7 अगस्त 2023 को आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया. अपने प्रस्ताव में उन्होंने बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की बात कही थी और इस प्रस्ताव पर कई सांसदों के नाम और हस्ताक्षर भी थे. राघव चड्ढा ने अपना पक्ष रखते समय बताया कि ‘दिल्ली सेवा बिल क्यों दिल्ली वासियों के लिए ठीक नहीं है’ कैसे ‘केंद्र की सरकार दिल्ली सरकार का हक छीन रही है’. उन्होंने अपने पक्ष में कहा कि पिछले 25 साल से BJP दिल्ली में सरकार नहीं बना पाई है, इसलिए केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करना चाहती है. लेकिन अब इस मामले को लेकर ही राघव चड्ढा विवादों में फंसते नजर आ रहे हैं.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, दिल्ली सेवा बिल दोनों सदनों में पास हो गया और अब यह बिल कानून का रुप ले चुका है. लेकिन इस बिल को लेकर विवाद ज्यों का त्यों बना हुआ है. ध्यान देने वाली बात है कि इस बिल के विरोध में राज्यसभा में जो प्रस्ताव पेश किया था और उस पर सांसदों के नाम और हस्ताक्षर दिखाए थे, वह हस्ताक्षर फर्जी थे. राज्यसभा के 5 सांसदों ने आप सांसद राघव चड्ढा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए उनपर सिलेक्ट कमेटी को भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर झूठे हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया है. साथ ही संबोधन में बिना अनुमति के उनका नाम लेने का आरोप लगाया है.
यानी ओवरऑल बात यही है कि पहले आम आदमी पार्टी को दिल्ली सेवा बिल का झटका लगा और अब राघव चड्ढा पर सांसदों के विशेषाधिकार हनन का आरोप लगा है. हालांकि, राघव चड्ढा ने इस पर कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दी है. उन्होंने कहा है कि जब पूछताछ होगी तो उस दौरान मैं अपना पक्ष रख दूंगा. अभी मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता.
ज्ञात हो कि चड्ढा के बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया था. सेलेक्ट कमेटी में बिना मंजूरी के ही नाम शामिल किए जाने का आरोप जिन सांसदों ने लगाया है, उनके नाम एस. फैंगॉन्ग कोन्याक, नरहरि अमीन, सुधांशु त्रिवेदी, सस्मित पात्रा और एम. थंबीदुरई है.
दोषी पाए गए फिर क्या होगा ?
आपको बता दें कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने इस मामले को विशेषाधिकार समिति के सामने जांच के लिए भेज दिया है. राघव चड्ढा के इस कृत्य से उनकी सांसदी भी खतरे में पड़ सकती है. अगर तथ्य सही पाए गए और राघव चड्ढा 5 अन्य सांसदों के नाम गलत तरीके से इस्तेमाल करने के दोषी पाए गए तो विशेषाधिकार समिति उनकी सांसदी को रद्द करने की सिफारिश भी कर सकती है.
जिस दिल्ली सेवा बिल को लेकर इतना बवाल मचा, वह लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित होकर अब कानून का रुप ले चुकी है. राज्य सभा में इस बिल पर 7 घंटे से अधिक की चर्चा हुई. विपक्ष की तमाम कोशिशों के बावजूद यह बिल पारित हो गया. राज्य सभा में इस बिल के पक्ष में 131 वोट पड़े, जबकि विरोध में 102 पक्ष वोट पड़े.
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