Why did Ambedkar support UCC – बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता कहा जाता है क्योंकि बाबा साहेब ने भारत के संविधानको बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. भारत के संविधान के निर्माण बाबा साहेब ने जहाँ भारत के सविधान को जलाना चाहते थे तो वहीं बाबा साहेब संविधान को लेकर हुई बहस में Uniform Civil Code (UCC) के पक्ष में थे और संविधान की ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन डॉक्टर बीआर आंबेडकर ने संविधान सभा की बैठक में समान नागरिक संहिता के पक्ष में जोरदार दलीलें दी थीं. लेकिन इसके बावजूद ये लागू नहीं हुआ. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात कि जानकारी देने जा रहे हैं कि बाबा साहेब क्यों UCC के सपोर्ट में थे.
Also Read- हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबके नियम बदलेंगे, किस धर्म पर कितना होगा UCC का असर.
संविधान सभा में हुआ UCC का जिक्र
15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ और फिर देश में संविधान तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हुई. जहाँ 6 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का गठन किया गया था और निचली जाति में पैदा हुए और जाति-पाति का भेदभाव झेल चुके भीमराव आंबेडकर को संविधान के ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष चुने गए और उन्हें संविधान बनाने की जिम्मेदारी मिली और इसके बाद संविधान बनकर तैयार हुआ लेकिन सविधान को लागू करने से पहले इस पर चर्चा शुरू हुई और इस चर्चा में UCC का भी जिक्र हुआ जिसके पक्ष में बाबा साहेब भी थे.
बाबा साहबे ने किया UCC को सपोर्ट
संविधान की ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन होने के नाते डॉक्टर बीआर आंबेडकर ने संविधान सभा की बैठक में समान नागरिक संहिता के पक्ष में कई सारी बातें कही. एक रिपोर्ट के अनुसार, संविधान सभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपनाने को लेकर लंबी बहस हुई थी. वहीं इस बहस के दौरान मुस्लिम समुदाय ने यूसीसी को आपत्ति जताई तो वहीं तो वहीं नजीरुद्दीन अहमद सहित कई सदस्य इसके खिलाफ थे तो वहीं अंबेडकर विधानसभा बहस के दौरान, केएम मुंशी, अल्लादी कृष्णावामी और अंबेडकर ने यूसीसी का बचाव किया.
UCC को लेकर अम्बेडकर के क्या थे विचार
इस UCC को लेकर अल्लादी (Why did Ambedkar support UCC) का विचार था कि इससे लोगों के बीच मित्रता पैदा होगी और एकता की भावना भी पैदा होगी. मुंशी ने यूसीसी का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि राष्ट्र की सामाजिक साख को बनाए रखना महत्वपूर्ण है. तो वहीं संविधान सभा की बहस के दौरान अल्लादी के विचारों का समर्थन करते हुए अम्बेडकर ने कहा कि, “समान नागरिक संहिता के बारे में कुछ भी नया नहीं था. विवाह, विरासत के क्षेत्रों को छोड़कर देश में पहले से ही एक समान नागरिक संहिता मौजूद है – जो संविधान के मसौदे में समान नागरिक संहिता के मुख्य लक्ष्य हैं. इसी के साथ अम्बेडकर ने ये भी कहा कि यूसीसी की अनुपस्थिति सामाजिक सुधारों में सरकार के प्रयासों में बाधा उत्पन्न करेगी.
अम्बेडकर ने कहा वैकल्पिक होना चाहिए UCC
वहीं बाबा साहेब (Baba Saheb statement on UCC) ने ये भी कहा कि , “मुझे व्यक्तिगत रूप से समझ में नहीं आता कि धर्म को इतना विशाल, विस्तृत क्षेत्राधिकार क्यों दिया जाना चाहिए ताकि पूरे जीवन को कवर किया जा सके और विधायिका को उस क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका जा सके. आख़िर हमें यह आज़ादी किसलिए मिल रही है? हमें यह स्वतंत्रता अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिल रही है, जो असमानताओं, भेदभावों और अन्य चीजों से इतनी भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ टकराव करती है. इसलिए, किसी के लिए भी यह कल्पना करना बिल्कुल असंभव है कि पर्सनल लॉ को राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा जाएगा. इसी वजह से अम्बेडकर का यह भी मानना था कि यूसीसी वैकल्पिक होना चाहिए.
अम्बेडकर की वजह से अनुच्छेद 35 में शामिल हुआ UCC
जहाँ समान नागरिक संहिता को लेकर सदस्यों को डर था कि ये पर्सनल लॉ (Hindu Personal Law) के समानांतर चलेगा. वहीं कुछ लोग सोच रहे थे कि ये पर्सनल लॉ की जगह लेगा. साथ ये आशंका जताई गई कि इससे धर्म की स्वतंत्रता बाधित होगी. अम्बेडकर यूसीसी के समर्थक बन रहे और इस वजह से सभा में भारी विरोध के बावजूद अम्बेडकर के पक्ष में यूसीसी को अनुच्छेद 35 में शामिल किया गया था, हालांकि इसे संविधान के अनुच्छेद 44 में बदल दिया गया और UCC का मुद्दा खो गया. लेकिन एक बार फिर सेर फिर देश में UCC का लागू करने का मुद्दा छाया हुआ है और देश कि सत्ता पर काबिज मोदी सरकार इसे लागू करने पर जोर दे रही है.
जानिए क्या है UCC
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Why did Ambedkar support UCC) का मतलब है कि, भारत में रहने वाला हर नागरिक जो किसी भी धर्म, जाति के ताल्लुक रखता हो या किसी भी लिंग का हो UCC लागू होने के बाद इन सबके लिए एक समान कानून होगा. इसी के साथ देश में जब से ये सिविल कोड लागू होगा तब से विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम लागू हो जाएंगे.
Also Read- शादी से लेकर पूजा और रीति-रिवाज तक, सिख धर्म में बदल जाएंगे ये नियम.