Insolvency – एयरलाइन कंपनी Go First ने कहा है कि उसकी आर्थिक हालात ठीक नहीं है. कम पैसे में हवाई यात्रा करवाने वाली इस कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित करने की अपील दायर कर दी है. इसके साथ ही 3 मई से गो फर्स्ट की सभी उड़ानें 3 दिन के लिए रोक दी गई हैं. यानी 3, 4 और 5 मई को गो फर्स्ट की एक भी फ्लाइट नहीं उड़ेंगी. 2 मई की रात से ही यात्रियों को समस्याएं शुरू हो गईं. कई यात्री ऐसे भी थे जिन्हें एयरपोर्ट से लौटना पड़ा या अपने पैसे खर्च करके दूसरी फ्लाइट का टिकट लेना पड़ गया.
"If you want to be a Millionaire, start with a billion dollars and launch a new airline." – Richard Branson 🛫
Go First Airlines employs over 5,000 people has filed for insolvency 📉
The airlines industry operates in a commoditised structure.
A commoditised structure means… pic.twitter.com/7JdQVGnUkr
— CA Kanan Bahl (@BahlKanan) May 2, 2023
इस मामले पर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि सरकार गो फर्स्ट की पूरी मदद कर रही है और पूरी घटना पर नजर भी रख रही है. दरअसल, गो फर्स्ट लंबे समय से आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है. अब उसके पास पैसों की इतनी कमी है कि वह ईंधन कंपनियों का बकाया नहीं चुका पा रही है. दूसरी तरफ, गो फर्स्ट को इंजन देने वाली कंपनी Pratt & Whitney ने भी सप्लाई बंद कर दी है. पैसों की कमी के चलते तेल कंपनियां गो फर्स्ट को तेल देने को तैयार नहीं हैं. इसके चलते गो फर्स्ट ने अपनी उड़ानें रोक दी हैं.
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कैसे दिवालिया हुआ गो फर्स्ट?
Go First Insolvency – फंड की कमी की बाद गो फर्स्ट एयरलाइन ने अपनी उड़ानों को फिलहाल तीन दिनों के लिए रोक दिया है. नकदी संकट से जूझ रही एयरलाइंस ने अमेरिकी इंजन कंपनी को इसके लिए दोषी बताया है. एयरलाइन ने कहा कि उनके बेड़े के 50 प्रतिशत विमानों का परिचालन ठप रहा. क्योंकि उन्हें अमेरिकी फर्म प्रैट एंड व्हिटनी से आर्डर के मुताबिक इंजन नहीं मिले. एयरलाइन कंपनी ने इंजनों की आपूर्ति में बाधा और विफल हो रहे इंजनों को कारण बताया. गो फर्स्ट एयरलाइन ने कहा कि अमेरिका की पीएंडडब्ल्यू इंटरनेशनल एयरो इंजन (Pratt & Whitney’s International Aero Engines) की आपूर्तियों में लगातार दिक्कतें आती रही.
एयरलाइन ने कहा कि इंजन कंपनी पीएंडडब्ल्यू को 27 अप्रैल, 2023 तक कम से कम 10 स्पेयर लीज्ड इंजन और 10 और इंजन देने को कहा गया, लेकिन पीएंडडब्ल्यू ने आदेश का पालन नहीं किया. जिसका असर उसकी कमाई पर पड़ा है. विमानों का संचालन नहीं हो सका. कंपनी की ओर से भेजे जा रहे इंजनों के विफल होने की संख्या बढ़ती रही. विफल इंजनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण उन्हें उड़ानें बंद करनी पड़ीं.
Go First Insolvency कंपनी की ओर से मिल रहे खराब इंजनों और वक्त पर सप्लाई न होने के कारण गो फर्स्ट के 50 फीसदी विमान ही ग्राउंड पर रहे. जिसका नुकसान उन्हें हुआ है. कंपनी ने इस स्थिति को लेकर कहा की पीएंडडब्लू विमान इंजनों की मरम्मत और पार्ट्स मुहैया कराने में नाकाम रहा. जिसकी वजह ने उनके 50 फीसदी विमान खड़े हो गए. विमानों का परिचालन बाधित होता रहा. परिचालन का खर्च बढ़ता रहा.
