यात्राओं ने बदला है राजनीतिक पार्टियों का भविष्य
कभी कोई चलती हुई बच्ची को भावुक होकर गले लगा लेना, तो कभी भीड़ में गिरी छात्रा को खुद से उठाना। बारिश में भी जनता के बीच खड़े होकर भाषण देना, तो कभी जमीन पर बैठकर अपनी माँ के खुले हुए जूते के फीते को बांधना। ये छवि किसी पप्पू टाइप इंसान की तो नहीं लगती। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा शुरू कर देना ये भी किसी अपरिपक्व आदमी की निशानी नहीं है। भारत के इतिहास में भी बहुत सारी यात्रा हुई और अगर आजाद भारत की बात करे तो अपने राजनितिक हितों को साधने के लिए भी नेताओं ने बहुत सारी यात्रा निकली है और इसका सकारात्मक प्रभाव उनके और उनके पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर भी देखने को मिला है। जैसे की राजीव गांधी की सन्देश यात्रा, 1991 में मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व की एकता यात्रा, और लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा तो सभी को याद होगी जो भारतीय जनता पार्टी के लिए 2014 लोकसभा चुनाव में नीवं या फिर कहे बुनियाद के रूप में काम कर रही थी। आज हम बात करेंगे राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के बारे में। आज हम ये जानने की कोशिश करेंगे की क्या भारत जोड़ो यात्रा राहुल गाँधी और कांग्रेस को नई राजनीतिक दिशा दे पायेगी ?
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क्या कांग्रेस के लिए भारत जोड़ो यात्रा संजीवनी का काम करेगी?
भारत जोड़ो यात्रा राहुल गाँधी और कांग्रेस को नई राजनीतिक दिशा दे पति है या नहीं ये तो राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं पर निर्भर करेगा जिससे वो इस भारत जोड़ो यात्रा का अंत करेंगे। 7 सितम्बर को कन्याकुमारी से शुरू हुई ये यात्रा इन दिनों हजार किलोमीटर से ज्यादा चल कर मध्य भारत के नजदीक पहुंच चूका है। इस भारत जोड़ो यात्रा से जहाँ एक तरफ भाजपा की चिंता बढ़ रही है वही दूसरी तरफ कांग्रेस राहुल के इस परिपक्व और जिम्मेदार रूप को देख कर खुश दिख रही है। भारतीय जनता भी उत्सुकता के साथ राहुल गाँधी और भारत जोड़ो यात्रा को देखना चाह रही है और सोच रही है की क्या सच में राहुल की ये यात्रा भी अन्य यात्राओं की तरह पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी?
राहुल के इस दमदार, मजबूत, और परिपक्व इंसान की छवि से सोच में पड़ी जनता
जनता का ये सोचना लाजिब भी है, क्यूंकि भाजपा या फिर कह ले की 2014 के बाद मोदी सरकार ने हमेशा राहुल गांधी पर राजनीतिक और व्यक्तिगत तौर पर अपरिपक्व, अविकसित, और बचकाना होने का आरोप लगाया है। आप मीडिया में कई वीडियो देख सकते है जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के अन्य सभी नेता राहुल गाँधी के इन चीजों का मजाक उड़ाते दिख जायेंगे। जनता के दिमाग में भी किसी राजनेता की ये सब हरकते बहुत गहरे रूप से अपना छाप छोड़ती है और वो भी तब, जब सामने देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस और गांधी परिवार का उत्तराधिकारी हो। भाजपा ने हमेशा से अपने विपक्ष कांग्रेस पर कमजोर होने और देश को सही से ना चला पाने का आरोप लगाती रही है और इसका सबसे बड़ा कारण राहुल गाँधी को बताया जाता रहा है। अब जनता राहुल गांधी के इस दमदार, मजबूत, और परिपक्व इंसान की छवि को देख कर सोच में पड़ गई है।
देश ढूंढ रहा मजबूत विपक्ष
कभी राहुल गाँधी बारिश में खड़े होकर भाषण देते हुए दिखते है, जिससे जनता को एक दमदार युवा नेता की छवि दिखती है, तो कभी भीड़ में गिरी छोटी बच्ची को खुद ही उठाते दीखते है जिससे जनता तक राहुल की एक जमीनी स्तर वाले इंसान की छवि पहुंचती है। कभी राहुल जमीन पर बैठ कर अपनी माँ सोनिया गाँधी के जूते के फीते बांधते दिख कर जनता में श्रवण पुत्र जैसा चरित्र बना रहे हैं तो कभी अपाहिजों का हाथ थामते दिख राहुल राहुल गाँधी दयालु इंसान की भी तस्वीर जनता के दिमाग में बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। आम जनता के लिए किसी नेता को इस तरह देखना बहुत बड़ी बात है। खासकर युवा पीढ़ी के लिए तो ये बिलकुल नई बात है की कोई इतना बड़ा नेता जिस पर हमेशा से बचकाना और अपरिपक्व होने का इल्जाम लगते रहा है वो इस रूप में भी जनता के बीच आ सकता है। एक तरफ जहाँ पूरा देश एक मजबूत विपक्ष की कमी को महसूस कर रहा था वही दूसरी तरफ आम जनता के दिमाग और मन में प्रधानमंत्री मोदी की छवि के आगे कोई दूसरा ऑप्शन भी नहीं आ पा रहा था।
क्या राहुल की ब्रेक्स लगा देगी भारत जोड़ो यात्रा पर ब्रेक?
अब पुरे देश की जनता के दिमाग और मन में राहुल गाँधी की ये दमदार, मजबूत, और परिपक्व इंसान वाली छवि अपनी जगह बना पति है की नहीं ये तो जनता खुद ही चुनाव में बताएगी और ये सब कुछ इस बात पर बहुत हद तक निर्भर करेगा की राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा के अंत तक कितने उत्साह से अपने और अपने इस यात्रा के साथ देश की जनता को जोड़े रखने में कामयाब होते हैं। अभी तो फिलहाल की बात करे तो राहुल गाँधी के मन से ये ब्रेक या छूटी की बात नहीं निकल रही। क्यूंकि कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी 3 दिनों का अवकास लेकर मलिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष की शपथ दिलवाने गए थे। अब भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस को सच में जनता और देश के दिल में अपना एक दमदार, मजबूत, और परिपक्व इंसान और विपक्ष की छवि बनानी है तो इन छोटे-छोटे ब्रेक्स से हमेशा के लिए ब्रेक ले लेना चाहिए। नहीं तो बड़े-बड़े ग्रंथों और इंसानो ने हमेशा से एक कहावत कहा है, “जस करनी तस भोगाहूँ ताता, नरक जात में क्यों पछताता” मतलब की जैसा बोवोगे वैसा खाओगे।
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