यह बात 500 सालों पहले की है जब देश भूख से तड़प रहा था, और खाना मिलना काफी मुश्किल था. उस समय लोगो को साधन इतनी आसानी से नहीं मिलते थे, इसके साथ ही उस समय समाज में असामनता भी बहुत ज्यादा थी, लिंग, धर्म, जाति और आर्थिक स्तर के तौर पर काफी भेदभाव होता था. उस समय किसी के पास भी अपने जीवन के लक्ष्य का नही पता था, समाज ऐसी दयनीय स्थिति में गुरु नानक देव जी ने समाज को बचाया था. गुरु नानक देव जी ने समाज के लिए कुछ ऐसे कदम उठाए, जिससे समाज की रुरेखा ही बदल गयी थी. गुरु नानक देव जी ने धर्मिक बदलाव के साथ सामाजिक बदलाव भी किए. इस लेख से आज हम आपको बताएंगे कि कैसे गुरु नानक देव जी ने हमें बचाया था?
और पढ़ें : जानिए सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने क्यों कहा था – मैं मूर्तिभंजक हूँ
लंगर सेवा की शुरुवात
सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने समाज की स्थिति को देख कर लंगर की शुरुवात की थी. उस समय समाज के हालात काफी नाज़ुक थे, अन्धविश्वास बढ़ते जा रहे थे, जिसके चलते रूढ़ीवाद, जातपात और असामनता को खत्म क्र्न्मे के लिए गुरु नानक देव जी ने सभी के लिय समान तौर पर लंगर की प्रथा की शुरुवात की थी, लंगर गुरूद्वारे में मिलने वाला वह खाना होता है जो हर जाति, धर्म या समुदाय के लोगो के लिए समान रूप से मिलता है. गुरु नानक जी ने लंगर की सेवा शुरू करके समाज में हो रहे जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज कदम उठाया था.
जिसके बाद लंगर सेवा में विभिन्न जातियों के लोग, छोटे बड़े सब तरफ के लोग एक साथं पर बैठ कर खाना खाते थे. जिससे गुरु नानक देव जी ने समाज में समानता पर बल दिया था. पूरे विश्व में सिखों का गुरुद्वारा ही एक ऐसी जगह है जहाँ मुफ्त लंगर सेवा सदियों से चली जा रही है. लंगर सेवा से भूखे लोगो को भी खाना मिला. गुरु नानक देव जी के इस कदम ने उस समय समाज को ही बदल कर रख दिया था.
इसके साथ ही गुरु नानक देव जी ने नारीवाद और महिला सशक्तिकरण पर भी बल दिया था, उस समय नारी का दर्जा इतना उच्च नहीं था, गुरु नानक देव जी ने कहा कि जो नारी हमे जन्म देती है उसका दर्जा हमारे समाज इतना कम क्यों है? गुरु नानक देव जी ने समाज में नारी के अस्तित्व को भी एक पहचान दी. सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने समाज के कल्याण के हित में काफी काम किया था.
और पढ़ें : औरंगजेब तू ‘धूर्त’, ‘फरेबी’ और ‘मक्कार’ है, जफरनामा में दशमगुरु ने लिखी हैं ये बातें