आतंकी भिंडरांवाले के कुकृत्यों को दोहरा रहा है अमृतपाल सिंह, 5 समानताएं

By Awanish Tiwari | Posted on 11th Mar 2023 | देश
Similarities between Amritpal Singh and Bhindranwale

देश में इन दिनों खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का नाम काफी चर्चा में बना हुआ है. अमृतसर के अजनाला प्रकरण के बाद से ही वो एकाएक सुर्खियों में आ गया है. देश विरोधी बयान दे रहा है, खालिस्तान की मांग कर रहा है, पंजाब को भारत से अलग करने की बातें कह रहा है लेकिन अभी तक उसके ऊपर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई देखने को नहीं मिली है. वहीं, दूसरी ओर उसे भिंडरांवाले 2.0 भी बताया जा रहा है. वह स्वयं भी खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) का अनुयायी होने का दावा करता है. ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक हो जाता है कि दोनों में समानता क्या है?

और पढ़ें: क्या है ख़ालिस्तान का पाकिस्तान कनेक्शन? ख़ालिस्तानी अपने नक़्शे में पाक को क्यों नहीं दिखाते ?

 अमृतपाल सिंह और भिंडरांवाले में क्या समानताएं हैं?

पहला- आतंकी जनरैल सिंह भिंडरांवाले भी पंजाब को भारत से काटकर खालिस्तान बनाने की मंशा पाले हुआ था और उसके लिए उसने शासन को चुनौती तक दी थी लेकिन उसका जो हश्र हुआ, वह इतिहास में दर्ज है. अब अमृतपाल सिंह की महत्वाकांक्षा भी वैसी ही है. वह खुले तौर पर खालिस्तान की मांग करते हुए दिख रहा है. हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) को धमकी देते हुए उसकी वीडियो भी वायरल हुई थी.

दूसरा- आतंकी भिंडरांवाले ने खालिस्तान की मांग करते हुए सत्ता को चुनौती दी थी और अपने बचाव के लिए खुले तौर पर धर्म का इस्तेमाल किया था. अब अमृतपाल सिंह भी वही कर रहा है. अमृतपाल द्वारा दिए गए इतने विवादित और देशविरोधी बयानों के साथ-साथ पुलिस स्टेशन पर हमले के बावजूद उस पर किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया गया. उसके पीछे का एक बड़ा कारण है- सिखों का समर्थन. यानी भिंडरांवाले की भांति यह भी अपने बचाव के लिए खुलेआण धर्म का इस्तेमाल करता दिख रहा है.

तीसरा- भिंडरांवाले भी सिख धर्म का प्रसार या यूं कहें कि खालसा सिखों के प्रसार के लिए अमृत संचार अभियान चलाता था. हजारों की संख्या में लोग उससे जुड़ते थे और वह उन्हें अपने हिसाब से मैनेज करता था. अमृतपाल सिंह भी अमृत संचार अभियान चलाता है. विकीपीडिया के अनुसार, उसने अपना पहला अमृत संचार अभियान राजस्थान के श्रीगंगानगर में आयोजित किया था. जिसमें तकरीबन 647 लोगों ने अमृत ग्रहण किया और खालसा सिखों का हिस्सा बने.

इसके बाद उसने घर वापसी अभियान शुरू किया. आनंदपुर साहिब में उसने 927 सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों को अमृत ग्रहण कराया. अमृतसर में उसने एक और बड़ा अमृत प्रचार अभियान चलाया था, जिसमें पूरे भारत के 1,027 सिखों और हिंदुओं ने अमृतपान किया था और खालसा सिख बने थे. हालांकि, इस अभियान का मुख्य मकसद अलगाववाद को बढ़ावा देना ही है.

चौथा- आतंकी भिंडरांवाले दमदमी टकसाल का मुखिया था और यह संस्था उस समय सिखों के एक विशेष तबके में अपनी अच्छी पकड़ रखती थी. उसने दमदमी टकसाल के माध्यम से ही अपने कुकृत्यों को अंजाम दिया और बाद में ऑपरेशन ब्लू स्टार में सेना के हाथों मारा गया. अब अमृतपाल सिंह भी उसी के नक्शेकदम पर चलते हुए वारिस पंजाब दे का स्वयंभू अध्यक्ष बन गया है. भिंडरांवाले के समय में भी पुलिसवालों को धमकाया जाता, उन्हें पीटा जाता यानी एक तरह कहा जा सकता है कि उसने राज्य में कानून व्यवस्था खत्म ही कर दी थी. अब अमृतपाल सिंह भी कुछ वैसा ही करता हुआ नजर आ रहा है.

पांचवा- श्रीगुरुग्रंथ साहिंब की पालकी का इस्तेमाल

भिंडरांवाले ने जब श्रीअकाल तख्त साहिब में पनाल ली थी, तब उसने श्रीगुरुग्रंथ साहिब की पालकी का सहारा लिया था. उस समय हरियाणा में पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया था लेकिन तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल को आदेश दिया था कि भिंडरांवाले को सुरक्षित हरियाणा से निकलने दिया जाए. हालांकि, उसके बाद हरियाणा पुलिस का जो आधिकारिक बयान आया, वह चौंकाने वाला था. पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि चूंकि भिंडरांवाले के साथ श्रीगुरुग्रंथ साहिब की पालकी थी, इसलिए उन्हें जाने दिया गया.

अब अमृतपाल सिंह के मामले में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है. अजनाला पुलिस स्टेशन पर कब्जे के लिए अमृतपाल सिंह ने भी यही हथकंडा अपनाया और श्रीगुरुग्रंथ साहिब की आड़ ली. नतीजा यह हुआ कि कोई उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाया. उसके बाद पुलिस और नेताओं की ओर से ऐसा कहा गया कि छह जिलों की पुलिस ने 'हथियार' इसलिए छोड़ दिए और बल प्रयोग नहीं किया कि श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी न हो।

अब आप ऊपर के सभी समानताओं को देखेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि इतिहास को दोहराया गया है, चीजें बहुत ही बदतर स्थिति में पहुंचने वाली है लेकिन अभी तक प्रशासन या यूं कहें कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. 

 और पढ़ें: आखिर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को बचा कौन रहा है?

Awanish  Tiwari
Awanish Tiwari
अवनीश एक समर्पित लेखक है जो किसी भी विषय पर लिखना पसंद करतें है। इन्हें इतिहास, पॉलिटिक्स, विदेश और देश की खबरों पर अच्छी पकड़ हैं। अवनीश को वेब और टीवी का कुल मिलाकर 4 वर्षों का अनुभव है।

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

अन्य

प्रचलित खबरें

© 2022 Nedrick News. All Rights Reserved.