28 जून को राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल की निर्मम हत्या (Udaipur Kanhaiyalal Murder) ने पूरे देश में आक्रोश का माहौल बना दिया है। कन्हैयालाल टेलर की हत्या रियाज अतारी और गौस मोहम्म्मद ने उनके दुकान पर नाप देने के बहाने कर दी थी। दोनों आरोपी ने (Kanhaiyalal) के गले को चाकू से रेत दिया और उसके बाद फरार हो गए। हालांकि उदयपुर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। शुरुआती तौर पर निर्मम हत्या की वजह पैगंबर मोहम्मद को लेकर बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में कन्हैयालाल के 8 साल के बेटे का पोस्ट बताया जा रहा है। लेकिन अब इस हत्याकांड के तार पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी (Dawant e islami) नामक इस्लामिक संगठन से जुड़ते हुए नज़र आ रहें हैं।
कन्हैया लाल का गला रेतना वाले दोनों आरोपी पाकिस्तान के दावत-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े होने की बात सामने आ रही है। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो ये दोनों आरोपी दावत-ए-इस्लामी के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हुए हैं। हत्या के बाद दोनों आरोपी अजमेर दरगाह जियारत के लिए जाने वाले थे। भारत में इससे पहले भी इस इस्लामी संगठन पर धर्मांतरण के भी आरोप लग चुके हैं। ऐसी भी खबरें आती रहती है कि इस संगठन द्वारा जगह-जगह पर दान पेटियां रखी जाती हैं और इनके माध्यम से आने वाले धन को गलत गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है। बता दें , इस पाकिस्तानी इस्लामिक संगठन के सस्थापक मौलाना अबू बिलाल इलियास अत्तारी हैं। (Dawat e islami) संगठन का दुनिया के 194 देशों में बड़ा नेटवर्क फैला हुआ है।
क्या है दावत-ए-इस्लामी संगठन
दावत-ए-इस्लामी (Dawat e islami) खुद को गैर राजनीतिक इस्लामी संगठन करार देता है। मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास ने इस इस्लामिक संगठन की स्थापना 1981 में पाकिस्तान के कराची में की थी। भारत में यह संगठन पिछले चार दशकों से सक्रिय है। इसका प्रमुख कार्य शरिया कानून का प्रचार-प्रसार करना और उसकी शिक्षा को लागू करना संगठन का उद्देश्य है। यह संगठन दुनिया भर में सुन्नी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है। इस पाकिस्तान के इस्लामिक संगठन की अपनी खुद की वेबसाइट है। वेबसाइट के माध्यम से यह इस्लामिक संगठन कट्टर मुसलमान बनने के लिए शरिया कानून के तहत इस्लामी शिक्षाओं का ऑनलाइन प्रचार-प्रसार कर रहा है। दावत-ए-इस्लामी के करीब 32 तरह के इस्लामी कोर्स इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए अलग-अलग तरह के कोर्स हैं। इसके अलावा यह संगठन कुरान पढ़ने और मुसलमानों को हर तरीके से शरिया कानून के लिए तैयार करता है। यह संगठन अपनी वेबसइट पर एक न्यू मुस्लिम कोर्स भी चलाता है, जो पूरी तरह से ऑनलाइन है। इसका उद्देश्य धर्मांतरण कर नए-नए मुसलमानों को इस्लामी शिक्षाओं से रूबरू कराना है। इस कोर्स के माध्यम से धर्मांतरण करने वालों को जिहादी बनने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।
भारत में दावत-ए-इस्लामी की दस्तक
1989 में पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। इसी के बाद ‘दावत-ए-इस्लामी’ संगठन को लेकर भारत में चर्चा शुरू हुई और इसकी शुरुआत हुई। जिसके बाद यह संगठन धीरे-धीरे भारत में अपनी जड़ें मजबूत करता चला गया। भारत में दिल्ली और मुंबई में संगठन का हेडक्वार्टर है। सैयद आरिफ अली अत्तारी ‘दावत-ए-इस्लामी’ के भारत में विस्तार का काम कर रहे हैं। दावत-ए-इस्लामी के लिए 90 के दशक में हाफिज अनीस अत्तारी ने अपने 17 साथियों के साथ मशविरा किया। इस दौरान तय किया गया कि जब तबलीगी जमात के लोग काफिला लेकर चल सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? बस यहीं से सिलसिला शुरू हो गया। उस समय लोगों को साथ जोड़ने के लिए 17 लोगों ने नया तरीका निकाला था। संगठन अपने संदेशों के विस्तार के लिए सालाना इज्तिमा (जलसा) भी करता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं।
दावत-ए-इस्लामी ने अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए चैनल खोल रखा है जिसका नाम मदनी है। इस चैनल पर उर्दू के साथ अंग्रेजी और बांग्ला में भी कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। चैनल का संचालन पाकिस्तान से किया जाता है। दावत-ए-इस्लामी के सदस्य हरा अमामा (पगड़ी) बांधते हैं तो कुछ लोग सफेद पगड़ी भी बांधने लगे हैं। इस संगठन की दो सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियां मदनी काफिला और नायक अमल हैं। तबलीगी जमात की तरह दावत-ए-इस्लामी के लोग इस्लाम का संदेश फैलाने के लिए विशिष्ट दिनों में यात्रा करते हैं। इस दौरान इस्लाम और पैगंबर के संदेश को पहुंचाने का काम करते हैं। (Dawat e islami) के लोग पैगंबर के जन्मदिनके मौके पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जुलूस भी निकालते हैं।
बता दें , कन्हैया लाल की हत्या की जांच करने के लिए राज्य सरकार ने SIT का गठन किया। SIT की टीम उदयपुर पहुंच गई है। इस हत्याकांड की जांच NIA भी करेगी। NIA की टीम भी आज उदयपुर पहुंचेगी।