ONDC Full Form – इसका फुल फॉर्म होता है Open Network for Digital Commerce. सोशल मीडिया पर इन दिनों यह लगातार चर्चा में बना हुआ है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों की माने तो जो बर्गर आपको अन्य दुकानों में 283 रुपये का मिलता है वो आपको इस सरकारी प्लेटफार्म पर मात्र 110 रुपये में मिल जाएगा. वहीँ दूसरी तरफ जिस वेज स्ट्रीम मोमोस के लिए प्राइवेट कंपनिया 170 रुपये लेती हैं वो इस प्लेटफार्म पर मात्र 85 रुपये में मिल जा रहा है.
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की पहल पर शुरू किए गए ओएनडीसी प्लेटफॉर्म को ग्राहकों से भारी कमीशन वसूल रहीं ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए चुनौती माना जाने लगा है. एक दशक से अधिक समय से भारत सहित दुनिया भर में ई-कॉमर्स (ऑनलाइन व्यवसाय) में भारी वृद्धि हुई है. आंकड़ों की मानें तो देश में कुल खुदरा व्यापार का लगभग 6.5 प्रतिशत आज ई-कॉमर्स ई-कॉमर्स के जरिए होता है.
शहर से लेकर गांव तक बढ़ा ई-कॉमर्स नेटवर्क
ई कॉमर्स में रोज तेजी से हो रही तकनीकी अपडेट के चलते इनका दायरा अब शहर के दायरे से बाहर निकालकर गांवों तक फैल गया है. जिससे अब की दूर गाँव में बैठकर कोई भी आदमी मात्र एक बटन क्लिक करके कोई भी चीज बिना कहीं जाए आसानी से मंगवा सकता है. लेकिन इसके पीछे का जो सबसे बड़ा काला सच है वो ये हैं कि लोकल बिजनेस खत्म होते जा रहे हैं. और गिनी-चुनी कंपनियों का ई-कॉमर्स बाजार पर दबदबा बढ़ है. इससे पारंपरिक व्यवसायों को भारी नुकसान हो रहा है.
यहां सवाल केवल लोकल बिजनेस के प्रभावित होने या ई कॉमर्स कंपनियों की ओर से मोटा कमीशन वसूलने का ही नहीं है, बल्कि उससे भी गंभीर तथ्य यह है कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां डेटा पर अपने अधिपत्य के कारण विभिन्न विक्रेताओं के बीच भेदभाव करती हैं, जिससे छोटे विक्रेताओं को खासा नुकसान झेलना पड़ता है.
पारंपरिक दुकानदार हो रहे बर्बाद
ये कंपनियां ग्राहकों को सस्ता सामान और सेवाएं प्रदान करने का दावा तो करती हैं, लेकिन वास्तविकता तो ये हैं कि ये कंपनियां छोटे पारंपरिक दुकानदारों, ट्रैवल एजेंटों और विक्रेताओं बाजार से बाहर रखने के लिए हर तरह के तिकड़म लगाते हैं. एग्रीगेटर के रूप में काम करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां छोटे वेंडरों और गरीब कामगारों की आमदनी के एक बड़े हिस्से को हड़प रही हैं.
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और जब हमारे जहन में ये बात आती है कि क्या हम इन ई-कॉमर्स दिग्गजों ऐसा करने से रोकने का कोई उपाय है? तभी शुरुआत यहीं शुरू होती है सरकार की ओर से शुरू किए गए ओएनडीसी जैसे प्लेटफॉर्म की भूमिका. विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भी केंद्र सरकार ने ओएनडीसी (ONDC Full Form – ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) की शुरुआत की है, जो कंपनी अधिनियम की धारा आठ के तहत पंजीकृत एक कंपनी है.
खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक कड़ी बनने की सरकारी कोशिश
बाकी प्राइवेट ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की ही तरह ओएनडीसी नेटवर्कभी ई-कॉमर्स को एक चैनल प्रदान कर रहा है. यह खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक कड़ी बनने की कोशिश है, जिससे छोटे कामगारों और विकेताओं को प्राइवेट और मनमानी करने वाली कंपनियों से बचाया जा सकता है. इस प्ले्टफार्म पर ई-कॉमर्स कंपनियां डाटा पर अपने अधिपत्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल पर विक्रेताओं या खरीदार के बीच भेदभाव नहीं कर सकते.
ओएनडीसी को एक ऐसे प्लेटफॉर्म की तरह विकसित किया गया है जिससे उपभोक्ता विभिन्न प्रकार के विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं तक अपनी पहुंच बना सकें. वाणिज्य मंत्रालय की ओर से शुरू किए गए इस पहल का उद्देश्य ई-कॉमर्स बाजार में एकाधिकार के बजाय प्रतिस्पर्धा के आधार पर विक्रेताओं के व्यवसाय को बढ़ावा देना है.
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सामान्य ई-कॉमर्स कंपनियों से अलग है ONDC
ओएनडीसी (ONDC Full Form) सामान्य ई-कॉमर्स कंपनियों से अलग है. असल में यह विभिन्न प्लेटफार्मों और ग्राहकों के बीच एक ब्रिज का काम करेगा, जिसका खास उद्देश्य ई-कॉमर्स कंपनियों की तरह मोटा मुनाफा कमाना नहीं है. अभी तक सामान्य ई-कॉमर्स में विक्रेता और सेवा प्रदाताओं को प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराना होता था, इसलिए वे उन प्लेटफार्मों पर निर्भर होते हैं.
