Why did Mayawati not convert in Buddhism – “मैं हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूं, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं, कम से कम यह तो मेरे वश में है” ये बातें बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाने से पहली कही थी. बाबा साहेब ने हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था क्योंकि हिन्दू धर्म के निचले कुल में पैदा हुए बाबा साहेब को बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा, जहाँ अंबेडकर इस भेदभाव को खत्म करना चाहते थे.
इस काम विफल हो रहे थे तब उन्हें लगा कि हिंदू धर्म में जातिप्रथा और छुआ-छूत की कुरीतियों को दूर नहीं किया जा सकता जिसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और आज के समय जो भी बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को मनाता है वो बौद्ध धर्म को भी मनाता है लेकिन दलित समाज नेता मायावती ने बौद्ध धर्म नहीं अपनाया. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात कि जानकारी देने जा रहे हैं कि मायावती ने बौद्ध धर्म क्यों नहीं अपनाया और बौद्ध धर्म नहीं अपनाने के पीछे उनका नजरिया था.
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बाबा साहेब की वजह से मुख्यमंत्री बनी थी मायावती
बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के आदर्शों चलने वाली मायावती को आयरन लेडी कहा जाता है. देश के योग्य नेताओं में से एक मायवती शिक्षक थी और सिविल सर्विस की तैयारी कर रही थी और इसी बीच उनकी ज़िन्दगी में बसपा संस्थापक काशी राम की एंट्री हुई. जिन्होंने उन्हें राजनीति में शामिल किया और 1995 में अपना नेतृत्व उनको सौंप दिया.
मायावती का घर, पढाई छोड़ने का फैसला सही साबित हुआ और मायवती (Why did Mayawati not convert) उत्तर प्रदेश की दलित समाज की पहली मुख्यमंत्री के रूप में सबके सामने आई. मायवती की प्रदेश के चुनाव में जीतना दलित समाज और उनके अधिकार मिलने जीत थी और इसी जीत का कारण बाबा साहेब भी थे जो दलित समाज के अधिकारों के लिए लड़ें और इस लड़ाई के दौरन उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और इस वजह से बाबा साहेब को आदर्श मानते हुए मायावती ने भी बाबा साहेब की तरह बौद्ध धर्म का अपनाने की घोषणा की लेकिन उन्होंने बौद्ध धर्म नहीं अपनाया और इसके पीछे की एक बड़ी वजह बताई .
इस वजह से मायावती ने नहीं अपनाया बौद्ध धर्म
14 अक्टूबर 1956 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 3.65 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था. नागपुर में हुई इस घटना को इतिहास में धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना के तौर पर याद किया जाता है और इस एतिहासिक घटना के पचास साल पूरे होने पर मायावती साल 2006 में नागपुर दीक्षाभूमि गईं जहां उन्हें पहले किए गए वादे के मुताबिक बौद्ध धर्म अपना लेना था.
Why did Mayawati not convert – यह वादा कांशीराम ने किया था कि बाबा साहेब के धर्म परिवर्तन की स्वर्ण जयंती के मौके पर वह खुद और उनकी उत्तराधिकारी मायावती बौद्ध बन जाएंगे लेकिन नागपुर जाने के बाद मायावती ने वहां बौद्ध धर्मगुरूओं से आशीर्वाद लिया और सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, “मैं बौद्ध धर्म तब अपनाऊंगी जब आप लोग मुझे प्रधानमंत्री बना देंगे.” इस बात को लेकर जहाँ खूब राजनीती हुई तो वहीं इस बात एक और नजरिये से देखा जा सकता है.
बौद्ध धर्म नहीं अपनाने के पीछे ये था नजरिया
मायावती की इस बात का पीछे सन्देश ये था जैसेसही समय और सही मौका पर अंबेडकर ने 3.65 लाख समर्थकों के साथ हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया था. तो वहीं जब वो प्रधानमंत्री बनेगी और देश क सत्ता उनके हाथ में होगी और इस समय वो बौद्ध धर्म अपनाती हैं तो देश के दलित समाज के लिए ये गर्व का समय होगा और इतिहास के पन्नों में इस अवसर को हमेशा के लिए याद रखा जाएगा.
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