धारा 323 क्या है – इंडियन पेनल कोड से जुड़े अगले पन्ने में आज हम आपको हमारे देश में महिलाओं के साथ हिंसा या हाथ उठाने पर लागो व्होने वाले कानून के बारे में बताएंगे. वैसे तो हमारे देश में महिला को अक्सर अबला कहकर संबोधित किया जाता है. एक महिला होने के बावजूद शारीरिक दृष्टि से उसे कमजोर माना जाता है. शादीशुदा पुरुष अक्सर अपनी पत्नी पर हाथ उठाते व जोर आजमाते देखे जा सकते हैं.
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वे ऐसा करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार (birth right) समझते हैं. क्या महिला पर हाथ उठाना अपराध है? और यदि हां तो महिला पर हाथ उठाने पर कौन सी धारा लगती है? और अगर आप इन सवालों का जवाब नहीं जानते तो कूई बात नहीं आज हम आपको इस लेख में इसी पर चर्चा करेंगे और आपको बताएँगे.
आखिर पुरुष महिलाओं पर क्यों हाथ उठाते हैं?
दोस्तों, आपने अक्सर पुरुषों को महिलाओं पर हाथ उठाते देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरुष महिला पर हाथ क्यों उठाते हैं? मित्रों, इसका एक कोई सीधा सा कारण नहीं है. बहुत से मनोवैज्ञानिकों, मनो विश्लेषकों एवं समाज शास्त्रियों ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है. इस क्रम में जो उत्तर उनके सामने आए हैं, वे पारिवारिक कारणों से लेकर सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, वित्तीय जैसे कई तरह के पहलुओं को अपने आप में समेटे हुए हैं. मुख्य तौर पर ये खास खास कारण इस प्रकार से हैं-
पारिवारिक कंडीशनिंग: इस श्रेणी में आप उन पुरुषों को रख सकते हैं, जिन्होंने अपने परिवारों में अपने पिता या अन्य किसी रिश्तेदार को महिलाओं को मारते पीटते देखा है. उनकी पारिवारिक कंडीशनिंग इस प्रकार की होती है कि उन्हें इसमें कुछ बुरा भी नहीं लगता.
Making the assumption that if you’re born white you’re more likely to have money, opportunity and family stability is reckless.
I was born to a teen mother, a drug addict criminal father who was the son of immigrants, never taught to read or write.
Domestic violence and… pic.twitter.com/fjVl3EJ5H9— Ashlea Simon (@AshleaSimonBF) May 15, 2023
कुंठा: मित्रों, कई पुरुष हीन ग्रंथि के शिकार होते हैं. ऐसे में वे अपने से कमजोर महिलाओं पर हाथ उठाकर उन्हें पीटकर अपनी इस ग्रंथि को शांत करते हैं. इससे उन्हें ताकतवर होने का एहसास होता है.
मर्दानगी की गलत परिभाषा: हमारे देश में बहुत से पुरुष मर्दानगी की गलत परिभाषा को सही मानते हैं. इस परिभाषा के अनुसार वे मर्द होने के नाते वे औरत/महिला को काबू में रखना चाहते हैं. और इसके लिए उन्हें उनके खिलाफ हिंसा करना अथवा हाथ उठाना एक बेहतर जरिया लगता है.
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असहमति को खत्म करने का तरीका: हमारा समाज पितृसत्तात्मक समाज है. इसमें परिवार संबंधी सभी फैसले लेने का हक अधिकांशतः पुरुष को ही प्राप्त है. ऐसे में स्त्री यदि उसके किसी फैसले से असहमति जताती है तो पुरुष को उस पर हाथ उठाना ही उसकी असहमति को खत्म करने का एकमात्र तरीका नजर आता है और वह इसका बखूबी इस्तेमाल भी करता है.
अन्य कारण : बहुत सारे पुरुष ऐसे होते हैं, जो महिला पर हाथ उठाने के कई सारे बहाने बनाते हैं. जैसे कई बार वह नशे में होने का बहाना बनाते हैं तो कई बार आपा खो बैठने का बहाना बनाते हैं. असली समस्या स्त्री की है, जिसे हर हालत में इस हिंसा को केवल सहना पड़ता है.
महिला पर हाथ उठाने का अपराध
आपने देखा होगा कि गुस्सा आने पर लोग एक दूसरे को मारने के लिए पत्थर तक उठा लेते हैं. आपको बेशक रोजमर्रा के जीवन में यह सब देखने की आदत होगी और आपको लगता होगा कि यह सामान्य सी बात है, तो आपको यह बता दें दोस्तों कि ऐसा करना भी अपराध (crime) है.
यदि कोई आपको पत्थर फेंक कर मारता है और पत्थर आपको नहीं लगता, निशाना चूक जाता है तो वह पत्थर फेंका जाना भी अपराध की श्रेणी में आता है.
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धारा 323 क्या है ?
अब आते हैं मुख्य सवाल पर. किसी महिला पर हाथ उठाने में हाथ उठाने वाले पर कौन सी धारा लगती है? आपको बता दें कि ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति पर धारा (section)-323 लगाई जाती है.
यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी दूसरे व्यक्ति को चोट या नुकसान पहुंचाने की नीयत से हाथ उठाते हमला करता है तो वह सारे केस इंडिया पेनल कोड यानी आईपीसी (IPC) की इसी धारा के अधीन आते हैं. इस धारा में आरोपी को दोष सिद्ध होने पर 1 साल की कैद या ₹1000 का जुर्माना अथवा दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं.
क्या पत्नी पति को ऐसे मामलों में सजा दिला सकती है?
हमारे देश में पति द्वारा पत्नी की पिटाई पर कोई आश्चर्य व्यक्त नहीं किया जाता. इसको बहुत सामान्य सी बात मान लिया गया है. लेकिन यह सामान्य सी बात नहीं है. यदि पत्नी चाहे तो अपने पति को मारपीट के केस में जेल की हवा तक खिला सकती है. आईपीसी (ipc) के अंतर्गत इसका भी प्रावधान किया गया है.
मारपीट का आरोप सिद्ध होने पर दोषी पति को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत छह माह की जेल एवं 2000 रुपए का आर्थिक दंड तक भुगतना पड़ सकता है. आपको बता दें दोस्तों कि पत्नी से मारपीट करने पर पति के खिलाफ 498ए एवं 323 की धारा (section) लगती है.
पति से मार खाने के बाद भी क्यों छुप रहती हैं महिलाएं?
धारा 323 क्या है – बेशक आईपीसी में महिलाओं के लिए कई प्रावधान किए गए हों और कानून द्वारा उन्हें कई तरह की सहूलियतें प्रदान की गई हों, इसके बावजूद महिलाएं अपने पति के हाथ उठाए जाने के बावजूद उसके खिलाफ थाना या कोर्ट-कचहरी करने को तैयार नहीं होती.
इसके कई सारे कारण होते हैं. इसका एक बड़ा कारण यह है कि महिला अपने साथ हुई हिंसा को सार्वजनिक नहीं करती. उसे लगता है कि उसका व्यक्तिगत मामला है.
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