उत्तराखंड का जोशीमठ बनी मौत की वादी
उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath) इस समय एक बड़े खतरे से घिरा हुआ है और ये खतरा यहाँ की जमीन जहां पर सड़क, मकान, होटल बने हुए हैं वहां पर दरारें ( rifts in Joshimath) आ गई हैं जो लगातार बढ़ती जा रही है. जिसकी वजह से यहाँ के लोगों के साथ यहाँ पर आने वाले विजिटर्स के लिए ये जगह इस समय मौत की घाटी बन गयी है.
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इस वजह से आई जोशीमठ में दरारें
रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ की जमीन फटने की वजह से पीछे इलाके के लोग NTPC के विष्णुगाड-तपोवन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (Vishnugad-Tapovan Hydro Power Project) के लिए बन रही टनल को बताया जा रहा है. वहीं कहा जा रहा है कि जोशीमठ के कई इलाकों में सालों से पानी रिस रहा है लेकिन प्रशासन ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया. आज हालात ऐसे हो गए हैं कि पूरे जोशीमठ के जमीन में समाने का खतरा पैदा हो गया है. वहीं इस मामले के समाने आने के बाद NDRF और SDRF की टीम अलर्ट पर है.
दरारों से बढ़ी परेशानी
जोशीमठ की धरती पर आई इन दरारों की वजह से जोशीमठ में जमीन से पानी फूट रहा है. दरारों की वजह से घर झुक रहे हैं जिसकी वजह से यहाँ के लोग घरों को छोड़कर बाहर रह रहे हैं. वहीं अब तक 561 घरों में दरारें आ चुकी है इसलिए यहां रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया गया है.
अभी तक 38 परिवार हुए शिफ्ट
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami) जोशीमठ की धरती पर बिगड़े हुए इन हालात पर खुद नजर बनाए हुए हैं. व इसी के साथ जोशीमठ में अब तक 561 घरों में दरारें आ चुकी है. दो होटल लोगों के रहने लायक नहीं बचे हैं. 38 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. प्रशासन ने लोगों के रहने के लिए 70 कमरे, 7 हॉल और 1 ऑडिटोरियम की व्यवस्था की है.
पर्यटन पर पड़ा असर
जोशीमठ में भूधंसाव का असर पर्यटन व शीतकालीन यात्रा पर भी पड़ रहा है. शीतकाल के दौरान औली और जोशीमठ में रोजाना करीब दो हजार पर्यटक (Tourist) आते थे, लेकिन भूधंसाव के खतरे के कारण पर्यटकों की संख्या में 30 फीसद कमी आ गई है. इसी के साथ होटलों में एडवांस बुकिंग में भी कमी आई है. हालांकि इन दिनों औली में प्रतिदिन दो हजार से अधिक पर्यटक व तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं, लेकिन जोशीमठ में रुकने से सभी डर रहे हैं.
टेक्निकल टीम ने पेश की जाँच रिपोर्ट
वहीं जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण जानने गई एक्सपर्ट टीम की शुरूआती जांच में टेक्निकल टीम ने कहा पानी के निकासी की व्यवस्था ना होना जोशीमठ में भू-धंसाव और दरारों की एक बड़ी वजह है. सबसे पहले पानी की निकासी का प्रबंधन होगा. इसी के साथ टेक्निकल टीम ने कहा कि अलकनंदा नदी में हो रहा कटाव इसका एक बड़ा कारण है. बता दें कि आपदा प्रबंधन की टीम के साथ आईआईटी की एक टीम इसका मुआयना करेगी. इस टीम में आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआई, सीबीआरआई के वैज्ञानिक शामिल होंगे. तीन दिन तक जोशीमठ में भू-धंसाव की जांच की जाएगी.