माघ मेले की कमान संभालेंगे IPS ऑफिसर डॉ.राजीव नारायण मिश्रा
2021 और 2022 से लगातार 2 बार माघ मेले की अगुवाई करने वाले 34 के पीएसी वाहिनी वाराणसी में सेनानायक के पद पर तैनात डॉ. राजीव नारायण मिश्रा (IPS officer Dr. Rajeev Narayan Mishra) ने बखूबी इस मेले की जिम्मेदारी संभाली थी. वहीं एक बार फिर योगी सरकार (yogi goverment) ने माघ मेले के लिए IPS ऑफिसर डॉ.राजीव नारायण मिश्रा को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) नियुक्त किया है.
Covid-19 के दौरान संभाली थी मेले की कमान
डॉ. राजीव मिश्रा ने माघ मेले में यात्रियों के साथ-साथ सुरक्षा के लिए आने वाले सुरक्षाकर्मियों की भी Covid-19 के प्रोटोकॉल के तहत जांच करवाई थी और जिन पुलिसकर्मियों में कोविड महामारी के लक्षण पाए गए थे उन्हें अलग क्वारंटाइन कर दिया गया था.
यही वजह थी कि माघ मेले (magh mela) में लगे सुरक्षाकर्मियों और पुलिस पीएसी (PAC) के जवानों में कोरोना सबसे कम फ़ैल पाया. जिससे मेला प्रशासन को जरूरत के मुताबिक फोर्स जगह-जगह तैनात करने में मदद मिली थी। अपने अच्छे व्यहारों और जनता से प्यार से बात करने (मृदुभाषी) डॉक्टर मिश्रा के ऊपर योगी सरकार ने एक बार फिर भरोसा करते हुए माघ मेले की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है.
पिछले साल मेले में बड़ा हादसा होने से बचाया
माघ मेले में मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, पौष पूर्णिमा, बसंत पंचमी व महाशिवरात्रि सबसे बड़े स्नान पर्व माने जाते हैं। पिछले साल मौनी अमावस्या को संगम पर अचानक से भीड़ बढ़ने से मची भगदड़ की वजह से जिस तरह के हालात पैदा हो गए थे उस हालत में इतनी बड़ी भीड़ को संभाल पाना एक मुश्किल था लेकिन डॉ. राजीव नारायण मिश्रा की मुस्तैदी से यहां पर बड़ा हादसा होने से बच गया था.
निडरता और बहादुरी के तमाम किस्से
आईपीएस डॉ. राजीव नारायण मिश्रा एचसीएल (HCL) सॉफ्टवेयर इंजीनियर के अपहरण के मामले को हल किया था 23 मई को एक HCL सॉफ्टवेयर इंजीनियर को जिला गाजियाबाद में अपहरण कर लिया गया था। एसएसपी गाजियाबाद के अनुरोध पर उन्हें 27 मई की सुबह यह काम सौंपा गया था और उनके निरंतर प्रयासों से सार्थक परिणाम मिले और उन्होंने अपनी टीम के साथ बंधक को बचाने में सफलता हासिल की और 1 जून को उनके साथ मुठभेड़ में कट्टर अपराधियों को पकड़ लिया। जिसके बाद उन्हें लखनऊ स्थित DGP मुख्यालय में उन्हें 15 अगस्त 2018 यानि 71वें स्वतंत्रता दिवस को प्रतिष्ठित डीजीपी की प्रशंसा डिस्क (गोल्ड) (prestigious DGP’s commendation disc (Gold) पुरस्कार से नवाज़ा गया था
इससे पहले साल 2017 में लखनऊ में अंकित चौहान हत्या मामले को सुलझाने के लिए प्रतिष्ठित डीजीपी की प्रशंसा डिस्क (गोल्ड) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसे अप्रैल 2015 में नोएडा रोड पर पीछा करते हुए गोली मार दी गई थी इस मामले को सीबीआई नई दिल्ली को ट्रान्सफर कर दिया गया था और मामले का खुलासा करने के लिए सीबीआई ने 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की भी गयी थी।
लेकिन मामला इतना पेचीदा हो गया था कि सुलझने का नाम नहीं ले रहा था जिसके बाद में डॉ. राजीव नारायण मिश्रा ने इसे सुलझाया और आरोपियों को गिरफ्तार कर सजा दिलाई . वहीं एसपी एसटीएफ के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 3700 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ी ऑन लाइन पोंजी योजना का भी खुलासा किया।
राष्ट्रपति के वीरता पुरस्कार से सम्मानित हैं डॉ. राजीव
अयोध्या में 2005 में हुए आतंकवादी हमले में डॉ. राजीव नारायण मिश्रा के बहादुरी के साथ लड़ने आतंकवादियो को मार गिराने में एक अहम भूमिका निभाई थी जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति के वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।
इसके अलावा उन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक व अन्य बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्तमान में डॉ. राजीव नारायण मिश्रा, सेनानायक 34वीं वाहिनी पीएसी, वाराणसी में नियुक्त हैं, और इसके पहले एसएसपी, एसटीएफ, लखनऊ व कुशीनगर के कप्तान भी रह चुके हैं.
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