UCC Impact on Muslims in Hindi – यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) जिसका मतलब है कि, भारत में रहने वाला हर नागरिक जो किसी भी धर्म, जाति के ताल्लुक रखता हो या किसी भी लिंग का हो UCC लागू होने के बाद इन सबके लिए एक समान कानून होगा. इसी के साथ देश में जब से ये सिविल कोड लागू होगा तब से विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम लागू हो जाएंगे. जहाँ देश की बीजेपी सरकार इस यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे को चुनाव में उतारकर लोकसभा चुनाव जीतने का एजेंडा सेट कर रही है तो वहीं मुसलमान समाज इस UCC का विरोध कर रही है. वहीं इस बीच इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रह हैं कि इस UCC का मुसलमानों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
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मुस्लिम पर्सनल लॉ में होगा ये बदलाव
इस UCC के लागू होने के बाद सभी धर्मो के कानून बदल जाएंगे तो वहीं मुस्लिम पर्सनल (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 भी बदला सकता है. इस एक्ट के तहत शरीयत या इस्लामी कानून के तहत शादी, तलाक और भरण-पोषण लागू होगा. तो वहीं इस UCC के लागू होने के बाद शरीयत कानून के तहत तय विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी और बहुविवाह जैसी प्रथाएं खत्म हो जाएंगी.
हलाला और इद्दत पर लगेगी रोक
वहीं देश में समान नागरिक संहिता (UCC Impact on Muslims) यानि एक कानून लागू होने के बाद हलाला पर रोक लग जाएगी. यानि कि कोई मुस्लिम अपनी पत्नी तलाक देता है लेकिन सहमति के बाद ये दोनों दोबारा एक होना चाहते हैं तो वहीं दोबारा एक होने से पहले इस तलाकशुदा औरत को किसी दूसरे मर्द से निकाह करना होगा. नए पति से शारीरिक संबंध बनाने होंगे इसके बाद अगर नया पति उसे तलाक दे देता है तब जाकर वो औरत अपने पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है.
लेकिन UCC आने के बाद ये नियम बदल जायेगा या खत्म हो सकता है. इसी के साथ औरत के तलाक होने पर जहाँ उसे तीन महीने दस दिन अकेला रहना होता है ताकि वो किसी मर्द के सामने ना आए और उसका किसी के साथ शारीरिक संबंध न बने ऐसा नियम भी बदल सकता है या खत्म भी हो सकता है.
इस वजह से मुस्लिम समाज कर रहा है UCC का विरोध
UCC को लेकर विपक्षी पार्टियों ने बयान देते हुए कहा है कि इस UCC के लागू होने के बाद बीजेपी हिंदुत्व की राजनीती करेगी. तो वहीं इस UCC को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि ” UCC के प्रावधान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत के कानून के तहत नहीं हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत पर आधारित है इसलिए कोई भी मुसलमान उसमें किसी भी तरीके के बदलाव को मंजूर नहीं करेगा और इस वजह से ये मुस्लिम समाज इस UCC का विरोध करेगा.
मुस्लिम समुदाय ने संविधान सभा में भी किया UCC का विरोध
वहीं जब भारत में संविधान तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई और इस दौरान भी UCC का जिक्र हुआ. एक रिपोर्ट के अनुसार, संविधान सभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपनाने को लेकर लंबी बहस हुई थी. वहीं इस बहस के दौरान मुस्लिम समुदाय ने यूसीसी को आपत्ति जताई थी. वहीं नजीरुद्दीन अहमद सहित कई सदस्य इसके खिलाफ थे.
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