बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक महार परिवार में हुआ था, दलित जाति का होने के साथ-साथ उनके घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी, लेकिन फिर भी उनके पिता रामजी ने उन्हें बहुत पढ़ाया था. बाबा साहेब के पास 32 डिग्रीधारी भी कहा जाता था. वह अपने समय के सबसे पढ़े लिखे व्यक्तियों में गिने जाते थे. बाबा साहेब अम्बेडकर पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने लंदन के विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्री की डिग्री प्राप्त की थी. हम सब बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान निर्माता, राजनीतिग्य और समाज सुधारक रूप में जानते है, लेकिन इससे अलग भी इनकी एक और छवि है यह एक महान अर्थशास्त्री भी है. आज तौर पर बाबा साहेब अंबेडकर को हम समाज सुधारक और दलितों के हक के लिए आवाज के लिए जानते है. लेकिन एक अर्थशास्त्री के रूप बाबा साहेब को कम इंसान जानते है, उन्होंने हमारे देश में अर्थशास्त्री के रूप से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके चलते उनका हमारी अर्थव्यवस्था में काफी बड़ा योगदान माना है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको बाबा साहेब अंबेडकर की एक नई छवि से रूबरू करवाते है, बाबा साहेब अंबेडकर ने अर्थशास्त्री के तौर पर क्या ख्याति प्राप्त की है.
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अर्थशास्त्री के रूप में बाबा साहेब अंबेडकर
यह तो आप जानते ही होंगे कि बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक महार परिवार में हुआ था, महार जाति को उस समय अछूतों में गिना जाता था. जिसके चलते उन्हें अपना पूरा जीवन जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा था. आमतौर पर बाबा साहेब को हम समाज सुधरक के रूप मे जानते है लेकिन भारत के महान अर्थशास्त्री में भी गिने जाते है.
बाबा साहेब अंबेडकर भारत के पहले ऐसे व्यक्ति है जिन्हें अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी. बाबा साहेब अंबेडकर ने 1915 कमे अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र से एम.ए. किया था. 1917 में इन्होने इसी संस्थान से पीएचडी की भी डिग्री प्राप्त की थी. बाबा साहेब अंबेडकर ने 1921 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉ. ऑफ साइंस की भी डिग्री प्राप्त की थी. इन्हें हमारे देश का सबसे बड़ा अर्थशास्त्री में गिना जाता था.
अर्थशास्त्री के तौर पर बाबा साहेब का योगदान
हमारे देश में अर्थशास्त्री के रूप बाबा साहेब का योगदान का महत्वपूर्ण योगदान है. बाबा साहेब ने लेख मौद्रिक अर्थशास्त्र, सार्वजनिक वित्त, कृषि अर्थशास्त्र आदि क्षेत्रो में बहुत योगदान दिया है. इन्होने अर्थशास्त्र पर विभिन्न किताबे भी लिखी है, जिनमे ‘द प्रॉब्लम ऑफ रुपी: इट्स ओरिजिन एंड सॉल्यूशन , ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास” आती है.
बाबा साहेब ने 1937 में उस समय की खेती प्रणाली के खिलाफ एक विधेयक लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके अंग्रेज किसानो से कर वसूलने और उसे सरकार के पास जमा करने के लिए एक बिचौले को नियुक्त करते थे. यह बिचौले अंग्रेजो के ही आदमी होते थे, जो आम तौर पर किसानो का शोषण करते थे. बाबा साहेब का हरे देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. बाबा साहेब ने देश में अर्थशास्त्री के रूप में बहुत से काम किए है.
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