Rajinikanth Comment on Periyar in Hindi – तमिल सुपरस्टार रजनीकांत ईवी रमासामी पेरियार को लेकर दिए गए अपने एक बयान के कारण विवादों में थे. यहां तक कि उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी. वहीं उन्होंने अपने बयान पर खेद नहीं जताया है और माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया. द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टाेलिन ने भी रजनीकांत को ऐसे बयान देने से एहतियात बरतने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि , ‘मेरे मित्र रजनीकांत नेता नहीं हैं, वे अभिनेता हैं. मैं उनसे आग्रह करता हूं कि पेरियार जैसी शख्सियत के बारे में बोलने से पहले वे पहले सोच लें तब बोलें.’
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जिसके बाद रजनीकांत (Rajinikanth Comment on Periyar in Hindi) ने ये जवाब दिया था कि, ‘मैंने जो कहा उसके लिए माफी नहीं मांग सकता. उस वक्त इसे लेकर मीडिया में भी खबरें प्रकाशित हुई थीं और मैं उसे दिखा सकता हूं. मैं माफी नहीं मांगूंगा.’ रजनीकांत के खिलाफ शिकायत में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई. उल्लेखनीय है कि पेरियार को द्रविड़ आंदोलन का जनक कहा जाता है. रजनीकांत ने कहा था कि पेरियार देवताओं के कट्टर आलोचक थे.’
रजनीकांत ने पेरियार पर क्या कहा था?
दरअसल रजनीकांत ने अपने एक भाषण में ईवी रामास्वामी पेरियार को लेकर एक बात कही थी, उन्होंने कहा था कि, “तमिलनाडु के सेलम में एक रैली के दौरान पेरियार ने श्री रामचंद्र और सीता की निर्वस्त्र मूर्तियों का जूतों की माला के साथ जुलूस निकाला था. किसी ने ये ख़बर नहीं छापी थी लेकिन चो रामस्वामी (तुग़लक़ पत्रिका के संस्थापक और पूर्व संपादक) ने इसकी कड़ी आलोचना की थी और पत्रिका के कवर पेज पर इसे प्रकाशित किया था.”
“इससे डीएमके का बहुत नाम ख़राब हुआ था. इसलिए उन्होंने पत्रिका की कई कॉपियों को ही ज़ब्त कर लिया. लेकिन, तुग़लक़ में उस संस्करण को फिर से छापा गया था. ये पत्रिका ब्लैक में भी बिकी थी. पत्रिका के नए संस्करण में चो रामस्वामी ने कवर पेज पर लिखा था, ‘इस तरह करुणानिधी ने तुग़लक़ को लोकप्रिय बना दिया.’ इसके साथ ही चो पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए थे.”
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रजनीकांत का ये भाषण वायरल होने के बाद उनका विरोध होना शुरू हो गया. द्रविड़ कडगम और अन्य पेरियारवादी संगठनों ने इस बयान का विरोध करते हुए रजनीकांत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए. एक संगठन तंताई द्रविड़ कडगम ने रजनीकांत पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए उनके ख़िलाफ़ शिकायत तक दर्ज करा दी. कई राजनेता उनसे माफ़ी की मांग करने लगे.
‘मैं खुद था उस रैली का हिस्सा’
उस रैली में शामिल द्रविड़ कडगम के महासचिव काली पूंगुंद्रन ने कहा, “रजनीकांत उस घटना के तथ्यों को घुमाने की कोशिश कर रहे हैं. 24 जनवरी, 1971 को वो रैली अंधविश्वास के ख़िलाफ़ हुई थी. उस समय के मशहूर भारतीय आविष्कारक जीडी नायडू ने उस कार्यक्रम का उद्घाटन किया था.” “रैली के दौरान पेरियार एक ट्रक पर सवार थे.
इस दौरान, जनसंघ के सदस्यों को रैली में काले झंडे दिखाने की इजाज़त मिल गई. जब पेरियार की गाड़ी गुज़री, तो जनसंघ के एक सदस्य ने उन पर चप्पल फेंकी लेकिन वो उन्हें लगी नहीं. ये चप्पल पीछे से पेरियार की गाड़ी पर लगी. इससे द्रविड़ कडगम के सदस्य ग़ुस्से में आ गए और वो एक ट्रक पर लगी भगवान राम की एक तस्वीर पर मारने लगे.”
विवाद पर किसने क्या कहा था ?
तमिलनाडु में पेरियारवादी संस्थान द्रविड़ इयक्का तमिल पेरावई (Rajinikanth Comment on Periyar) के संस्थापक सुबा वीरापंडी ने कहा, “1971 में चो रामस्वामी द्वारा फैलाए गए प्रचार में कई लोग फंस गए थे. उस वक़्त डीएमके के ख़िलाफ़ कई विरोध प्रदर्शन हुए थे. लोगों ने पेरियार के पुतले और तस्वीरें जलाईं. तब जाकर पेरियार ने इस शीर्षक ‘कॉमरेड शांत रहो’ के साथ एक निबंध लिखा था.”
“इसमें उन्होंने लिखा था कि ‘ये विरोध प्रदर्शन न तो राम के पक्ष में हैं और न ही विरोध में. ये बस इसलिए हो रहे हैं ताकि डीएमके अगले विधानसभा चुनाव में जीत न पाए. अगर वो मुझे जला भी दें, तो भी चिंता मत करो. ये चालें हमारे लिए नई नहीं हैं. पेरियार तमिलों और द्रविड़ विचारधारा के लिए इस अपमान को भी सहने के लिए तैयार थे. चो या रजनीकांत इसे कभी नहीं समझ पाएंगे.”
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विदुथलाई चुरुथइगल कात्ची पार्टी से सांसद थोल तिरुमावलावन कहते हैं, “रजनीकांत को पेरियार पर की गई इस टिप्पणी के लिए सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी चाहिए. संघ परिवार के एजेंडे के लिए रजनीकांत को बलि का बकरा नहीं बनना चाहिए.”
वहीँ तमिलनाडु के मत्स्य पालन मंत्री जयकुमार ने कहा था कि, “रजनीकांत लोगों को एक काल्पनिक घटना के ज़रिए भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. वो 50 साल पहले हुई घटना के बारे में बात क्यों कर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस में ये छपा था कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी. यहां तक कि कोर्ट में भी चो रामास्वामी ने कहा था कि उन्होंने लोगों से मिली जानकारी के आधार पर उस घटना के बारे में लिखा था और वो इसके अलावा कुछ नहीं जानते हैं.”
रजनीकांत ने नहीं मांगी थी माफी
दूसरी ओर रजनीकांत ने अपने बयान से पीछे हटने और माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया था. विरोध शुरू होने से पहले, रजनीकांत ने प्रेसवार्ता बुलाई और पेरियार पर अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “कई लोग कहते हैं कि मैंने जिस घटना के बारे में बात की थी वह हुई ही नहीं. मेरे पास आउटलुक है, जो द हिंदू ग्रुप की पत्रिका है.
Rajinikanth Comment on Periyar – 2017 में आउटलुक के एक लेख में इस घटना के बारे में ज़िक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि राम और सीता की डॉल्स को चप्पलों से पीटा गया और माला पहनाई गई. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा जो हुआ ही नहीं. ये कोई कल्पना नहीं है. मैं उस चीज़ के बारे में बात कर रहा हूं जिस पर पहले भी बोला गया है और वो मीडिया में छप चुका है. इसलिए, मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहूंगा कि मैं अपनी टिप्पणी के लिए माफ़ी नहीं मांगूंगा.”
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