माफिया अतीक अहमद (Mafia Ateeq Ahmed) ये नाम इस चर्चा में बना हुआ है क्योंकि अतीक अहमद को गुजरात (Gujrat) से उत्तर-प्रदेश (Uttar pradesh) लाया जा रहा है जिसके बाद उसे यहां पर अपनी मौत का डर सता रहा है क्योंकि यूपी इस समय एनकाउंटर के मशहूर हो रखा है और अतीक अहमद को भी डर हैं कि कोर्ट की करवाई के जरिए रास्ते में उसे मौत के हवाले किया जा सकता है. अतीक अहमद को साबरमती जेल से सड़क के रास्ते उत्तर प्रदेश लाया जा रहा है और उसे उत्तर प्रदेश लाने का मकसद कोर्ट में अतीक की पेशी है. अतीक अहमद एक ऐसा आरोपी है जिसके खिलाफ कई सारे मामलों में केस दर्ज हैं.
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अतीक अहमद के अपराधों की कहानी
अतीक अहमद के खिलाफ अभी तक 180 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.अतीक अहमद एक माफिया गैंग लीडर (Gang leader), हिस्ट्रीशीटर (history sheeter) है और उसके खिलाफ सन 1983 में जो पहली एफआईआर (Ateeq Ahmed first FIR) दर्ज हुई. उस वक्त उसकी उम्र महज़ अठारह साल थी. कुछ ही सालों में अतीक के गुनाहों की लिस्ट बढ़ने लगी. वहीं पुलिस करवाई से बचने के लिए 1989 में हुए यूपी के विधानसभा चुनावों में इलाहाबाद वेस्ट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और विधायक बन गया. इसके बाद वह इसी इलाहाबाद सिटी वेस्ट सीट से 1991, 1993, 1996 और 2002 में भी लगातार जीत हासिल करता रहा. पहला दो चुनाव वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता. तीसरे चुनाव में भी वह आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर ही मैदान में उतरा, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन ने उसे अपना समर्थन दिया और उसके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया.
1996 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुना गया तो 2002 में डा० सोनेलाल पटेल के अपना दल से. 2002 के चुनाव के वक़्त वह अपना दल का प्रदेश अध्यक्ष बना और हेलीकाप्टर से यूपी में कई जगहों पर प्रचार के लिए गया था. उसने अपने साथ अपना दल के दो और उम्मीदवारों को जीत दिलाई थी. साल 2004 में फिर से सपा में न सिर्फ उसकी वापसी हुई, बल्कि वह मुलायम सिंह की पार्टी से उस फूलपुर से सांसद चुना गया, 2004 में सांसद चुने जाने तक अतीक ने जिस भी चुनाव में किस्मत आजमाई, उसे हर जगह कामयाबी मिली और सर्कार में रहन के दौरान उसके आरोपं की संख्या बढ़ती चली गई.
सत्ता को बनाया अपनी ढाल
पांच बार विधायक (M.L.A.) और एक बार उस फूलपुर सीट (foolpur seat) से सांसद (MP Ateeq Ahmed) होने की वजह से आज तक उसे एक भी मामले में सज़ा नहीं मिली.वहीं उनकी दबंगई ऐसी है कि हाईकोर्ट के दस जजों ने उसके मुकदमों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.इसी वजह से उसे यूपी से बाहर की जेल में रखे जाने का आदेश दिया था. कहा जाता है कि जेल में रहने के दौरान अतीक अहमद उसके खिलाफ जाने वाले लोगों को जेल में लेकर पिटाई करवाता था. अतीक सियासत को ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया और हत्या-जानलेवा हमले, डकैती और अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम देता रहा. वहीं 1995 में लखनऊ के चर्चित स्टेट गेस्ट हाउस कांड (guest house khand) में भी अतीक का नाम सामने आया था.
अतीक ने सफेदपोश बनने का किस तरह दुरूपयोग किया और उनके खिलाफ नब्बे फीसदी से ज़्यादा मुक़दमे जनप्रतिनिधि बनने के बाद ही दर्ज हुए.इसी के दौरान 25 जनवरी साल 2005 को प्रयागराज में एक ऐसी घटना घटी, जिसकी वजह से अतीक और उसके परिवार के सियासी करियर को तबाह हो गया और अब इसी मामले पर उन्हें कोर्ट में पेश किया जा रहा है.
उमेश पाल हत्याकांड
उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) की शुरुआत साल 2005 में 25 जनवरी को हुई. राजू पाल जो उस समय बसपा के विधायक थे और उनको दिनदहाड़े प्रयागराज की सड़कों पर गोली मार दी गई. उमेश पाल इस केस में गवाह थे. और उमेश पाल की गवाही रोकने के लिए 28 फरवरी 2006 को उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया. इसके एक साल बाद उमेश पाल ने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में साल 2007 में केस दर्ज करवाया. वहीं जब उमेश पाल पर कोर्ट में इस मामले की गवई देकर लौटा तब 24 फरवरी को उमेश पाल कोर्ट गया था. कोर्ट की कार्रवाई खत्म होने के बाद उमेश पाल अपने भतीजे की क्रेटा कार से घर वापस आ रहे थे. कोर्ट से उनका पीछा कर रहे बदमाशों ने गाड़ी से उतरते ही घर के सामने गोली मारकर उमेश पाल की हत्या कर दी थी और इसी मामले की सुनवाई के लिए उसे उत्तर प्रदेश लाया जा रहा है.
परिवार भी है अपराधों में शामिल
अतीक जहाँ खुद गुजरात की साबरमती जेल में बंद है तो छोटा भाई अशरफ यूपी की बरेली जेल में. बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में कैद है तो दूसरा बेटा अली अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. तीसरे बेटे असद पर उमेश पाल शूटआउट केस में ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित है तो पत्नी शाइस्ता परवीन फरार हैं. एहजम और आबान नाम के दो नाबालिग बेटे बाल संरक्षण गृह में हैं.