राहुल गांधी पर दर्ज हुआ विशेषाधिकार हनन का मामला
संसद के बजट सत्र में राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर कई सारे आरोप लगाए थे. इसी बीच उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए उद्योगपति गौतम अडानी और पीएम मोदी के रिश्ते को लेकर भी कई सारे सवाल किए. जिसके बाद अब राहुल गाँधी द्वारा दिए गए इस भाषण की वजह से वो बुरी तरह फंसते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल, राहुल गांधी पर विशेषाधिकार हनन का मामला दर्ज हुआ है और इस वजह से उनकी लोकसभा सीट छीन सकती है.
जानिए क्या है मामला
7 फरवरी को संसद बजट सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण के कुछ अंशों को सदन की कार्यवाही से (रिकॉर्ड से) भी हटाया गया था. राहुल पर भ्रामक, अपमानजनक, असंसदीय और आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा है. जिसकी शिकायत बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा सचिवालय में करी. लोकसभा सचिवालय में दर्ज की गयी शिकायत के मुताबिक, सदन में बोलते हुए राहुल गांधी ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे विशेषाधिकार का हनन हुआ है. लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी का पक्ष जानने के लिए उनसे जवाब तलब किया है. सचिवालय ने राहुल गांधी से नोटिस प्राप्त होने पर उसकी सूचना उपलब्ध कराने को भी कहा है. वहीं अगर राहुल गाँधी इस पर जवाब नहीं देते हैं और माफ़ी नहीं मांगते हैं तो उनकी लोकसभा सीट छीन सकती है.
राहुल गांधी पर लगा इस नियम के उल्लंघन का आरोप
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार, राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान सदन के कामकाज के नियम 353 और 369 का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि नियम 353 के तहत उस व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाए जा सकते जो अपने बचाव के लिए सदन में मौजूद नहीं है. इस नियम के तहत ऐसा करने के लिए पहले नोटिस देना होता है और लोकसभा अध्यक्ष से पूर्व अनुमति लेनी होती है. इसी तरह नियम 369 के तहत सदन में दिखाये गये किसी कागज को सत्यापित करना होता है जो कांग्रेस सदस्य ने नहीं किया.
जानिए क्या होता है विशेषाधिकार हनन
जब कोई व्यक्ति या प्राधिकरण व्यक्तिगत रूप से संसद में सदस्यों और सामूहिक रूप से सभा के किसी विशेषाधिकार और अधिकार की अवहेलना करता है या उन्हें चोट पहुंचाता है तो उसे विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाता है. वहीं सदन के दौरान अगर कोई सदस्य ऐसी टिप्पणी करता है जो संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाती हो तो ऐसी स्थिति में उस सदस्य पर संसद की अवमानना और विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
कब लाया गया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
इस विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को संसद में सदन के दौरान जब किसी सदस्य को लगता है कि कोई और सदस्य सदन में झूठे तथ्य पेश करके सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन कर रहा है तो वह सदस्य विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश कर सकता है. विशेषाधिकारों का दावा तभी किया जाता है जब व्यक्ति सदन का सदस्य हो. जब वह सदस्य नहीं रहता है तो उसके विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है. विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने के लिए सांसद को लोकसभा के महासचिव को सुबह 10 बजे से पहले लिखित में सूचना जारी करनी होती है. अगर यह सूचना 10 बजे के बाद जारी होता है तो उसे अगले दिन की बैठक में शामिल किया जाता है.
दोषी होने पर क्या मिलती है सजा
लोकसभा स्पीकर विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की जांच करने के लिए 15 सदस्यों की समिति का गठन करतें हैं और यह कमेटी जांच करती है कि विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सही है या नहीं. विशेषाधिकार समिति अगर किसी भी सदस्य को विशेषाधिकार या अवमानना का दोषी पाती है तो वह सजा की सिफारिश कर सकती है.
राहुल को 15 फरवरी तक देने होगा जवाब
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विशेषाधिकार हनन के मामले में लोकसभा सचिवालय की ओर से जो नोटिस भेजा गया है. उन्हें उसका जवाब 15 फरवरी तक देना होगा. राहुल गांधी के अलावा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भी सदन में असंसदीय भाषा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. हालांकि खरगे का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं बोला है फिर भी उनके शब्द रिकॉर्ड से हटाए गए. वहीं राहुल गाँधी इस नोटिस पर जवाब नहीं देते हैं तो उनकी अपनी लोकसभा सीट से छीन सकती है.
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