घुसपैठ की कोशिश क्यों करता है चीन?
9 दिसम्बर को चीन ने एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करी है. वहीं भारत ने इस घुसपैठ का जवाब देते हुए चीन की इस कोशिश को नाकाम कर दिया. दरअसल, चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में स्थित यांगत्से के पास भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की, जिसका भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में जहां भारत के 6 सैनिक घायल हुए साथ ही चीन के दर्जनों से ज्यादा जवान घायल हो गए। वहीं ये पहली बार नहीं जब चीन ने ऐसी हरकत करी हो इससे पहले भी कई बार चीन घुसपैठ की कोशिश कर चुका है. वहीं इस बीच इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस बार की जानकारी देने जा रहे हैं कि चीन क्यों तवांग के जरिये घुसपैठ कर इस जगह पर पर कब्जा करना चाहता है.
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इस वजह से चीन करता है घुसपैठ की कोशिश
यांगत्से, तवांग से 35 किलोमीटर दूर नॉर्थ-ईस्ट में स्थित है। यांगत्से, सर्दी के दिनों में कई महीनों तक बर्फ से ढंका रहता है। यांगत्से ही वो जगह है, जहां से चीन पूरे तिब्बत पर नजर रख सकता है। साथ ही उसे LAC पर भी नजर रखने में उसे आसानी रहेगी।
अरुणाचल पर नजर रखना आसान
तवांग अरुणाचल प्रदेश में करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। तवांग वो जगह है, जहां से एलएसी के साथ ही पूरे अरुणाचल प्रदेश पर नजर रखी जा सकती है। चीन की नजरें 1962 की जंग के बाद से ही तवांग पर हैं। चीन बॉर्डर के नजदीक ही पिछले कई सालों से लगातार निर्माण कार्य कर रहा है.
LAC पार करने में होगी आसानी
चीन इस तवांग को अपने कब्जी में इसलिए लेना चाहता है क्योंकि भारत-चीन के बीच स्थित LAC को पार करने के दो सबसे मुख्य प्वाइंट में से तवांग भी एक है। तवांग चीन और भूटान के बॉर्डर के पास ही है। यहां से चीन अरुणाचल प्रदेश के अलावा पूरे तिब्बत की आसानी से जासूसी कर सकता है।
दलाई लामा की वजह से तवांग पर कब्ज़ा
वहीं तवांग ही वो जगह है, जहां तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा सबसे पहले पहुंचे थे। अप्रैल 2017 में जब दलाई लामा कई साल के बाद तवांग पहुंचे थे तो चीन भड़क गया था। चीन दलाई लामा को अलगाववादी नेता मानता है। 1959 में तिब्बत से निर्वासित होने के बाद दलाईलामा ने तवांग में ही कुछ दिन गुजारे थे। ऐसे में तवांग पर कब्जा करना चीन के लिए एक तरह से वर्चस्व की लड़ाई भी है।
तिब्बत पर कब्जा करने की है साजिश
जब जुलाई, 2022 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुपचुप तरीके से तवांग के पास स्थित न्यिंगची पहुंचे थे। जिनपिंग चीन के पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने न्यिंगची का दौरा किया था। न्यिंगची, तिब्बत का शहर और अरुणाचल प्रदेश के बेहद करीब है। ऐस में चीन की नजर इसलिए भी तवांग पर रहती है, क्योंकि इस पर कब्जा करके वो आराम से तिब्बत को हथिया सकता है।