पंजाब से एक दुखद खबर समाने आई है खबर है कि शुक्रवार को पंजाब के मलेरकोटला के आखिरी नवाब की पत्नी बेगम मुनव्वर-उल-निसा का निधन हो गया है और 100 साल से ज्यादा की उम्र में उन्होने आखिरी सांस ली. जानकारी के अनुसार, मालेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान के वंश की ये 8वीं पीढ़ी की इकलौती बेगम थी. बेगम मुनव्वर उल निशा कई दिनों से बीमार थीं और मलेरकोटला के हजरत हलीमा अस्पताल में जेर-ए-इलाज चला रहा था जिसके बाद शुक्रवार को उन्होंने आखिरी सांस ली और इस बात की जानकारी उनके परिवार के लोगों ने दी.
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मालेरकोटला का है अनूठा इतिहास
मुनव्वर-उल-निसा मालेरकोटला के नवाब शेर मुहम्मद खान के वंश का आखिरी वारिस थी. बेगम मुनव्वर उल निशा मालेरकोटला के अंतिम नवाब इख्तियार अली खान की पत्नी थी, जिनका 1982 में निधन हो गया था. वहीं मलेरकोटला अपना एक अनूठा इतिहास है और ये बात उस समय कि है जब मुगल शासन ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह (जो उस समय 7 साल और 9 साल की उम्र के थे) को जिंदा ही दीवार में चिनवा देने का फैसला दिया था. वहीं मलेरकोटला के नवाब शेर मुहम्मद खान ने मुगल शासन के इस अमानवीय फैसले के खिलाफ आवाज उठाई थी. इसी की वजह से उन्हें सदियों से सम्मान के साथ याद किया जाता है.
पूर्व मुख्यमंत्री की सहेली थीं बेगम
वहीं मलेरकोटला के आखिरी नवाब की पत्नी बेगम मुनव्वर-उल-निसा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर की मां की सहेली थीं. इसी के साथ कैप्टन अमरिन्दर सिंह के मुख्यमंत्री काल में बेगम मुनव्वर उल निशा ने अपना महल पंजाब सरकार को सौंप दिया था. उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनका महल उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद भी ऐसा ही चमकता रहे.वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने श्री फतेहगढ़ साहिब में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित करके बेगम मुनव्वर उल निसा को सम्मानित भी किया था
बेगम के निधन पर इन लोगों ने जताया दुःख
बेगम मुनव्वर-उल-निसा के निधन पर पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने गहरा दुख व्यक्त किया उन्होंने एक बयान में कहा कि बेगम मुनव्वर उल निशा, छोटे साहिबजादे के पक्ष में आवाज उठाने वाले नवाब शेर खान के परिवार की आखिरी बेगम थीं. उन्होंने बेगम निशा के निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए कहा कि वह हमारे लिए हमेशा सम्मान के पात्र रहेंगी. विस अध्यक्ष ने परमात्मा के आगे अरदास की है कि वह दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में शाश्वत निवास प्रदान करें.
वहीं पंजाबभर से विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उनके आखिरी दीदार को मलेरकोटला पहुंचे और बेगम को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.