ऐसे में उपभोक्ता प्लेटफॉर्म पर केवल उन्हीं विक्रेताओं को देख पाते हैं, जो उस पर पंजीकृत होते हैं. ओएनडीसी ऐसी प्रणाली है, जिसमें विभिन्न प्लेटफॉर्मों को ही पंजीकरण की सुविधा प्रदान की जाती है. लेकिन ओएनडीसी की शर्त है कि इनमें से किसी भी प्लेटफॉर्म पर जिन वेंडरों या सेवा प्रदाताओं(service providers) ने खुद को पंजीकृत कराया है, उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुएं और सेवाएं ओएनडीसी पर आने वाले सभी ग्राहकों को दिखाई देंगी. यानी ओएनडीसी को पारदर्शी प्रणाली के रूप में विकसित करने की कोशिश की गई है.
जीआईएस के आधार पर उपभोक्ताओं को सेवाएं मुहैया कराती है ओएनडीसी
ओएनडीसी प्रणाली जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम (जीआईएस) यानी भौगोलिक सूचना तंत्र के जरिए काम करती है और लाखों विक्रेताओं व करोड़ों उपभोक्ताओं को उनके वास्तविक लोकेशन के आधार पर सुविधाएं मुहैया कराती है. उदाहरण के लिए यदि कोई उपभोक्ता घर बैठे किसी रेस्तरां से खाना या किसी दुकान से किराने का सामान मंगवाना चाहता है, तो ओएनडीसी प्रणाली में उसे आसपास के सभी रेस्तरां या किराना दुकानों पर उपलब्ध विकल्प दिखेंगे.
ये सभी विक्रेता और सेवा प्रदाता विभिन्न प्लेटफार्मों पर पंजीकृत होने के बावजूद ओएनडीसी पर संभावित खरीदारों को दिखाई देंगे. हालांकि जिन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वेंडर पंजीकृत हैं, वे वेंडर से अपने समझौते के अनुसार शुल्क ले सकते हैं, लेकिन व्यवसाय लाने के लिए प्लेटफार्मों के बीच प्रतिस्पर्धा से उनका कमीशन अपने आप कम हो सकता है.
हर प्लेटफॉर्म ज्यादा से ज्यादा व्यवसाय के लिए अपना कमीशन कम रखना चाहेगा. इस प्रकार ओएनडीसी ई-कॉमर्स को प्लेटफार्मों के एकाधिकार से मुक्त करती है और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करती है.
ONDC पर आसान पहुंच बना सकते हैं स्थानीय कारोबारी
ONDC को हाल ही में पेश किया गया है, इसलिए इस प्रणाली में बहुत कम व्यवसाय हो रहा है, लेकिन उम्मीद है कि यह निकट भविष्य में इसका विस्तार तेजी से होगा. इससे छोटे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विज्ञापन पर भारी खर्च किए बिना उपभोक्ताओं तक पहुंच सकते हैं. ओएनडीसी प्रोटोकॉल विभिन्न विक्रेताओं के बीच अंतर नहीं करता. यदि ओएनडीसी प्रणाली सफल होती है, तो इसके साथ-साथ ई-कॉमर्स के सभी फायदे तो बदस्तूर मिलेंगे ही, इसकी खामियों से भी बचा जा सकेगा.
आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में आज जितने भी ऑनलाइन लेन-देन होते हैं, उनमें से 40 फीसदी से ज्यादा भारत में हो रहे हैं. इस तरह ओएनडीसी जैसे प्लेफॉर्म न केवल उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के शोषण को रोकने में कारगर हैं, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को सुविधा प्रदान करके सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में भारी वृद्धि करने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं.
खुदरा विक्रेताओं को बड़ी कंपनियों के साथ काम करने के अवसर भी देगा ओएनडीसी
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी डिजिटल व्यापार के लिए खुला नेटवर्क (ONDC Full Form kya hai) को लेकर सकारात्मक हैं. बीते दिनों उन्होंने इस पर बोलते हुए कहा था कि यह प्लेटफॉर्म छोटे खुदरा विक्रेताओं को आधुनिक तकनीक के माध्यम से मदद करेगा. यह सुविधा छोटे खुदरा विक्रेताओं को बड़ी कंपनियों के साथ काम करने के अवसर भी मुहैया कराएगा.
गोयल ने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है. ओएनडीसी दरअसल यूपीआई भुगतान सुविधा की तरह ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए एक सुविधा है. यह खरीदारों और विक्रेताओं को एक खुले नेटवर्क के जरिये डिजिटल रूप से किसी भी एप या मंच पर लेनदेन करने में सक्षम बनाएगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओएनडीसी की टीम ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए काम कर रही है ताकि पूरे देश में लाखों छोटे-छोटे स्टोर और छोटे खुदरा विक्रेता बंद न हो जाएं, जैसा हमने पश्चिमी देशों में देखा है.
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