बर्बादी के पीछे है वजह – Go First Downfall
- एयरलाइन के मैनेंजमेंट में लगातार हो रहे बदलाव भी कंपनी की खराब होती हालात का जिम्मेदार है.
- एयरलाइन के पास फंड की कमी रही.
- पिछले कुछ महीनों से गो फर्स्ट के आधे विमान ही गाउंड पर रहे.
- प्रैट एंड व्हिटनी की ओर से इंजन सप्लाई में बाधा आती रही.
- गो फर्स्ट के पास 61 विमान हैं, जबकि इंडिगो के पास 310
गो फर्स्ट को नोटिस – Go First Insolvency
गो फर्स्ट की कमाई लगातार घटती रही है. विमान इंजन की आपूर्ति में आ रही बाधा के चलते एयरलाइंस अपने पूरे विमानों का संचालन नहीं कर पाया. पर्याप्त विमान नहीं होने से एविएशन सेक्टर की कमाई तेजी से घटी. जिसका असर सीधे तौर पर एयरलाइंस के फंड पर पड़ा. विमान सेवा रोकने पर DGCA ने गो फर्स्ट को नोटिस भेजा है. 24 घंटे के भीतर एयरलाइन से जवाब मांगा गया है.
Basically shows how bizzare this situation is!
Airline has filed for bankruptcy & DGCA has sent a notice to explain why it suspended flights for 3rd & 4th May #GoFirst pic.twitter.com/KgPRdeYVfg
— Arindam Majumder (@ari_maj) May 2, 2023
वहीं नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि एयरलाइन को बचाने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने कहा कि गो फर्स्ट इंजन आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रही है. इस मामले में सरकार हरसंभव तरीके से एयरलाइन की मदद करती रही है. वहीं .गो फर्स्ट ने कहा कि अगर पीएंडडब्ल्यू इंजन सप्लाई को पूरा करती है तो एयरलाइन फिर से अगस्त-सितंबर 2023 अपने पूरे परिचालन से साथ लौट जाएगी.
कब माना जाता है दिवालिया?
Go First Insolvency – कानून के मुताबिक, किसी व्यक्ति या कंपनी को दिवालिया तब घोषित किया जा सकता है जब उस पर कर्ज बढ़ता जा रहा हो और आर्थिक स्थिति ऐसी हो कि वह कर्ज चुकाने में सक्षम न हो. ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति कोर्ट में और कंपनियां NCLT के सामने खुद को दिवालिया घोषित करने की अपील दायर कर सकती हैं.
सबसे पहले NCLT की ओर से उस कंपनी को बचाने की कोशिश की जाती है. इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किए जाते हैं और उनको 180 दिन का समय दिया जाता है. अगर 180 दिन में कंपनी की हालत सुधर गई तो वह फिर से पहले की तरह काम करने लगती है. अगर हालत नहीं सुधरती तो कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है.
दिवालिया घोषित होने के बाद क्या होता है ?
दिवालिया घोषित कर दिए जाने के बाद कंपनी की सारी संपत्तियों की बिक्री की जाती है. इस बिक्री से मिलने वाले पैसों को देनदारों में बांटा जाता है. हालांकि, अगर संपत्ति लिए गए कर्ज से कम हो तो देनदारों को काफी घाटा भी होता है. उदाहरण के लिए दिवालिया होने वाली कंपनी ने पांच लोगों के 100-100 रुपये करके कुल 500 रुपये का कर्ज लिया था. अब दिवालिया होने के समय उसकी संपत्ति सिर्फ 50 रुपये की ही बची है. इस स्थिति में पांचों देनदारों को सिर्फ 10-10 रुपये ही मिल पाएंगे.
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