पंजाब के मानसा में 29 मई को पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला (Sidhu Moosewala) की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी। लेकिन हत्या से एक दिन पहले यानी 28 मई को कनाडा से शूटर्स को कॉल आया था और उस कॉल पर सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा हटाने की जानकारी दी गई थी और वारदात को तुरंत अंजाम देने का आदेश भी दिया गया था। सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई के गैंग ने ली थी।
कैसे क्या-क्या हुआ?
28 मई को सुबह ठीक 11 बजे कनाडा से गोल्डी बराड़ का फोन प्रियव्रत फौजी के मोबाइल पर आता है। जिसमें गोल्डी कहती है कि हैलो फौजी, सुन, मूसेवाला की सुरक्षा हटा ली गई और अब तुझे बाकी लड़कों के साथ कल ही यानी 29 मई को हर हाल में काम को अंजाम देना है। मेरी टीम तैयार है। 29 मई को सुबह 10 बजे प्रियव्रत फौजी, अंकित और केशव हरियाणा के किरमारा इलाके में ठहरे थे। यहां तीनों के ठहरने की जगह नवदीप नाम के एक शख्स ने अरेंज कराई थी। यहां से तीनों मानसा के लिए बोलेरो से निकल गए।
29 मई को सुबह 10.30 बजे प्रियव्रत, अंकित और केशव ने दीपक मुंडी और कशिश को हरियाणा के हिसार के उकलाना मंडी से अपने साथ ले लिया। दीपक और कशिश राजेंद्र नाम के एक शख्स के ठिकाने पर ठहरे थे। 29 मई को सुबह 11.30 बजे यहां से पांचों आरोपी मानसा के लिए निकले। गोल्डी यानी डॉक्टर प्रियव्रत और मनप्रित मानू को फोन करता है और कहता है कि तुम सब मानसा के तीन किलोमीटर पहले एक ढाबे पर पहुंच जाना। 29 मई को ही शाम 4 बजे, गोल्डी बराड़ के कहने पर मानसा के तीन किलोमीटर पहले एक ढाबे पर शूटर्स पहुंच जाते हैं। ठीक 15 मिनट बाद पंजाब के दोनों कुख्यात शूटर्स मनप्रीत मानू और जगरूप रूपा भी उसी ढाबे पर पहुंच जाते हैं। यहां सभी गोल्डी के अगले आदेश का इंतजार करने लगते हैं।
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सिद्दू मूसेवाला की हत्या को अंतिम अंजाम देने वाली कॉल
29 मई को शाम 4.30 बजे-गोल्डी ने फिर शूटर्स को फोन किया। गोल्डी ने शूटर्स से कहा कि सुनो, सिद्धू के घर का बड़ा गेट खुल गया है ओर तुम लोग जल्दी उसके घर के लिए निकलो। सिद्धू बाहर निकलने वाला है। जवाब में शूटर्स कहते हैं, जी डॉक्टर साहब, तुरंत निकल रहे हैं। इसके बाद तेज रफ्तार से शूटर्स की दोनों गाड़ियां सिद्धू मूसेवाला के घर की ओर निकल जाती हैं। केवल केशव उसी ठाबे पर रुक जाता है। प्लान के मुताबिक हत्याकांड के बाद सभी को उसी ठाबे पर मिलना था। शूटर्स की बोलेरो कार मानसा गांव के पहले मानसा चौक पर ही रुक गई। गोल्डी ने फिर शूटर्स को फोन किया और कहा कि मूसेवाला घर से निकल गया है। ब्लैक कलर की गाड़ी में बिना सुरक्षा के, जल्दी जाओ। शूटर्स कहते हैं, जी डॉक्टर साहब। कुछ ही देर में मूसेवाला की थार ने शूटर्स की बोलेरो को क्रॉस किया। फिर शूटर्स की गाड़ी मूसेवाला के पीछे लग गई। मानसा चौक पर खड़ी दूसरी गाड़ी ने भी मूसेवाला की थार को फॉलो करना शुरू किया। एक वक्त शूटर्स को लगा जिस तरह रेकी के वक्त मूसेवाला जिस नहर के रूट्स का इस्तेमाल घर से निकलकर आगे जाने के लिए करता था, 20 मई को भी वही रूट लेगा, लेकिन उस रोज डर रूट न लेकर मुसेवाला जवाहरके की ओर निकल गया। फिर अगले ही कुछ सेकंडों में मूसेवाला की हत्या को अंजाम दे दिया गया। मूसेवाला शूटआउट की ये पूरी कहानी खुद दिल्ली पुलिस ने कैमरे पर बताई है। गोल्डी ने फिर शूटर प्रियव्रत फोजी को फोन किया। गोल्डी ने कहा कि तुम लोग फतेहाबाद जाओ, जहां रामनिवास नाम का शख्स तुम्हें रिसीव करेगा। वो तुम लोगों को एक होटल में लेकर जाएगा, जहां तुम्हारे रुकने का इंतेजाम होगा। रात 10.30 बजे तक शूटर्स सांवरिया होटल पहुंच जाते हैं, जहा सभी बीयर पीते हैं और रात वहीं गुजारते हैं।
हत्या के बाद भी शूटर्स को गाइड करने के लिए कॉल आएं
30 मई को सचिन भिवानी, कपिल पंडित, क्रेटा कार से सावरिया होटल पहुंचते हैं। फिर शूटर्स वो होटल छोड़ देते हैं। क्रेटा सचिन भिवानी चला रहा था। जबकि अंकित, प्रियव्रत, सचिन, केशव, कशिश भी उसमें सवार थे। कुछ दूर चलने के बाद रिट्ज कार आती है, जिसे किशन नाम का शख्स चला रहा होता है। कपिल पंडित उसके साथ बैठा था, फिर केशव भी इसमें शिफ्ट हो जाता है। अब दोनों गाड़ियां रोहतक हाईवे पर हांसी गांव जाकर रुकती है, जहां रुकने का इंतजाम किशन गुर्जर ने किया। 31 मई को केशव, कशिश, दीपक मुंडी, भिवानी के तोशना गांव में रुकते हैं। 1 जून को केशव, कशिश, दीपक मुंडी के लिए कपिल पंडित एक ट्रक का इंतजाम करता है, जिसमें बैठकर तीनों अहमदाबाद निकल जाते हैं। इस बीच ही गोल्डी का फिर फोजी को फोन आता है। गोल्डी कहता है कि सुनो, फौजी तुम 6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौप देना। फोजी कहता हे कि जी डॉक्टर साहब। इसके बाद प्रियव्रत फोजी कुल 6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौंप देता है। गोल्डी के आदेश के मुताबिक उसके बाद प्रियव्रत फोजी, अंकित, सचिन, कपिल ने राजगढ़ हाईवे से एक दूसरे ट्रक में सवार हो गए। 2 जून को दोनों ट्रकों से हरियाणा के रहने वाले आरोपी शूटर्स अहमदाबाद पहुंच जाते हैं। फिर वॉल्वो बस से रात 10 बजे मुंद्रा पोर्ट पहुंचते हैं, जहां आशीष नाम का एक शख्स एक फ्लैट में आरोपियों के रुकने का इंतजाम करता है।10 जून को मुंद्रा के अलग-अलग फ्लेट में सभी आरोपी शिफ्ट हो जाते हैं।14 जून को शूटर्स मध्यप्रदेश के इंदौर, विदिशा, ब्यावरा में रुके और फिर आगे निकल गए।