जानिए लोहड़ी के त्यौहार को लेकर क्या है मान्यता
लोहड़ी (Lohri) का त्यौहार भारत के पंजाब (Punjab) राज्य से संबंधित है और ज्यादातर इसे भारत के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है। आज के समय की बात करें तो , लोहड़ी के अलाव, आज के नए खाद्य पदार्थ, खाने की टोकरियाँ और हिट नए नवेले गानों की धुन पर नाचने के बारे में है, लेकिन आज ये जानने की कोशिश करते हैं कि इस पवित्र अलाव का क्या लोहड़ी की परंपरा से क्या सम्बन्ध है और लोग सूरज ढलने के बाद इसकी परिक्रमा क्यों करते हैं. आपको ये बता दें की इसका एक गहरा अर्थ है जो देवताओं (Almighty) के प्रति आभार व्यक्त करने और ढोल की धुन पर नाचने और एक खूबसूरत दावत का आनंद लेने के बारे में है। इस दिन तिल (काले तिल), गजक, गुड़ (गुड़), मूंगफली और पॉपकॉर्न जैसे खाद्य पदार्थ कटाई की रस्म के तौर पर अग्नि देवता को खिलाए जाते हैं। लोहड़ी को आप “शीतकालीन संक्रांति” हैं क्योंकि इस दिन रात बड़ी और दिन छोटा होता है,वास्तव में ये ‘सर्दी’ के जाने और “वसंत ऋतु” आगमन का प्रतीक भी है।
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कहाँ से लोहड़ी की शुरुआत
हम और आप में से ऐसे बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं की लोहड़ी शब्द “तिलोहड़ी” से लिया गया है जिसका ‘तिल और ‘रोढ़ी’ से बना है जिसका मतलब है तिल और ‘रोढ़ी’ का मतलब गुड़ है। लेकिन हम अब आम भाषा में लोहड़ी ही कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये दोनों चीज़ें तिल और गुड़ हमारे शरीर को शुद्ध करने में मदद करती हैं और नई ऊर्जा लाती हैं। इसलिए अपने देवता और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए हम तिल,गुड़ और गजक जैसे खाद्य सामग्री अग्नि को सौंपते हैं।
अलाव को लेकर लोग ऐसा मानते हैं कि इस दिन अग्नि देवता को खाद्य सामग्री अर्पित करने से जिंदगी से सभी नकारात्मकता(Negativity) दूर होती है और सम्पन्नता आती है। यहां अलाव भगवान अग्नि का प्रतीक है। परमात्मा को भोजन अर्पित करने के बाद, लोग भगवान अग्नि से अपने घर और जीवन में समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद मांगते हैं।
सूर्यास्त के समय अलाव के चारों ओर घूमना
पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार घर में आई नई दुल्हनों के लिए बहुत ही खास होता है, कई भक्तों का मानना है कि उनकी प्रार्थनाओं और चिंताओं का तुरंत जवाब मिलेगा और जीवन सकारात्मकता से भर जाएगा।लोग ये कहते हैं की अग्नि के चारों ओर घूमने से जीवन में समृद्धि आती है।
किसानों के लिए फसलों का त्यौहार
वैसे तो हम नया साल 1 जनवरी को मनाते हैं, लेकिन पंजाब के किसानों (Farmers) के लिए लोहड़ी ही नए साल का प्रतीक है लोहड़ी के दिन किसान फसल कटाई से पहले भगवान से प्रार्थना करते हैं और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं. और भगवान अग्नि से प्रार्थना करते हैं कि वे अपनी भूमि को आशीर्वाद दें। वे आग के चारों ओर घूमते हुए “आदर ऐ दिलाथर जाए” का जाप करते हैं, अर्थात “सम्मान आए और गरीबी मिट जाए”।
सर्दियों के खाने का जादू
लोहड़ी के मौके पर बनाए जाने वाले सर्दियों के व्यंजनों के बिना लोहड़ी की चर्चा अधूरी है। इस दिन पारंपरिक पंजाबी मेनू(Menu) में सरसों दा साग और मक्की दी रोटी, तिल की बर्फी, गुड़ की रोटी, मखाने की खीर, पंजीरी, पिन्नी, लड्डू, गोंद लड्डू और बहुत कुछ शामिल हैं।
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