कर्नाटक चुनाव में आए रुझानों के बाद बाद अब राजनीतिक दलों ने तमाम समीकरणों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है. जहाँ शाम को आज कांग्रेस अहम् बैठक करेगी वहीँ कहीं न कहीं इस हार से सबक लेते हुए भाजपा उन सारे मुद्दों पर विश्लेषण करेगी जिसकी वजह से करेगी जिसकी वजह से इसे इतनी करारी हार झेलनी पड़ी है. जहाँ एक तरफ गृह मंत्री अमित शाह इस बात का दावा कर रहे थे कि हम बहुमत से 15-20 वोट ज्यादा पाएंगे वहीँ ऐसी हालत हो गयी कि ये गठबंधन के लायक भी नहीं रह गए. कि 100 के आसपास सीटें आने के बाद जेडीएस के साथ गठबंधन कर सरकार बना ले.
Main reason why bjp lost
Yedurappa ididre mutake agtirlilla
Bommai bandu reputation Ella haalu madda pic.twitter.com/hPRk63ooRS— Johns. (@Thenameisnanu) May 13, 2023
उधर जेडीएस भी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में आने का इंतजार कर रही थी. इन सभी दलों में से बीजेपी के लिए ये चुनाव काफी अहम था. क्योंकि साउथ के राज्यों में कर्नाटक इकलौता ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब रही. यही वजह है कि पार्टी अब किसी भी हाल में कर्नाटक की सत्ता से बाहर नहीं होना चाहती. आज हम इसी पर बात करेंगे कैसे बीजेपी कर्नाटक चुनाव में हर गयी हार कि क्या वजह थी?
क्या सीएम फेस बदलने से हुआ नुकसान?
उत्तराखंड और गुजरात जैसे ही कर्नाटक में बीजेपी ने एक बड़ा मूव लेते हुए मुख्यमंत्री बदलने का फैसला किया. लेकिन लिंगायत समुदाय के बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम की कुर्सी थमा दी गई. और ये फैसला बीजेपी ने चुनाव से करीब दो साल पहले ये फैसला लिया, लेकिन जो पार्टी चाहती थी वैसा नहीं हो पाया. बोम्मई ने सरकार तो ठीक से चलाई, लेकिन अगर जमीन स्तर तक की करें तो वहां तक पहुँचने में असफल रही.
My reasons for saying this 4 months ago
1- BJP will lose not because South Indian voter is less bigot but they want at least some development
2- They too enjoy muslim oppression but not so openly, bjp was doing too much
3-Removal of Yedurappa https://t.co/AwuNaXwLPG
— Ray (@RaysTweetsss) May 13, 2023
बीजेपी ने ये भी सोचा था कि मुख्यमंत्री बदलने के बाद लिंगायत वोट भी बोम्मई की तरफ मुड़ जाएंगे, हालांकि ऐसा भी नहीं हो पाया. येदियुरप्पा बनाम बोम्मई के मुकाबले में येदियुरप्पा का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा था है और रहेगा. यही वजह है कि पार्टी आलाकमान ने येदियुरप्पा को चुनाव से पहले इतने मंच दे रहा था लेकिन एक बात जो उसके समुदाय को ठेस पंहुचा गयी थी वो थी येदुरप्पा को दरकिनार करना.
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येदियुरप्पा को दरकिनार करने की कोशिश
ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने येदियुरप्पा की ताकत को कम करने की कोशिश ना की हो. इसके लिए पार्टी के कई नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया था. कोशिश ये थी कि जो लिंगायत वोट पिछले कई सालों से येदियुरप्पा के साथ जुड़ा है, उसे तोड़ा जाए. यानी इस बड़े वोट बैंक को एक परिवार से हटाकर पार्टी में लाने की पूरी कोशिश हुई.
Key takeaways
1. BJP never worked on proving the 40% thing as fake or prove it wrong with evidence
2. Bringing down Yedurappa sir from cm post hurting lingayath community.
3. No noticable development like no improvement in hospitals and schools.— Cashew Tate (@CashewTate) May 13, 2023
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि पार्टी आलाकमान को इस बात का डर था कि कहीं येदियुरप्पा अपनी विरासत अपने बेटे को सौंप दें, इसीलिए उन्हें पहले ही किनारे लगाने की कोशिश की गई.
कहां गया हिजाब, हलाल और UCC का मुद्दा?
बीजेपी ने कई राज्यों में अपने हिंदुत्व के मुद्दों को जमकर उठाया और इसका खूब फायदा भी पार्टी को मिला. हालांकि ये ज्यादातर हिंदी बेल्ट वाले राज्य ही थे, ऐसी ही कोशिश बीजेपी ने कर्नाटक में भी की थी. बीजेपी ने यहां हिंदुत्व की विचारधारा को पिच करने की कोशिश की. पिछले कुछ सालों में कर्नाटक में हिजाब से लेकर हलाल, अजान और टीपू सुल्तान जैसे मुद्दे खूब उठे.
Hijab, beef ban, halal food, bajrang bali, uniform civil code, love jihad, kerala story, almost every polarising trope was used in Karnataka by the BJP.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) May 13, 2023
और चुनावी रैलियों में भाजपा ने इन मुद्दों का सटीक इस्तेमाल भी किया यहाँ तक की बीच में बजरंग दल पर बैन और ‘द केरला स्टोरी’ का मुद्दा भी उठा लिया लेकिन फिर भी मुस्लिम वोट नहीं मिले इस बार के चुनाव में भाजपा को मात्र इतना करने के बावजूद भी 2% मुस्लिम वोट मिले हैं.
कर्नाटक में भाजपा की हार, कोई बड़ा संकेत?
बीजेपी कर्नाटक पर इतना जोर इसलिए लगा रही थी, क्योंकि यहां की हार भाजपा को 2024 के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगी. भाजपा के हिसाब से कर्नटक साउथ इंडिया में राजनीतिक घुसपैठ का दरवाजा मानती थी जिसका सीधा और साफ़ यही मतलब होता है कि इस राज्य में जीत के आधार पर पार्टी साउथ के दूसरे राज्यों में भी चुनाव लड़ने की हिमाकत कर सकती थी. जो इसे लोकसभा चुनाव में काफी मदद करती.
No, the problem with BJP is that high level of centralisation and everything has been decided by Modi-Shah.
CM are just puppet of alakaman.
Worker should ask now Why party has removed Yedurappa? https://t.co/Jk0CB3Je2b
— राष्ट्रवादी बालियान (@baliyanhindu) May 13, 2023
लेकिन अगर इस राज्य में पार्टी की हार से और सत्ता से हाथ धोने से पार्टी फिर से नॉर्थ इंडिया और सेंट्रल इंडिया तक ही सीमित रह गई. इसके अलावा ये विपक्ष के लिए भी बीजेपी के खिलाफ बड़ा हथियार साबित होगा.
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