बाबा साहब की राह पर आप नेता राजेंद्र पाल गौतम
“पिछले कुछ वर्षों से मैं लगातार देख रहा हूं कि मेरे समाज की बहन-बेटियों की इज्जत लूटकर उनका कत्ल किया जा रहा है, कहीं मूछ रखने पर हत्याएं हो रही हैं, तो कहीं मंदिर में घुसने पर और मूर्ति छूने पर अपमान के साथ पीट-पीटकर हत्या की जा रही है. यहां तक कि पानी का घड़ा छू लेने पर बच्चों तक की दर्दनाक हत्याएं की जा रही हैं. घोड़ी पर बारात निकालने पर घृणास्पद हमला कर जान तक ली जा रही है. ऐसी जातिगत भेदभाव की घटनाओं से मेरा हृदय हर दिन छलनी होता है.” इन शब्दों को सुनकर आप थोड़े बहुत सोच में तो जरूर पड़ जाएंगे और आपको लगेगा की ऐसी बाते तो संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर बोलते थे। आप जब बाबा साहब का लंदन में गोल मेज सम्मलेन के दौरान दिए हुए भाषण को सुनेंगे तो कुछ इसी तरह अम्बेडकर ने भी उस समय ब्रिटिश कानून को उनकी धरती पर लताड़ा था। पर ये शब्द हमारे बाबा साहब के नहीं है, बल्कि आम आदमी पार्टी के नेता (अब पूर्व नेता) राजेंद्र पाल गौतम के हैं। भाई ऐसा क्या हो गया की गौतम, बाबा साहब की धुन बोलने लगे ?
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गौतम ने लिया था बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में हिस्सा
आज के ही दिन 14 अक्टूबर 1956 को ठीक अपने मृत्यु से लगभग 2 महीना पहले बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर ने नागपुर में बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। बौद्ध धम्म और बुद्ध, दोनों मूर्ति पूजन को खंडित करते थे, जिस कारण अनुवाइयों को बौद्ध धम्म की दीक्षा के समय ही ये सब बाते बता और सीखा दी जाती हैं। ये भारत का वैसा दौर था जब भारत आजाद हुआ था और देश में संविधान की ताकत सबसे ऊपर थी। इस बात का प्रमाण आपको बाबा साहब के बौद्ध धम्म की दीक्षा सामारोह से मिल जाएगा। उस समय डॉ अंबेडकर के साथ लाखों लोगों ने बौद्ध दीक्षा सामारोह में हिस्सा लिया था और अपनाया भी था, पर उस समय अंबेडकर को किसी सरकार या संघ के खिलाफत का सामना नहीं करना पड़ा था। अब बात करते है वर्तमान समय की, ठीक अम्बेडकर की तरह ही 5 अक्टूबर 2022 को अंबेडकर भवन, रानी झांसी रोड पर मिशन जय भीम एवं बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा अशोक विजयदशमी के अवसर पर आयोजित बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में, आम आदमी पार्टी के नेता राजेंद्र पाल गौतम सम्मलित होते हैं। इसी कार्यक्रम में डॉक्टर भीम राव आंबेडकर की उन 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया जाता है, जो अंबेडकर ने साल 1956 में बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान ली थी। इन 22 प्रतिज्ञाओं में हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने और भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करने की बातें कही गई हैं। इन 22 में से एक प्रतिज्ञा में ये भी कहा गया है कि हिंदू धर्म मानवता के लिए हानिकारक है और ये मानवता के विकास में बाधक है।
धर्मांतरण के लिए उकसाने का लगा आरोप
इन्हीं प्रतिज्ञाओं को दोहराने के बाद गौतम को मोदी सरकार और यहां तक की उनकी अपनी पार्टी के द्वारा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती है इसके बाद दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को एक धर्मांतरण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के कारण दिल्ली पुलिस के सामने पूछताछ के लिए भी पेश होना पड़ा। गौतम पर ये आरोप है की इस कार्यक्रम में उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं की कथित तौर पर निंदा की थी और बहुत सारे लोग को एक साथ धर्मांतरण के लिए उकसाया था।
मंत्री पद से दिया इस्तीफा
इसके बाद राजेंद्र पाल गौतम ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद गौतम ने बाबा साहब के पगचिन्हों पर चलते हुए छुआ-छूत और जाती वर्ण की समस्या के खिलाफ आज के दिन ही यानि की 14 अक्टूबर 2022 को एक पदयात्रा करने का भी ऐलान किया है। इस पदयात्रा को लेकर दलित समाज एक जुटता से उनके समर्थन में खड़ा है। यहां तक की अलग-अलग क्षेत्रों के सांसद, सामाजिक परिवर्तन की इस लड़ाई को लड़ने के लिए राजेंद्र पाल गौतम जी को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। दूसरी तरफ दलित समाज, अंबेडकर के समर्थन और बुद्ध के अनुवाई, केंद्र और दिल्ली सरकार के खिलाफ खड़ी नजर आ रही है।
भाजपा को बताया दलित विरोधी पार्टी
अपने इस्तीफे के बाद राजेंद्र पाल गौतम ने भारतीय जनता पार्टी को उनके गन्दी राजनीति के लिए घेरते हुए कहा कि मैं पार्टी का सच्चा सिपाही होने के नाते बाबासाहेब द्वारा दिखाए गए न्याय संगत और समता मूलक संवैधानिक मूल्यों का आजीवन निर्वाह करूंगा। मैं अपनी बहन-बेटियों और समाज के लोगों के हक और अधिकार की लड़ाई को पूरे जीवन मजबूती से लडूंगा। उन्होंने भाजपा को दलितों और अंबेडकर के खिलाफ बताया। इस पूरी घटना की शुरुआत भी कुछ वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था … जिस कारण गौतम पर ये आरोप लगा था की वो लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसा रहे हैं और वो एक हिन्दू विरोधी हैं। इसके लिए भाजपा ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया था। इसी वजह से गौतम ने अपने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया । इसके बाद गौतम ने भाजपा को एक गन्दी राजनीती करने वाला दलित विरोधी पार्टी बताया।
भाजपा और आप अंबेडकर के सपनों को लेकर गंभीर है या मात्र एक चुनावी स्टंट
राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफा जहां एक तरफ भाजपा की गन्दी राजनीती बताई जा रही है वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार पर भी इस्तीफे के लिए गौतम पर दबाव बनाने का इल्जाम लग रहा है। अब ये चीज देखना दिलचस्प होगा की इस चुनावी दौर में, जहां एक तरफ गुजरात और हिमाचल में विधान सभा चुनाव है और 2024 में लोकसभा चुनाव, इन चुनाव में कौन किसपर भारी पड़ता है। एक तरफ भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर केजरीवाल सरकार को गुजरात में हिन्दू विरोधी पार्टी बता कर घेरना शुरू भी कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ राजेंद्र पाल गौतम भाजपा को दलित विरोधी सरकार बता कर कटघरे में खड़े करने की कोशिश में लगे हैं। अब जनता के सामने खासकर दलितों के सामने ये सवाल जरूर होगा की अंबेडकर के नाम पर वोट मांगने वाली ये पार्टियां क्या सच में अंबेडकर के सपनों को लेकर गंभीर है या ये सबकुछ मात्र एक चुनावी स्टंट है ?
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