“किन्नर” हमारे समाज में इस शब्द को गाली की तरह प्रयोग किया जाता है, लेकिन किन्नर कोई गाली नहीं होती है. किन्नर भी इंसान ही होते है, जो ना स्त्री हैं और ना ही पुरुष यानि की थर्ड जेंडर. किन्नर को लेकर हमारे समाज में बहुत सारी अफवाहें है, वो कहते है न कि ‘जितने मूह उतनी बातें… हमारे समाज में किन्नर के लिए वही हाल है. और किन्नरों की इन अफवाहों का कारण है, उनके जन्म से लेकर अंतिम सस्कर तक एक रहस्य जीवन.
किन्नर हमेशा आपकी खुशियों में शामिल होकर आपको दुआएं देते है, उन्ही दुआएं शुभ मानी जाती है. किन्नरों के जीवन को समाज ने मजाक बना दिया है. हमारे समाज में किन्नर को कभी भी इंसान होने का दर्जा नहीं मिला है. हमेशा उन्हें दुत्कारा ही गया है. उनके रहस्यमय जीवन के बारे में अफवाहें फैलाई गयी है. तो दोस्तों आज हम आपके लिए किन्नर के जीवन से जुडी कुछ ऐसी बातें लेकर आए है जिनके बारे में हमारे समाज में बहुत सी अफवाहें है. इन्ही में से एक है किन्नरों का अंतिम संस्कार.
और पढ़ें : कुएं में मिले 246 नरकंकाल, रिसर्च के अनुसार कंकालों का सम्बंध 1857 की क्रांति से है
किन्नरों का अंतिम संस्कार
आमतौर पर जब किसी की मौत होती है तो सूर्यास्तर से पहले ही पूरे विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है, ये विधि विधान सभी मनुष्यों के लिए होता है. लेकिन हमारे समाज में एक समुदाय ऐसा है जिसके अंतिम संस्कार के बारे जाने कितनी अफवाहें फैली है. वो समुदाय कोई ओर नहीं बल्कि किन्नरों का समुदाय होता है.
लोग किन्नरों को ऐसे देखते है जैसे कोई दूसरी दुनिया का इंसान देख लिया हो… लेकिन ये नहीं समझते कि किन्नर भी इंसान ही है. किन्नरों को लेकर हमारे समाज में जाने कितनी अफवाहों ने घर किया हुआ है. उन्ही में से एक अफवाह है किन्नरों के अंतिम संस्कार की. कहा जाता है कि किन्नर की मृत्यु के बाद, उसके समुदाय के लोग उसका अंतिम संस्कार रात में करते है, और मृत किन्नर को चप्पलों के साथ मरते हुए ले जाते है.
लेकिन ऐसा नहीं होता है, किन्नर समुदाय में किन्नरों का अंतिम संस्कार रात में नहीं बल्कि दिन में किया जाता है, इसके साथ हम आपको बता दे कि किन्नरों को मरने के बाद दफनाया या जलाया नहीं जाता है बल्कि उन्हें समाधि दी जाती है. जैसे संतो और गुरुओं को समाधि दी जाती है. किन्नर समुदाय में बहुत भक्ति भाव से बहुत आदर के साथ मृत किन्नर को समाधि दी जाती है.
और पढ़ें : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के पीछे की कहानी, उनके पोते की जुबानी!