Prakash Singh Badal Politics in Hindi – मेरे पास किसानों के लिए त्यागने को कुछ नहीं है, लिहाजा मैं ये सम्मान दे रहा हूं. अगर किसानों का अपमान हो तो किसी तरह के सम्मान का कोई फायदा नहीं. ये बोल पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के हैं जिन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखकर पद्म विभूषण अवार्ड वापस करने की बात कही थी. पंजाब की पॉलिटिक्स के पितामह, 5 बार पंजाब की सत्ता पर काबिज होने वाले नेता और NDA के भरोसेमंद साथी प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal Political Journey) आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी राजनीती का ऐतिहासिक सफर काफी लोकपिर्य रहा है और इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी नेता के बारे में बताने जा रहे हैं.
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सरपंच के चुनाव से शुरू किए राजनीतिक सफर
शिरोमणि अकाली दल लीडर और 5 बार पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal Birth Place) का जन्म 8 दिसंबर 1927 को श्री मुक्तसर साहिब के गांव में हुआ और 1947 में उन्होंने गांव के सरपंच का चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की लेकिन जब वो सरपंच बने तो किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस छोटे से गांव का सरपंच 5 बार इस सूबे के सीएम बनेगा.
5 बार बने सूबे के सीएम
प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक करियर की बात करें तो सरपंच बनाने के बाद प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal first Assembly Election) ने 1957 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता भी इसके बाद 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की. वहीं इसके बाद साल 1969-1970 तक उन्होंने सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेरी आदि से संबंधित मंत्रालयों में कार्यकारी मंत्री के रूप में कार्य कियाऔर इसके बाद वो 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने.
मोरारजी देसाई के शासन काल में बने सांसद
इसके बाद साल 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने और मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए. वहीं 2022 में जहाँ वो पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने पर चुनाव वो हार गए. जहाँ प्रकाश सिंह बादल रिकॉर्ड (Prakash Singh Badal Politics) पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने तो वहीं 10 बार विधानसभा चुनाव जीता साथ ही 1957 का चुनाव जीतने के अलावा 1969 से वह लगातार राज्य विधानसभा के चुनाव जीते.
2015 में मिला पद्म विभूषण सम्मान
वहीं 2014 में केंद्र में बीजेपी के साथ मिलकर प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal prizes) की पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए की सरकार बनाई और 2015 में ही केंद्र सरकार ने सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान के चलते देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से उनेह सम्मानित किया पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पद्म विभूषण अवॉर्ड दिया गया. लेकिन किसान आन्दोलन के चलते उन्होंने आपना पद्म विभूषण अवॉर्ड वापस देने की घोषणा भी की.
किसान आन्दोलन का किया समर्थन
देश की राजधानी दिल्ली के सभी बॉर्डर पर एक आंदोलन हुआ और ये आन्दोलन किसानो का था. दरअसल, देश की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने कृषि कानून बनाए लेकिन किसानो के इन नियमों को किसानो के खिलाफ बताया. जिसके बाद किसानो ने इस कृषि कानूनों का विरोध किया और दिल्ली कूच करने के लिए चल पड़े लेकिन किसानो को बॉर्डर पर ही रोक दिया गया जिसके बाद किसान बॉर्डर पर ही धरने पर बैठ गए, इस किसान अन्दोलन (Praskash Singh Badal and Farmers Protest) को जहाँ देश को कई राजनीती पार्टियाँ का सपोर्ट मिला तो वहीं इस कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में अवॉर्ड वापसी का दौर शुरू हुआ और अवार्ड वापस करने कि लिस्ट में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री भी थे.
बादल ने की पद्म विभूषण सम्मान लौटने की घोषणा
2020 में कृषि कानूनों के विरोध में न सिर्फ उनकी पार्टी की राहें बीजेपी (Prakash Singh Badal Politics) से अलग ही तो वहीं बादल ने भी अपना पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया. सम्मान वापसी की बात करते हुए बादल ने चिट्ठी में लिखा कि मैं इतना गरीब हूं कि मेरे पास किसानों के लिए त्यागने को कुछ नहीं है, लिहाजा मैं ये सम्मान दे रहा हूं. अगर किसानों का अपमान हो तो किसी तरह के सम्मान का कोई फायदा नहीं. वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि वह जो हैं किसानों की वजह से हैं.
95 साल की उम्र में हुआ निधन
अपने ऐतिहासिक करीयर के बाद 95 साल की उम्र में पूर्व सीएम प्रकाश सिंह (Prakash Singh Badal Death Year) आखिरी सांस ली. प्रकाश सिंह बादल कई समय से मोहाली के फोर्टिस हॉस्पिटल की आईसीयू में भर्ती थे उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी और इस शिकायत के बाद एक हफ्ते पहले उन्हें मोहाली में फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहाँ सोमवार को 8.30 बजे उनक निधन हो गया और उनके निधन पर केंद्र सरकार ने दो दिनों के राष्ट्रीय शोक की भी घोषणा की.
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