धारा 116 क्या है – आजकल के समय में कई लोग हैं जो किसी दूसरे शख्स को अपराध करने के लिए प्रेरित करते हैं या फिर आरोप करने के लिए बहकते हैं लेकिन अपराध नहीं होता है परन्तु ये मामला अपराध की केटेगरी में आता है. जानकारी के अनुसार, किसी को किसी अपराध के लिए बहकाना एक अपराध है और इस अपराध के लिए धारा 116 के तहत सजा मिल सकती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी धारा के बारे में बताने जा रहे हैं.
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जानिए क्या है धारा 116
धारा 116 कारावास से दंडनीय अपराध का दुष्प्रेरण (बहकाने) पर लागू होती है. वहीं इस धारा 116 के तहत दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है लेकिन इस अपराध के उच्चतम अवधि के एक चौथाई भाग के कारावास या जुर्माना या दोनों मिल सकती है. वहीं अगर यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है जिसका कर्तव्य अपराध को रोकना है तो उसे संबंधित अपराध के उच्चतम अवधि के आधा भाग के कारावास या जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है.
सजा का जुर्माना का है प्रावधान
वहीं इस अपराध के तहत कारावास या जुर्माना दोनों लगाया जा सकता है. वहीं इस दुष्प्रेरक के अपराध के अनुसार, एक अवधि के लिए कारावास, जिसकी समय सीमा अपराध के अनुसार बढ़ाई या घटाई जा सकती है. वहीं इस अपराध के लिए जुर्माना भी अपराध के अनुसार तय किया जा सकता है.
मामले में इस तरह मिलेगी जमानत – धारा 116 क्या है
वहीं यह मामला समझोते योग्य नहीं है और वहीं इस अपराध के तहत सजा और जुर्माना तय है इस वजह से इस मामले में जमानत नहीं मिलती है लेकिन कोर्ट में करवाई के दौरान और जज जमानत दे सकता है साथ ही जमानत को लेकर नया फैसला दे सकता है.
भारत में अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
आपको बता दें, भारत में IPC अंग्रेजों ने लागू की थी. दरअसल, ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई थी और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. वहींयह IPC की धारा भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. वहीं जब जम्मू एवं कश्मीर धारा 370 लागू थी तब यहाँ पर भी ये आईपीसी (IPC) लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले जम्मू एवं कश्मीर में रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
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