धारा 324 क्या है – अक्सर सड़क या किसी जगह पर मारपीट या फिर जानलेवा हमला जैसे कई घटना देखने को मिल जाती है. जहाँ इस घटना के दौरन कई लोग समझौता करने की बात करते हैं और कहते हैं कि अगर वो इस बात की रिपोर्ट पुलिस में करते हैं तो उसे कोई फायदा नहीं होगा साथ ही आरोपी को कोई सजा नहीं होगी लेकिन ऐसा नही है मारपीट या फिर जानलेवा हमले की घटना होने पर अगर पीड़ित व्यक्ति इस बात की शिकायत करता है तो ये तय हैं कि उसे धारा लगेगी और इस धारा के तहत उसे सजा मिलेगी. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
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इन धाराओं के तहत दर्ज होता है मामला
जानकारी के अनुसार, मारपीट या फिर जानलेवा हमला जैसी कोई भी घटना होती है, तो भारतीय दण्ड संहिता के तहत कई ऐसी धारा हैं जिसके तहत करवाई की जा सकती है और अलग-अलग धारा के तहत इसमें सजा का प्रवधान है. साधारण मारपीट पर आईपीसी की धारा 323 लगाई जाती है. वहीं जख्मी होने की दशा आईपीसी की धारा 324 और जानलेवा हमला की घटना पर आईपीसी की धारा 307 लगाई जाती है. वहीं इन सभी धाराओं के तहत पुलिस के पास मामला दर्ज करके दोषियों पर करवाई होती है.
धारा 323
अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ साधारण मारपीट यानि थप्पड़ मरता है तो आईपीसी की धारा 323 के तहत मामला दर्ज होगा. वहीं आईपीसी की धारा 323 के तहत दर्ज हुए केस पर धारा 334 के मामले को छोड़कर इस मामले में एक साल कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना. वहीं कई मामलों में ये दोनों सजा दी जा सकती है. वहीं इस मामले में समझौता भी हो सकता है.
धारा 324 क्या है
मारपीट के दौरान ही अगर कोई व्यक्ति किसी को घातक हथियार का इस्तेमाल करता है तो जानवर के जरिए शरीर पीड़ित को नुकसान पहुंचता है तो आईपीसी की धारा-324 के तहत मामला दर्ज होता है और आरोपी दोषी करार होता है तो उसे अधिकतम तीन साल की कैद हो सकती है. वहीं यह अपराध गैर-जमानती है और इसमें समझौता नहीं हो सकता है.
धारा 325
अगर मारपीट के दौरान पीड़ित की हड्डी फैक्चर होती है या फिर उसे गंभीर चोटें आती हैं तो ऐसी दशा में आईपीसी की धारा-325 के तहत मामला दर्ज होता है. वहीं इस मामले समझौता भी किया जा सकता है. यह भी एक जमानती अपराध है. इस अपराध में दोषी करार होने पर 7 साल तक की कैद, आर्थिक दंड या फिर दोनों ही दंड दिए जा सकते हैं.
धारा 326
अगर आरोपी पीड़ित को घातक हथियार से जख्मी करता है, तो ऐसी दशा में आईपीसी की धारा-326 के तहत केस दर्ज होता है. इस धारा के तहत मामला तभी दर्ज होता है जब पीड़ित के शरीर का कोई अंग को काट दिया जाये या फिर मारपीट के बाद उसकी जान पर खतरा आ जाए. वहीं यह भी एक गैर जमानती अपराध है और इसमें समझौता नहीं किया जा सकता. इसमें दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 10 साल तक का सश्रम कारावास या फिर उम्रकैद भी हो सकती है.
धारा 307
अगर कोई आदमी किस दूसरे व्यक्ति पर जान लेने की सोच रखकर हमला करता है तो इस मामले में धारा-307 (हत्या का प्रयास) का केस दर्ज होता है. वहीं इस धारा के तहत मामला दर्ज होने पर आरोपी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है साथ ही दंड देने का भी प्रावधान है.
धारा 308
अगर किसी व्यक्ति हमला करता है, लेकिन आरोपी का उद्देश्य जान से मारने नहीं होता, तो इस मामले में धारा 308 के तहत केस दर्ज करती है. इसमें दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती है.
धारा 504
मारपीट की घटना के दौरान ही अगर कोई व्यक्ति गाली-गलौज करता है तो इस मामले में आईपीसी की धारा 504 के तहत मामला दर्ज होता है. यह जमानतीय अपराध है और इसमें समझौता भी हो सकता है. इस अपराध में दोषी पाए जाने की दशा में दो साल कारावास की सजा हो सकती है.
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