटका दिया था. इसी के बाद मुर्तजा ने अल-जुल्फिकार की स्थापना की.
1981 में उन्होंने पॉलिटिशियन चौधरी जहूर इलाही की हत्या और कराची से पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के प्लेन को हाईजैक करने की जिम्मेदारी ली. इस दौरान एक बंधक मारा गया था. अफगानिस्तान में रहने के दौरान मुर्तजा को मौत की सजा सुनाई गई.
ALSO READ: जानिए क्या है POK का इतिहास, कितना बड़ा है यह क्षेत्र और क्या है यहाँ के लोगों की स्थिति.
वो 1993 में पाकिस्तान वापस लौटे और उनकी बहन और तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के आदेश पर उन्हें आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया. वो बाद में जमानत पर बाहर आए और चुनाव भी जीता. वो बेनजीर और उनके पति आसिफ अली जरदारी के कट्टर आलोचक थे.
दोनों के बीच तनाव बढ़ने पर 6 साथियों के साथ पुलिस एनकाउंटर में मुर्तजा को कराची में उनके घर के पास मार दिया गया. इसके एक महीने बाद राष्ट्रपति ने बेनजीर की सरकार को बर्खास्त कर दिया. सरकार पर मुर्तजा की मौत और भ्रष्टाचार का आरोप लगा. जरदारी को गिरफ्तार किया गया और मुर्तजा की हत्या के लिए अभियोग लगाया गया, लेकिन 2008 में वो बरी हो गए.
पुलिस पर मारने का आरोप
मुर्तज़ा भुट्टो के समर्थकों ने आरोप लगाया कि मुर्तज़ा को कराची की पुलिस ने योजना बना कर मारा था. पुलिस ने पहले सड़क की बत्तियाँ बुझा दीं और फिर मुर्तज़ा के काफ़िले पर गोलियाँ चलाईं. पुलिस ने इसका खंडन किया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शुएब सडल ने कहा, “पुलिस भुट्टो के साथ आ रहे बंदूकधारियों को रोकने की कोशिश कर रही थी. जैसे ही उन्हें रुकने का इशारा किया गया, उन्होंने पुलिस पर गोली चला दी और पुलिस को आत्मरक्षा में गोली का जवाब देना पड़ा.”
मौत के पीछे छिपे कई सवाल
मुर्तज़ा की मौत कई सवाल खड़े कर गई जिनका जवाब आज तक नहीं दिया जा सका है. 5 दिसंबर, 2013 को इस हत्याकांड से जुड़े कई व्यक्तियों को बरी कर दिया गया, लेकिन मुर्तज़ा की बेटी फ़ातिमा इसके पीछे सत्ता से जुड़े कुछ लोगों को दोषी मानती हैं. उनका कहना है, “ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को 1979 में मारा गया लेकिन उन्हें कभी न्याय नहीं मिला. शाहनवाज़ 1985 में मारे गए लेकिन कभी भी किसी को उनकी मौत का ज़िम्मेदार नहीं ठहराया गया.”
“मेरे पिता मुर्तज़ा 1996 में मारे गए और 2009 में पाकिस्तान की एक अदालत ने ये कहा कि उन्हें किसी ने नहीं मारा. 2007 में बेनज़ीर रावलपिंडी में एक रैली में मारी गईं और इस पर कोई पुलिस रिपोर्ट भी नहीं की गई.”