आज हम एक ऐसे समुदाय के बारे में बात करेंगे, जिसका रहने सहने का तरीका आम समाज से बिलकुल अलग है. हम बात कर रहे है पाकिस्तान का कलाश समुदाय है जो पाकिस्तान के चित्राल इलाके में रहते है. यह पाकिस्तान की जनसख्याँ में अल्पसंख्यक जनजाति है, जिनके रहने का तरीका काफी अलग है. यह इलाका पाकिस्तान में अफगानिस्तान बोडर पर लगता है. इस समुदाय की जान हमेशा पाकिस्तान और अफगानिस्तान बोडर पर होने वाले हमलो में अटकी रहती है. साल 2018 में पाकिस्तान की जनगणना के अनुसार इस समुदाय में लोगो की संख्या 3800 है. ऐसा कहा जाता है कि इस इलाके में सिकंदर की जीत हुई थी. कलाश समुदाय के लोग दुनिया से कट कर रहते है, इनकी अपनी रीति रिवाजे है. कुछ लोगो का मानना है कि सिकंदर कलाश समुदाय का वंशज था.
दोस्ती, आईये आज हम आपको कलाश समुदाय के बारे कुछ ऐसी बातें बतायेंगे, जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे. इस लेख से हम आपको कलाश समुदाय के अनोखे ढंग से रहने का तरीका भी बतायेंगे.
और पढ़ें : दलित विवाह क्या है ? यहां जानिए इस विवाह की पूरी प्रक्रिया
पाकिस्तान का कलाश समुदाय
बलि देने की परम्परा : हम आपको बता दे कि पाकिस्तान का कलाश समुदाय के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ के घरो में रहते है, इस समुदाय में देवी देवताओ की पूजा की जाती है. इस समुदाय में बलि देने की भी परम्परा होती है. यह इस समुदाय के किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो इस समुदाय में शोक मनाने का रिवाज नहीं है. इस समुदाय के लोगो का मानना है कि ईश्वर की मर्ज़ी से हम लोग इस धरती पर आते है और ईश्वर की मर्ज़ी से हम लोग इस धरती से जाएंगे.
लडकियों को जीवनसाथी चुने का अधिकार : इस समुदाय की लडकियों के पास अपना जीवन साथी चुने का अधिकार होता है. अपनी पसंद के लडके के साथ शादी करने का अधिकार है. इस समुदाय की लडकी को कोई पुरुष पसंद आ जाता अहि तो वह उसके साथ रहने जा सकती है, और जब वापिस लौट कर आती है तो सब समझ जाते है कि इस लडकी को इस लडके से शादी करनी है.
महिलाओ के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी : इस समुदाय की महिलाओ के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी होती है. महिलाओ को ही घर पलना पड़ता है. महिलाये छोटे छोटे व्यापर करती है. कुछ चीजों को अपन्बे हाथ से बनती है, जिन्हें उनके पति बाजार में बेच कर आते है. इस समुदाय की महिलाएं ही भेद बकरियां पालती है, घर में पर्स और छोटी छोटी चीज़े बनती है.
समुदाय में अनोखी परम्परा : इस समुदाय की महिलाओं को जब भी पीरियड्स आते है तो अपने घर में नहीं रहती है. इनके लिए एक अलग जगह बनाई जाती है. पीरियड्स के समय महिलाएं वहा जाकर रहती है. पीरियड्स खत्म होने के बाद महिलाएं वापिस अपने घर आती है. महिलओं को अपने पीरियड्स की वजह से दूसरी जगह 5 दिन रहना पड़ता है. इस समुदाय का मानना है कि पीरियड्स के दौरान महिलाये घर में रहेंगी तो घर अपवित्र हो जायेगा. जिसके चलते उन्हें बहार जाकर रहना पड़ता है.
और पढ़ें : हिंदी साहित्य में ‘जातिवाद के विष’ को जनता के सामने लाने वाली इकलौती दलित लेखिका