हमारे समाज में जहाँ दलितों पर अत्याचार, उनके साथ जागिगत भेदभाव हो रहे है. वहीं आज का युवा हिन्दू रीति रिवाजों को छोड़ कर, बौद्ध परम्पराओं को अपना रहा है. क्यों कि बौद्ध धर्म में व्यक्तिगत पसंद के अनुसार सब होता है. तो क्या आप जानते है कि बौद्ध विवाह क्या होता है जिससे हम दलित विवाह भी कह सकते है. यह विवाह हिन्दू रीति रिवाजो से कितना अलग होता है ? युवा पीढ़ी इसकी ओर इतना आकर्षक क्यों हो रही है ? आईये आज हम आपको दलित विवाह के बारे में बताएंगे की कैसे यह विवाह होता है ? इस विवाह में क्यों कुंडलियो की जगह जोड़े का मन मिलना जरूरी माना जाता है. दलित बौद्ध विवाह पद्दति को ही अपनाते है. दलित हिन्दू रीति रिवाजो और बौद्ध रीति रिवाजो दोनो तरह से विवाह करते है.
और पढ़ें : हिंदी साहित्य में ‘जातिवाद के विष’ को जनता के सामने लाने वाली इकलौती दलित लेखिका
दलित विवाह क्या है ?
हम आपको बता दे कि दलित विवाह बहुत सरल होता है. यह हिन्दू विवाह में होना वाली रीति रिवाजो से एकदम अलग होता है. इसमें सिंदूर मंगलसूत्र जैसा कुछ नहीं होता, इस विवाह में दूल्हा दुल्हन दोनों एक दूसरे को फूलों की माला पहनाते है. रस्मों के नाम पर बौद्ध की प्रतिमा और बाबा साहेब की तस्वीर के सामने नमन करके प्रतिज्ञा लेते है. इसके साथ ही बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएँ लेते है, जिनमे नशे से दूर रहना, कुरतियो और अंधविश्वास से दूर रहना, भेदभाव नहीं करना, सबको सम्मान समझना और नारी का आदर करना जैसे बातें होती है.
दलित विवाह की प्रक्रिया
- दलित विवाह अपने आप में खास होती है. इसमें कोई मुहर्त नहीं देखा जाता, न ही कोई कुंडली मिलायी जाती है, इस विवाह में जुड़े का दिल मिलना जरूरी होता है.
- दलित विवाह में सफेद रंग अशुभ नहीं बल्कि शुभ माना जाता है. इसीलिए दूल्हा दुल्हन दोनों सफेद रंग के कपड़े पहनते है.
- दलित विवाह स्त्री पुरुष एक समान होते है तो दुल्हन को सिर ढकने, दुल्हे के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की कोई जरूरत नहीं होता है.
- आदरणीय भिक्षुगन और परिवार के समक्ष रस्मों के नाम पर बौद्ध की प्रतिमा और बाबा साहेब की तस्वीर के सामने नमन करके प्रतिज्ञा लेते है. इसके साथ ही बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएँ लेते है. जिनमे नशे से दूर रहना, कुरतियो और अंधविश्वास से दूर रहना, भेदभाव नहीं करना, सबको सम्मान समझना और नारी का आदर करना जैसे बातें होती है.
- दलित विवाह में भारतीय कानून के अनुसार भी हस्ताक्षर किए जाते है.
- दलित विवाह में सिंदूर मंगलसूत्र जैसा कुछ नहीं होता, इस विवाह में दूल्हा दुल्हन दोनों एक दूसरे को फूलों की माला पहनाते है.
हम आपको बता दे कि भारत में दलित बौद्ध विवाह पद्दति को ही अपनाते है. दलित हिन्दू रीति रिवाजो और बौद्ध रीति रिवाजो दोनो तरह से विवाह करते है.
और पढ़ें : अपने ‘लेखनी’ को तलवार बनाकर मनुवादी मानसिकता को झकझोरने वाली लेखिका के संघर्ष की कहानी