इस साल की होगी 24 एकादशी
वैसे तो एकादशी व्रत कैलेंडर (ekadashi fasting calendar) के अनुसार हर साल कुल 24 एकादशी (24 Ekadashi) पड़नी चाहिए लेकिन इस बार 2023 में ये संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाएगी क्योंकि हिन्दू कैलेंडर (Hindu calender) के अनुसार इस साल एक माह अतिरिक्त होता है और हर माह में दो एकादशी होती है।
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इस साल की एकादशी
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, साल 2023 हिन्दू धर्म के लिए बहुत खास है क्योंकि इस साल की शुरुआत रविवार से हुई है और इस वजह से सूर्य इस साल ज्यादा सक्रिय रहेगा। वहीं बाकि सारे खास त्योहारों के साथ एकादशी का पर्व हर साल मनाया जाता है, कैलेंडर के अनुसार हर 3 साल में एक बार एक माह ज्यादा होता है जो ‘अधिक मास’ से जाना जाता है। इसी वजह के चलते इस साल 24 के बजाय 26 एकादशियां पड़ रही है.हर महीने में 2 बार, पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में।
भगवान विष्णु से जुड़ी है एकादशी
हिन्दू देवता भगवान विष्णु से जुड़े इस व्रत को रखने के साथ विधि पूर्वक पूजा करने से सभी पापों, समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है,साल 2023 की पहली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी 2 जनवरी को पड़ी थी। माना जाता है कि इस दिन विधिवत पूजा करने से श्री हरि विष्णु वंश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। साल 2023 की बात करें तो पूरी 26 एकादशी पड़ रही है। आज हम आपको ये बताएंगे के इस साल 2023 में कब और कितनी एकादशी पड़ रही है।
साल 2023 में पड़ने वाली एकादशियों के नाम
इस साल कुल 26 एकादशियां पड़ेंगी जिसमें साल की पहली एकादशी पुत्रदा एकादशी थी उसके बाद बची एकादशियों के नाम और तारीख के साथ उल्लेखित हैं
18 जनवरी 2023 -षटतिला एकादशी
1 फरवरी 2023- जया एकादशी
16 फरवरी 2023- विजया एकादशी
3 मार्च 2023- आमलकी एकादशी
18 मार्च 2023- पापमोचिनी एकादशी
1 अप्रैल 2023- कामदा एकादशी
16 अप्रैल 2023- बरूथिनी एकादशी
1 मई 2023- मोहिनी एकादशी
15 मई 2023- अपरा एकादशी
31 मई 2023- निर्जला एकादशी
14 जून 2023 – योगिनी एकादशी
29 जून 2023 – देवशयनी एकादशी
13 जुलाई 2023 – कामिका एकादशी
29 जुलाई 2023 – पद्मिनी एकादशी
12 अगस्त 2023 – परम एकादशी
27 अगस्त 2023 – सावन पुत्रदा एकादशी
10 सितंबर 2023 – अजा एकादशी
25 सितंबर 2023 – परिवर्तिनी एकादशी
10 अक्टूबर 2023 – इंदिरा एकादशी
25 अक्टूबर 2023 – पापांकुशा एकादशी
9 नवंबर 2023 – रमा एकादशी
23 नवंबर 2023 – देवउठनी एकादशी
8 दिसंबर 2023 – उत्पन्ना एकादशी
22 दिसंबर 2023 – मोक्षदा एकादशी
क्या है देवउठनी एकादशी, क्योंकि होती है सबसे खास
हिन्दू धर्म प्रेमी देव उठनी एकादशी को सबसे खास मानते हैं. पांचांग के माने तो कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं मान्यता अनुसार भगवन विष्णु इसी दिन अपनी योगनिद्रा से उठते हैं और यही वजह है कि देवउठनी एकादशी को इतना खास माना जाता है, इस साल ये एकादशी 23 नवंबर 2022 को पड़ रही है इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है. कहते हैं कि देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वाले अगर साल भर की 23 एकादशी का व्रत न भी करे तो उसे एकमात्र देवउठनी एकादशी से बाकि एकादशियों का लाभ मिल जाता है।
क्या है देवउठनी एकादशी व्रत रखने का नियम
चावल का सेवन न करें – देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) के दिन चावल के सेवन से परहेज करें मान्यता है कि परहेज न करने वाले अगले जन्म में रेंगने वाले जीवों के जन्म लेते हैं
लड़ाई झगड़े से रहें दूर- इस दिन हमे लड़ाई झगड़ो से दूर रहना चाहिए विशेषकर कर घर में कोई विवाद न हो, न करें किसी का अपमान- इस दिन किसी का अपमान करने से लक्ष्मी और भगवान विष्णु आपसे से नाराज हो जायेंगे। ना तोड़े तुलसी के पत्ते – वउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से परहेज करना चाहिए. कई लोग एकादशी के दिन भगवान को अर्पित करने के लिए तुलसी के पत्ते तोड़ते हैं ऐसे में भगवान को चढ़ाने के लिए एक दिन पहले तुलसी के पत्ते तोड़े जा सकते हैं.
तामसिक भोजन करने से परहेज करें हालांकि व्रत रखने वाले दूर रहते हैं लेकिन जो नही रखते हैं उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए।
व्रत के दिन क्या करें
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन गंगा स्नान और दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन ब्राह्मण भोजन कराना भी फलदायक होता है . देवउठनी एकादशी के दिन हल्दी, केला और केसर का दान करना भी अच्छा माना गया है. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर ऐसा करने से विवाह संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं.एकादशी के दिन उपवास करने से मन शांत और स्थिर रहता है. इसके साथ ही धन, मान-सम्मान और संतान सुख की प्राप्ति होती है. देवउठनी एकादशी को लेकर मान्यता यह भी है कि इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्त होती है.
यहां दी गई हर जानकारी सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि nedricknews.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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