पंजाब के अजनाला कस्बे के कुएं में 246 नरकंकाल मिले. जो उन 246 भारतीय सैनिकों के हैं, जिन्हें 1857 की क्रांति में अंग्रेजों द्वारा बेरहमी से मार दिया गया था. मारे गए इन भारतीय सैनिकों के दांतों की स्टडी की गई, जिसके बाद पता चला कि ये भारतीय सैनिकों गंगा के मैदानी इलाकों के रहने वाले थे ख़ासकर उत्तर प्रदेश, बंगाल और बिहार के इलाकों से थे. इस स्टडी को 26 अप्रैल को ‘फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स’ नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया.
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इस स्टडी के अनुसार, कुएं में जिन सैनिकों के नरकंकाल मिले हैं, वो ‘ब्रिटिश इंडियन आर्मी’ की 26वीं बंगाल इनफैंट्री का ही भाग थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुरातत्वविदों ने अजनाला के कुएं को ऐसी जगह बताया है, जहां 1857 के विद्रोह से जुड़े सबसे अधिक नरकंकाल पाए गए हैं.
अजनाला कस्बे के कुएं में 246 नरकंकाल
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस कुएं का जिक्र एक ब्रिटिश अधिकारी द्वारा लिखी के किताब में मिला है, वह अधिकारी 1857 की क्रांति के समय पंजाब में डिप्टी कमिश्नर की पद पट तैनात था. इस किताब के अनुसार इन भारतीय सैनिकों ने विरोध के चलते कुछ ब्रिटिशों की हत्या कर दी, जिसके बाद वह भाग कर पंजाब की तरफ आ रहे थे, रास्ते में उन्हें पकड लिया गया और उन्हें अजनाला के पास लाकर मार दिया गया था. इतनी बड़ी संख्या मेर भारतीय सैनिको की हत्या को छुपाने के लिए और विद्रोह को वहीं रोकने के लिए भारतीय सैनिकों को वही उस कुएं में फैंक दिया गया.
सोचने की बात है कि इस घटना का हमारी किताबों में कोई जिक्र नहीं होता. जितना और घटनाओं का जिक्र होता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में कुछ कम अनुभव पुरातत्वविदों ने अजनाला के कुएं से इन कंकालों को निकाला था, जिसके बाद इनकी जाँच हुई तो पता कि यह 246 नरकंकाल है.
पंजाब यूनिवर्सिटी में इन कंकालों की वैज्ञानिक तरीके से जाँच के लिए एक विभाग का गठन किया, इस गठन ने कंकालों के कई हिस्सों का परिक्षण किया जैसे दांत, खोपड़ी, हाथ-पैर की हड्डी आदि. साथ ही इन कंकालों के साथ कुछ जूलरी, सिक्के भी मिले, और इसके साथ ही कुएं से दांतों के कुछ 9646 सैंपल मिले. ये अब तक का किसी पुरातत्व जगह पर पाया सबसे बड़ा टीथ सैंपल है. रिपोर्ट के अनुसार 50-60 अच्छे दांतों की डीएनए जाँच की गयी और उनसे पता चला कि यह गंगा के मैदानी इलाकों के रहने वाले थे ख़ासकर उत्तर प्रदेश, बंगाल और बिहार के इलाकों से थे. इससे पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि ये सैनिक पंजाब के ही थे.
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