मोदी ने बिहार को नीतीश और लालू के हाथों में छोड़ा
बिहार(Bihar) की राजनीति हमेशा से राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU)और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चारों तरफ घूमती रहती है। बात करें इन दिनों की तो बिहार की राजनीतिक गलियारे में थोड़ी अलग हवाएं चलती दिख रही हैं। बिहार सियासत में प्रशांत किशोर (Prashant kishor) के कदम पड़ने से राज्य की जनता को शायद जाती और अपराध से अलग राजनीति और राजनीतिक मुद्दें दिखाई दें।
राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने रविवार, 20 नवंबर को बिहार में विकास की कमी और गरीबी पर दुख जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime minister Narendra Modi) और भाजपा ने राज्य को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और लालू यादव (Lalu prashad yadav) के हाथों में छोड़ दिया, जिससे राज्य की प्रगति, विकास रुक गया है और अपराध बढ़ गया है।
बिहार की राजनीतिक रणनीति से विकास है गायब
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियां जाति और समाज के समीकरण में लगे हुए हैं। विकास और जनता से जुड़े मुद्दें इन पोर्टियों के राजनीतिक रणनीति से गायब हो चुकी हैं। उन्होंने लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि लालू प्रसाद ने बिहार के विकास के लिए जरूरी काम नहीं किया। दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार “बिहार के लोगों को छोड़ सिर्फ मुख्यमंत्री की सीट बनाए रखने के प्रयास में लगे हुए हैं।”
बिहार की जनता तक पहुँचने के लिए कर रहे पदयात्रा
हाल ही में प्रशांत ने बिहार में जनसुराज नाम की एक नई पार्टी बनाई है। इस पार्टी को लोगों तक पहुँचाने के लिए उन्होंने राज्य भर में पदयात्रा भी निकाली है। किशोर ने यह सब कुछ पदयात्रा के दौरान पूर्वी चंपारण में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा।
- लालू-तेजस्वी पर साधा निशाना
3,500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर निकले, प्रशांत किशोर ने कहा, “चाहे हम इसे लालू जी की अज्ञानता मानें या चतुराई, उन्होंने बिहार के समाज को आवाज दी लेकिन उन्हें शिक्षा नहीं दी, उन्हें आवश्यक भूमि सुधार नहीं दिया। इसलिए जो लोग पीछे थे, वे पीछे रह गए।” उन्होंने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पिछड़े वर्ग लालू यादव के समर्थन में नारे लगा सकते हैं लेकिन उनके बच्चे अभी लालू जी के बराबरी नहीं कर सकते।
नीतीश कुमार पर लगाया आरोप
प्रशांत किशोर ने राज्य के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि “इस राज्य के लोगों ने नीतीश कुमार पर जब दांव लगाया, तब कुमार ने शुरू के 5-7 साल अपना काम दिखाया और 2005 के बाद राज्य में कुछ विकास देखा गया। नीतीश कुमार जब 2014 के लोकसभा चुनाव हार गायें तब राज्य को छोड़ दिया और सत्ता में बने रहने की कोशिश में लग गए।