Tihar Jail Number 3 story Hindi – देश का सबसे बड़ा कैदखाना माने जाने वाले तिहाड़ जेल में खूंखार कैदियों को रखा जाता है. तिहाड़ कैंपस में 10 जेल हैं, इनमें जेल नंबर-3 बहुत ही खतरनाक मानी जाती है. यहां कोई भी कैदी रहना ही नहीं चाहता है. दरअसल, यहां कैदियों को लगता है कि भारतीय संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु का साया आसपास टहल रहा है.
ALSO READ: वो जानवर जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा हो रही है तस्करी, लाखों में है 1 किलो…
सूत्र बताते हैं कि कुछ कैदी इसे मन का वहम मान कर दूसरों को तसल्ली देते हैं, मगर उनका क्या, जिन्हें रात में अफजल के ख्याल आते हैं. कथित रूप से जेल में भटकने वाली आत्माओं यानी भूतों को शांत करने के लिए यहां पूजा-पाठ भी होते रहते हैं. इसके बावजूद कई कैदियों ने यह शिकायत की है कि उन्होंने भूत को देखा है.
मंडराता है अफज़ल गुरु का साया
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस जेल में कैद बंदियों को लगता है कि यहां अफजल गुरू का साया आसपास मंडराता है. बता दें कि भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ के इसी बैरक में फांसी दी गई थी और जेल में ही उसका शव दफना दिया गया था.
पूजा-पाठ करते हैं कैदी – Tihar Jail Number 3
जेल सूत्रों की मानें तो कथित रूप से जेल नंबर-3 में भटकने वाली आत्माओं और भूत-प्रेतों से बचने के लिए कैदी हनुमान चालीसा का जाप करते हैं और पूजा-पाठ भी करने लगते हैं. कैदियों ने कई बार मौखिक शिकायत भी दर्ज कराई है कि उन्होंने बैरक नंबर-3 में भूतों को मंडराते देखा है.
डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं
बताया जाता है कि बैरक नंबर तीन में रात के वक्त कैदियों को कथित रूप से मृत आत्माओं के चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती हैं. यही नहीं, कहा तो यहां तक जाता है कि एक बार भूतों ने कैदी को बुरी तरह मारा भी था. हालांकि, अंधविश्वास के चलते जेल प्रशासन इन बातों पर विश्वास नहीं करता और ऐसी खबरों को बाहर नहीं आने देता है.
तिहाड़ के बैरक नंबर-3 में बंद कैदियों को परेशान करने वाली आत्माओं में खुदकुशी कर चुके बंदियों की आत्माएं भी शामिल हैं. माना जाता है कि जेल में दबंग कैदियों से प्रताड़ित होकर सुसाइड करने वाले बंदियों की आत्माएं भी यहां मंडराती रहती हैं.
करते हैं हनुमान चालीसा का पाठ
सूत्रों का कहना है कि सच यह है कि बैरक नंबर 3 के अधिकतर कैदी रात को मन ही मन हनुमान चालीसा जपते हैं, या अपने धर्म के अनुसार इबादत करने लगते हैं. दरअसल, जेल के हाई सिक्योरिटी जोन में बंद रहे अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.
अफजल गुरु के बारे में 8 फरवरी की रात तक कैदियों को इल्म नहीं था कि अगली सुबह तिहाड़ में उसे फांसी दी जानी है. 9 फरवरी की सुबह 8 बजे अफजल गुरु को फांसी पर जैसे ही लटकाया गया, दोपहर तक तिहाड़ के कैदियों को पता चल गया.
क्या कहते हैं जेल के अफसर?
जेल के कुछ अफसरों का भी मानना है कि तिहाड़ में भूतों का वास है. इन अफसरों का कहना है कि यहां कुछ ऐसे कैदी भी आए जो मुलजिम नहीं थे और वक्त के मारे उन्हें जेल में आना पड़ा. यहां उन्हें दबंग कैदियों ने तरह-तरह से परेशान किया और अंत में उनमें से कई ने जेल के अंदर आत्महत्या कर लीं. ऐसे में उनकी आत्मा यहां भटकती रहती है और कई बार दबंग कैदियों को परेशान करती है.
ALSO READ: आज के दिन यहां के लोगों की परछाई भी उनका साथ छोड़ देती है.
दरअसल, तिहाड़ कैंपस में वैसे तो 10 जेल हैं लेकिन बैरक नंबर 3 में ही सिर्फ फांसी का तख्ता है. इस जेल में ही अधिकतर खतरनाक आतंकवादी कैद किए जाते हैं. भूतों की जितनी भी शिकायतें जेल अधिकारियों को मिली हैं, उनमें सबसे अधिक बैरक नंबर-3 से ही आई हैं.