UCC Impact on Tribal Community in Hindi – इस समय देश में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) का मुद्दा छाया हुआ है. जहाँ इस UCC को लेकर कई विपक्षी पार्टी और कई धरम के लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं बीजेपी की सरकार इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है और इसी मुद्दे पर चुनाव जीतने की तैयारी में जुट गयी है. जहाँ इस UCC लागू होने के बाद , भारत में रहने वाला हर नागरिक जो किसी भी धर्म, जाति के ताल्लुक रखता हो या किसी भी लिंग का हो UCC लागू होने के बाद इन सबके लिए एक समान कानून होगा. तो वहीं इस UCC का असर आदिवासी समाज पर भी पड़ेगा और इस वजह से आदिवासी समाज इस UCC का विरोध कर रहा है.
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आदिवासी समाज के इन एक्ट पर पड़ेगा UCC का असर
नागरिक संहिता की वजह से आदिवासी समाज के कई एक्ट पर इसका असर पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, इस UCC से आदिवासी समाज सीएनटी, एसपीटी और पेसा कानून पर इसका प्रभाव पड़ेगा साथ ही झारखंड में आदिवासी समाज को मिले जमीन को लेकर विशेष अधिकार पर भी इस UCC का असर होगा. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि आदिवासी समाज परंपराओं, प्रथाओं के आधार पर टिका हुआ है और अगर UCC लागू होता है तो आदिवासियों की अस्मिता खत्म हो सकता है.
आदिवासी समाज के जमीन पर किया जा सकता है कब्ज़ा
इसी के साथ UCC लागू होने के बाद आदिवासी समाज की महिलाओं को जहाँ संपत्ति का समान अधिकार मिल जाएगा. वहीं इस हिसाब से अगर कोई गैर आदिवासी एक आदिवासी महिला से शादी करता है, तो उसकी अगली पीढ़ी की महिला को जमीन का अधिकार मिलेगा और इस वजह से आदिवासियों के जमीन से जुड़े नियम प्रभावित होंगे साथ हो जिस आदिवासी भूमि खरीद बिक्री पर अभी रोक है उसे हड़पा जा सकता है.
आदिवासी समाज के पैठू प्रथा में हो सकता है बदलाव
वहीं अदिवासियों (UCC Impact on Tribal Community) के रीति-रिवाजों के अनुसार, इस समाज में तीन तरह से शादियां होती हैं. शादी से पहले दोनों घरों के लोग तीन बार मिलते हैं और तीन बार मिलने के बाद शादी की बात फाइनल हो जाती है. वहीं शादी के दौरान दूल्हे के पक्ष के लोग शादी का खर्च उठाता है और दहेज की कोई व्यवस्था नहीं है वहीं आदिवासी समुदायों की पैठू प्रथा के अनुसार, लड़की को लड़का पसंद आने पर बिना शादी किए लड़के के घर में वह रहने लगती है लेकिन शादी बाद में होती है लेकिन UCC आने के बाद ये नियम बदल सकता है.
इस वजह से आदिवासी समुदाय कर हैं UCC विरोध
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44(1-2) में कहा गया है कि प्रथागत कानून पहले की तरह लागू रहेंगे और इस वजह से आदिवासियों पर UCC का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन अदिवासी समाज को लग रहा है कि यूसीसी को देश भर में लागू करने पर उनके रीति-रिवाजों और संस्कृति में बदलाव हो सकता है साथ ही यूसीसी अदिवासी समाज की प्राचीन पहचान को कमजोर कर देगा.
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