पुंछ अटैक: क्या अभी से ही बनाया जाने लगा है 2024 के लिए माहौल?

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भारी बारिश और लो विजिबिलिटी के बीच 20 अप्रैल को दोपहर 3 बजे सेना की गाड़ी जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर से गुजर रही थी. राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के जवानों को लेकर जा रही इस गाड़ी में राशन के अलावा ईंधन भी रखा हुआ था. गाड़ी अभी भीमबेर गली और पुंछ के बीच हाइवे से गुजर ही रही थी कि अचानक आतंकियों ने ग्रेनेड फेंककर गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. तेज बारिश के बीच गाड़ी में मौजूद जवान हमले के बारे में कुछ समझ पाते, इससे पहले ही आतंकियों ने सेना की गाड़ी पर करीब 50 राउंड फायरिंग की. इस बीच वाहन में आग लग गई.

इस हमले में हमारे 5 जवान शहीद हो गए. एक सैनिक का इलाज गंभीर हालत में राजौरी के सैन्य अस्पताल में चल रहा है. अटैक की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है. यह संगठन पाकिस्तान बेस्ड आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करता है. PAFF के कबूलनलामे से साफ होता है कि इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है. इस घटना को अंजाम देने में 4 आतंकियों की भूमिका हो सकती है.

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अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से शांति बनी हुई है. और भारत इस साल जी-20 समिट की अध्यक्षता कर रहा है. ऐसे समय आतंकियों का भारतीय सेना को जम्मू-कश्मीर में निशाना बनाना बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है. दरअसल, जी-20 की लागातर जारी बैठकों के बीच कुछ मीटिंग लेह और श्रीनगर में भी रखी गई हैं. भारत सरकार के इस कदम से ही आतंकी चिढ़ गए.

कड़ी हुई तैनाती

आपको बता दें की इस आतंकी हमले के बाद आस पास के इलाकों में सेना सुरक्षा बद्दा दी गयी है वहीँ सेना आतंकियों के हर मूवमेंट पर कड़ी नज़र रख रही है, इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद के हिट स्क्वाड पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है. हमले के बाद पुंछ में भींबर गली में सेना द्वारा तैनाती और भी कड़ी कर दी गई है, जिसकी कुछ तस्वीरें जारी की गई हैं.

G-20 बैठक को निशाने बनाने की धमकी

आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट PAFF के प्रवक्ता तनवीर अहमद राथर ने इंटरनेट मीडिया पर एक बयान जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली और कश्मीर में जी-20 बैठक को भी निशाना बनाने की धमकी दी है.

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PAFF को तबाह करने की तैयारी

पुंछ में आतंकी हमला ऐसे वक़्त में हुआ जब सबी सुरक्षा एजेंसियां अगले ही महीने  कश्मीर में  प्रस्तावित G-20  की बैठक को शांत और सुरक्षा एवं विश्वास्पूर्ण  माहौल में कराने की  तैयारी में जुटी पड़ी है. हमले की जिम्मेदारी लेने वाली  पीपुल्स  एंटी संगठन  के नेटवर्क को तबाह करने की तैयारी में है.

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पुंछ में हमला एक बड़ी साजिश का हिस्सा, इन  घटनाओं से समझे मामला
  1. एक जनवरी को जम्मू संभाग के सांबा जिले में रेलवे स्टेशन के पास रेलवे लाइन से 150 मीटर दूर एक पुराना मोर्टार मिला था.
  2. एक जनवरी को ही राजौरी तहसील के धनगरी गांव में दीपक कुमार, सतीश कुमार, प्रीतम लाल और शिव पाल की हत्या कर दी गई थी.
  3. 8 जनवरी को सुरक्षा बलों ने राजौरी में एक आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरादम किया था. इसे दंडोटे गांव में प्लांट किया गया था.
  4. 8 जनवरी को ही पुंछ जिले के बालाकोट सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना ने दो घुसपैठियों को मार गिराया गया था.
  5. 15 जनवरी को सुरक्षा बलों ने पुंछ जिले के सिंदारा गांव के पास सुरनकोट सेक्टर में एक आतंकवादी ठिकाने का पता लगाया. यहां से हथियार मिले थे.
  6. 18 जनवरी राजौरी जिले की राजौरी तहसील के खेओरा गांव से आईईडी बरामद किया गया था.
  7. 21 जनवरी को जम्मू जिले के नरवाल क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट नगर में टाइमर-फिटेड आईईडी ब्लास्ट किया गया था. 9 लोग घायल हुए थे.
  8. 9 फरवरी को पुंछ जिले में सर्च ऑपरेशन के दौरान 18 ग्रेनेड बरामद हुए थे.
  9. नौ फरवरी को ही सुरक्षा बलों ने पुंछ जिले की मेंढर तहसील में नाका मजियारी गांव में एक आतंकवादी ठिकाने का पता लगाया था. यहां से हथियार मिले थे.
  10. 5 मार्च को राजौरी के नेली गांव में 6 ग्रेनेड मिले थे. 22 मार्च को सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास एक पाकिस्तानी ड्रोन दिखा था.

पंजाब के रहने वाले थे 5 में से 4 जवान

हमले में शहीद होने वाले 5 जवानों में से 4 जवान पंजाब के ही थे. जिमस हवलदार  मंदीप सिंह लुधियाना जिले के पायक तहसील  के चनकोइयां काकन के रहने वाले थे.  सिपाही हरिकृष्ण  सिंह  गुरदासपुर  जिले के बटाला  तहसील तलवंडी बर्थ, लांस नायक कुलवंत सिंह मोगा जिले के चड़िक गांव, सिपाही सेवक सिंह बठिंडा जिले की तलवंडी साबो तहसील के बाघा गांव और लांस नायक देबाशीष ओडिशा के पुरी जिले के सत्याबंदी गांव के रहने वाले थे.

क्या है PAFF?

पीपुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट यानी PAFF पाकिस्तान बेस्ड आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद समर्थित आतंकी संगठन है. कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही PAFF का नाम सामने आने लगा था. ये आतंकी संगठन अंसार गजवत-उल-हिंद के मारे गए कमांडर जाकिर मूसा से प्रेरित है, जो वैश्विक आतंकी संगठन अल कायदा का भी वफादार माना जाता है.

कहीं 2024 का चुनाव निशाना तो नहीं ?

भारत में लगातार बढ़ रही छोटी गतिविधियों से एक ओर ये संकेत भी मिल रहा है कि कहीं आगे आने वाले 2024 के चुनाव से पहले सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने के काम में तो नहीं लगे है. क्योंकि राजनीतिक तत्वों का भी इन सबको गहरा समर्थन मिलता है ताकि देश भर में दंगे कर्क्वाकर वर्तमान सरकार की छवि को ख़राब करने की कोशिश की जाए ऐसे में ये कहना या ये कायश लगाना बिलकुल गलत नहीं होगा कि ये सब कुछ एक सोच्न्ही समझी साजिस्श के तहटी हो रहा है.

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