हथकड़ी को लेकर कानून क्या है? अक्सर हमने देखा है कि पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करते समय या न्यायालय में पेश करते हुए हथकड़ी लगाती है. किसी न्यायालय का यह आम नज़ारा है कि पुलिस किसी आरोपी को जब अदालत लाती है और उसे वापस थाने या जेल ले जाती है तो उसे हथकड़ी लगा देती है.
यह जानना आवश्यक है कि आखिर पुलिस को हथकड़ी लगाने का अधिकार कब है? आखिर वे कौन सी परिस्थितियां हैं, जब पुलिस किसी आरोपी को हथकड़ी लगा सकती है? सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों में हथकड़ी लगाने को असंवैधानिक कह चुका है.
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हथकड़ी को लेकर कानून क्या है
भारत में हथकड़ी लगाने की शर्ते
- केवल अजमानतीय (गंभीर) अपराध के मामलों में ही हथकडी लगाई जा सकती है.
- यदि अभियुक्त का पहले कोई record रहा है या चरित्र रहा है कि वह हिंसक हो सकता है, लोक शन्ति भंग कर सकता है, तोड़ फोड़ कर सकता है, या गिरफ्तारी में रुकावट डाल सकता है.
- वह suicide कर सकता है या भाग सकता है, Police से घिरे रहने के बावजूद.
- और, Valid reason होने पर Magistrate के order से ही हथकडी लगाई जा सकती हैं.
- यदि Routine manner में हथकड़ी लगाई जाती है, तो यह मौलिक अधिकार के विरूद्ध होगा.
कैसे बनती है हथकड़ी?
हैंडकफ उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन स्टील से बने होते हैं. केवल पेशेवरों के लिए उपयोग किया जाता है और वजन 300 ग्राम. 2 कुंजी के साथ हथकड़ी इसकी चाबियाँ. अधिकांश आधुनिक हथकड़ी स्टील से बने होते हैं, जो कलाई के आकार के अनुसार समायोज्य होते हैं, और एक स्वचालित लॉकिंग डिवाइस से लैस होते हैं. नायलॉन के डिस्पोजेबल हथकड़ी अब उपलब्ध हैं; उनका लाभ यह है कि एक पुलिस अधिकारी कई जोड़ियों को आसानी से ले जा सकता है, उदाहरण के लिए, दंगे की जगह पर.
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