हम सब बाबा साहेब को संविधान निर्माता, राजनेता, अर्थशास्त्री, वकील, पत्रकार और समाज सुधारक के तौर पर जानते है. बाबा साहेब को अछूत जाति का होने के कारण जीवन भर जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा था. जिसके चलते उन्होंने हिन्दू जाति व्यवस्था का विरोध किया और दलितों के साथ भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने दलितों को अपने हकों के प्रति जागरूक भी किया, जिसके चले आज बाबा साहेब को बहुत सारे लोग बहुत मानते है. खुद को अम्बेडकरवादी बताने वाले लोग आज समाज सुधारक के तौर पर काम कर रहे है. आज के समय में ऐसे लाखो लोग है, जो बाबा साहेब से प्रभावित होकर बाब साहेब के क़दमों पर चल रहे है. और समाज के कल्याण के लिए काम कर रहे है. साथ ही कुछ ऐसे लोग भी है जो पूरी तरह बाबा साहेब के लिए समर्पित है. जो बाबा साहेब के गाने गाते है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको ऐसी ही एक गायक के बारे में बतायेंगे, जिन्होंने बाबा साहेब के लिए बहुत से गाने गए है, जो गायक के साथ साथ एक समाज सुधारक भी है.
और पढ़ें : कल्याणी ठाकुर चरल: बांग्ला दलित साहित्य में दलितों की स्थिति को उकेरने वाली ‘पहली’ महिला
निशा भगत की लोकप्रियता
शुरुवात में कई लोगो ने बाबा साहेब पर खानदेसी गीत तो लिखे थे, जो कफो लोकप्रिय भी हुए, लेकिन इन गीतों पर किसी ने भी कैसेट नहीं बनाई थी. निशा भगत पहली ऐसी महिला या ऐसा भी कह सकते है कि पहली ऐसी गायक थी जिसने बाबा साहेबपर खानदेसी गीत गाने के साथ साथ, उन गीतों की की कैसेट भी बनाई थी. निशा भगत द्वारा बाबा साहेब के गए गए गीतों कि ये बुद्ध पर्वत , जयभीमची मालगाडी, तीर्थरूप बाबासाहेब और हैलो, मी बाबूराव बोलतोय कैसेट काफी लोकप्रिय हुई थी. निशाताई ने बाबा साहेब के हजारों गाने गाये है, इनकी सैंकड़ों कैसेट मार्किट में मिल जाती है. निशाताई को हारमोनियम और तबला भी बहुत अच्छे से बजाना आता है. वह खाली समय में बाबा साहेब की किताबों को भी पढ़ती है.
हम आपको बता दे कि निशाताई ने बाबा साहेब के गीतों के साथ साथ फिल्मों के लिए भी गाने गए है. निशाताई भीमगीता और लोकगीतों के साथ कव्वाली भी गाती है. निशाताई के पति शंकर कांबले फिल्म इंडस्ट्री में काम करते है जिनकी वजह से उन्हें फिल्मों के गाने का भी मौका मिला था. निशाताई ने लक्ष्मी वसंत , थंब लक्ष्मी थम्मक जैसे मराठी और सैंया भईल कोटवाल, डाकू बसंती, मुन्नीबाई जैसे भोजपुरी फिल्मों में गाने गाये है. उन्होंने हिंदी फिल्म ‘बाल भीमराव’ फिल्म में एक्टिंग और प्लेबैक सिंगर के तौर पर भी काम किया है.
सामाजिक सुधार में भी आगे निशाताई
निशाताई सिर्फ बाबा साहबे के लिए गाने नहीं गाती है साथ में समाज सुधारक के तौर पर भी काम करती है. निशाताई बाबा साहेब की किताबों को भी बहुत चाव से पढती है. निशाताई सामाजिक तौर पर महिलाओं की समस्याओं और पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने का काम करती है साथ में जातिव्यवस्था के खिलाफ भी आवाज उठती है. हम आपको बता दे कि निशाताई को मराठी और हिंदी के साथ उर्दू और अरबी जैसे भाषाओँ में भी महारत हासिल है आपको जानकर हैरानी होगी कि यह दोनों भाषाएं निशाताई ने महज 1 महीने ने सीखी थी.
और पढ़ें : हिंदी साहित्य में ‘जातिवाद के विष’ को जनता के सामने लाने वाली इकलौती दलित लेखिका