‘हमेशा आसमान की ओर देखना भी जरूरी नहीं होता, कभी कभी जमीन की तरफ भी देख लेना चाहिए’ अब आप ये सोच रहे होगे कि मैं ऐसे क्यों बोल रही हूं? मेरा ऐसा बोलने के पीछे यह मकसद है कि हमारा देश बेसक से चाँद पर पहुच गया हो… लेकिन आज तक सीवरों में हो रही हजारों की तादाद में मृत्युओं को तक नहीं रोक पाएं है. क्या आप जानते है कि पिछले 30 वर्षों में सीवर साफ़ करते समय हजारो लोगों की मृत्यु हो गई जिनमे से अधिकतर दलित थे. उनके लिए मैनुअल स्कैवेंजर्स जैसे योजनओं होते हुए भी क्यों सिविर सफाई करते समय मरने वालो के परिवारों को मुआवजे तक नहीं मिल रहे है..
किसी ने सही कहा था कि देश का पूर्ण विकास तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक उस देश के नीचली वर्ग के लोगो को इंसान नहीं समझा जायेगा. जाने कितनी बार सीवरों की सफाई के दौरान हो रही मृत्यु के लिए आन्दोलन हुए है और कई कानून भी बने है, लेकिन आज भी सीवर साफ करने वालों की वही हालात है.
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 1993 के बाद सीवर साफ करते समय मरने वालों के परिवार को 10 लाख का मुआवजा दिया जायेगा और साथ ही समाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग को सारे मामलों को निपटने का आदेश दिया था.
लेकिन कुछ समय पहले लोकसभा में सामाजिक न्याय मंत्रालय ने बताया था कि 1993 से अब तक सीवर साफ करते समय मरने वालों की संख्या 1,035 है. लेकिन इसे अलग कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार यह संख्या इसे भी अधिक है. पिछले साल, एक संसदीय स्थायी समिति ने सीवर सफ़ाई के दौरान मरने वाले 104 लोगों के परिवार को मुआवजा जारी करने में केंद्र और राज्य सरकार की बात पर सवाल उठाया था लेकिन अब तो लंबित मुआवजे के मामलों की संख्या घटकर 87 हो गयी है.
तृणमूल कांग्रेस सांसद के राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बताया कि सरकारी आकड़ों से पता चला है कि पिछले 30 वर्ष में सिविर सफाई करते समय मरने वालो के 948 लोगों के परिवारों को मुआवजा मिला है. साथ ही बताया है कि मैनुअल स्कैवेंजर्स एक्ट 2013 के अनुसार पुनर्वास के बाद स्व रोजगार योजना के लिए दी जाने वाली राशि में 2019 के बाद काफी गिरावट आई है.
अठावले के अनुसार 2019-20 के केंद्रीय बजट में सरकार ने 110 करोड़ का बजट पास किया था लेकिन संशोधित अनुमान 99.93 करोड़ है. 2020-21 के केंद्रीय बजट में अनुमान 110 करोड था और संशोधित अनुमान 30 करोड था. 2021-22 के अनुमानित बजट 100 करोड़ था जबकि संशोधित अनुमान 43.31 करोड था.
और हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार इस साल सरकार ने मैनुअल स्कैवेंजर्स योजना के लिए बजट नहीं बनाया, मैनुअल स्कैवेंजर्स को नमस्ते योजना में मिला दिया है जिसका इस साल का बजट 97 करोड है. जब मैनुअल स्कैवेंजर्स के लिए अनुमानित बजट बन रहा है तो सीवर सफाई में मरने वाले लोगो को मुआवजा तक क्यों नहीं मिल रहा है ?
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