24 दिसंबर 1999 ये वो दिन था जिसके 6 दिन बाद नया साल आने वाले था. जहाँ लोग नए साल का स्वागत करने की तैयारी में जुटे हुए थे तो वहीं इस दिन भारत सरकर की सांसे उस समय थम गयी तब इंडियन एयरलाइंस (Indian Airlines) के एक प्लेन को हाईजैक (kandahar hijack) करने की खबर आई और इस घटना को नाम पड़ा कंधार हाइजैक.
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नेपाल में हुआ प्लेन हाइजैक
कंधार हाइजैक (kandahar hijack) वो घटना थी जब 24 दिसंबर 1999 को आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के एक विमान आईसी-814 जो नेपाल (Nepal) से भारत (India) आ रहा था उसे हाईजैक कर लिया और इस प्लेन में सफ़र कर रहे 190 लोगों को 7 दिनों तक बंधक बनाए रखा. आतंकियों की डिमांड थी कि इन 190 लोगों की जान के बदले भारत उन आतंकियों को अफगानिस्तान (Afghanistan) भेजे जो भारत की जेल में बंद हैं आतंकियों ने 190 बंधकों की रिहाई के लिए भारत सरकार (India goverment) से जेलों में बंद 35 उग्रवादियों की रिहाई मांगी साथ ही 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी मांग करी.
हाइजैक प्लेन ने करी 5 देशों की यात्रा
आतंकी सबसे पहले इंडियन एयरलाइंस की इस फ्लाइट को काठमांडू (kathmandu) से अमृतसर (Amritsar) लाए और फिर वहां से लाहौर (Lahore) के बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) में कंधार (Kandahar) ले गए. इसी बीच इस प्लेन को दुबई (Dubai) भी ले जाया गया. आतंकियों ने 27 बंधकों को छोड़ा. इनमें से एक रूपिन कात्याल (Rupin Katyal) भी थे, जिसकी आतंकियों ने हत्या कर दी थी.
विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ हंगामा
जहाँ कंधार एयरपोर्ट (Kandahar Airport) पर प्लेन के बाकि यात्री अभी भी बंधक बने हुए थे तो वहीं सभी लोगों की निगाहे भारत सरकार पर टिकी हुई थी कि भारत सरकार क्या फैसला लेती है. जहां देश-विदेश की मीडिया इस घटना की पल-पल की जानकारी दे रही थी तो वहीं इस घटना के बीच 28 दिसंबर 1999 को तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अचानक कंधार हाईजैक में बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदार घुस आ और ये सभी लोग अचानक चिल्लाने लगे कि ‘जब मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के लिए आतंकवादियों को छोड़ा जा सकता है, तो हमारे अपनों के लिए क्यों नहीं? जिसे भी छोड़ना पड़े, छोड़ो, हमें फर्क नहीं पड़ता.’
तीन आतंकियों को किया गया रिहा
जहाँ आतंकियों ने 190 बंधकों की रिहाई के लिए भारत सरकार से 35 उग्रवादियों की रिहाई साथ साथ ही 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी मांग करी. तो वहीं इसके बाद ये आतंकी केवल तीन कैदियों मौलाना मसूद अजहर, उमर शेख, अहमद जरगर को रिहा करने पर ही तैयार हो गए थे और भारत सरकार की कोशिशों के बाद अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर सभी बंधकों को रिहा कर दिया गया.
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