देशभर में 6 अप्रैल गुरुवार को हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav) का पर्व मनाया जा रहा है. ये पर्व हिंदूओं के लिए बहुत ही खास है और इस दिन को लोग हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के रूप में भी मानते हैं. लेकिन इस दिन को हनुमान जयंती के रुप में नहीं मनाया जाना चाहिए और इसके पीछे एक बड़ी वजह हैं. इसलिए हनुमान जयंती और हनुमान जन्मोत्सव एक बहुत बड़ा फर्क है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि इन दोनों त्योहारों में क्या अंतर है.
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जानिए क्या है जयंती और जन्मोत्सव में अंतर
जानकारी के अनुसार, जयंती का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो अब इस दुनिया में नहीं है यानि कि जीवित नही है और किसी खास तारिख को उसका जन्मदिन आता है लेकिन हनुमान (hanuman) को धरती की रक्षा के लिए अमर होने का वरदान मिला हुआ है और इसके बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया और इसी स्थान में कलयुग में धर्म के रक्षक के रूप में हनुमान जी निवास करते हैं. इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को जयंती के बजाय जन्मोत्सव कहा जाता है.
देवी-देवताओं के लिए जन्मोत्सव का होता है इस्तेमाल
वहीं शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवता ने अमृत पिया था और वो भी अमर थे. जिसकी वजह से देवी-देवताओं के लिए भी जयंती का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. वहीं महात्मा गांधी जयंती (Mahatma Gandhi Jayanti), रविन्द्रनाथ टैगोर जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti), महावीर जयंती ( Mahavir Jayanti) अगर कोई व्यक्ति अब जीवित नहीं है तो उसके जन्मदिन के दिन जयंती मनाई जाती है क्योंकि वो अब इस संसार में जीवित नहीं है.
अष्ट चिरंजीवियों में एक है बजरंग बली
वहीं ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि ये सभी लोग अमर हैं और जब तक संसार रहेगा माना जाता है कि जब तक ये संसार रहेगा, तब तक ये लोग भी जीवित रहेंगे.