धारा 357 क्या है – अगर कोई शख्स कही जा रहा है और किसी अन्य शख्स द्वारा उसका रास्ता रोक दिया जाता है तो ये एक अपराध है. इसी के सतह कई और मामले में भी रास्ता रोकना एक अपराध है और इस तरह में मामले में कार्यवाही हो सकती है. दरअसल, भारत में मानव हित के लिए कई सारे नियम बनाए गए हैं और हनव अपने अधिकार का गलत प्रयोग न करें इसके लिए भी कई सारे नियम बनाये हैं.
वहीं इन नियमों के तहत रास्ता रोकने भी एक अपराध है और इस नियम का उल्लंघन करने पर सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि रास्ता रोकने पर कौन-सी धारा लगती है और सजा और जुर्मान कितना लग सकता है.
जानकारी के अनुसार, अगर किसी शख्स द्वारा किसी अन्य शख्स का रास्ते रोकने या फिर किसी शख्स को आम रास्ते से जाने से रोकना एक अपराध है. वहीं एक स्टूडेंट को एग्जाम देने से रोकने के लिए, खिलाड़ी को प्रतियोगिता शामिल करने से, पुलिसकर्मी को अपराधी को गिरफ्तार करने से, पुलिसकर्मी द्वारा अपराधी को गिरफ्तार करने से, टीचर को क्लास में जाने से रोकना एक अपराध की केटेगरी में आता है और ऐसा करने पर आईपीसी की धारा 357 के तहत मामला दर्ज होता है और इसी धारा 357 के तहत कार्यवाही हो सकती है.
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धारा 357 क्या है
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 357 के तहत ऊपर गए मामलों के तहत रास्ता रोकने पर केस हो सकता है. वहीं इस मामले की शिकायत पुलिस थाना में की जा सकती है. पुलिस थाने में जाकर एफआईआर दर्ज की जाएगी और धारा 357 के तहत केस दर्ज होगा.
सजा और जुर्माना का क्या है प्रवधान
वहीं इस मामले में जिस शख्स के ऊपर करवाई हुई है उसे पुलिस थाने में पेश होना पड़ेगा साथ ही अगर वो इस मामले में गिरफ्तर होता है तो जमानत भी उसे पुलिस थाने से ही मिलेगी. जहाँ इस मामले में गिरफ्तारी होना जरुरी नहीं है लेकिन मामला दर्ज होने के बाद अदालत में इस केस की सुनवाई होगी तब आपको अदालत में पेश होना होगा.वहीं इस मामले में अदालत द्वारा एक साल की सजा और एक हजार रुपये जुर्माना लग सकता है. साथ ही इस मामले में कई और अपराध भी जुड़ता है तो धारा 357 के साथ कई सारी अन्य धारा भी अपराधी पर लगाई जा सकती है.