जानिए क्या है गैंगस्टर कानून जिसके तहत मुख्तार अंसारी को हुई 10 साल की सजा

जानिए क्या है गैंगस्टर कानून  जिसके तहत मुख्तार अंसारी को हुई 10 साल की सजा

मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 साल की सजा

गुरुवार को मऊ (Mau) के पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 साल की सजा सुनाई गयी है और ये सजा गुरुवार को गाजीपुर (Ghazipur) की एमपी-एमएलए कोर्ट (MP MLA Court) ने सुनाई है. जिसके बाद 10 साल तक वो जेल में रहेंगे. 

Also Read- सीमाओं पर चीन की बढ़ी सक्रियता, विपक्ष की मांग प्रधानमंत्री को देनी चाहिए सफाई.

इस मामले में हुई सजा 

जानकारी के अनुसार, गुरुवार को कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act) में मुख्तार अंसारी और भीम सिंह को दोषी सिद्ध होने के बाद 10 साल की सजा सुनाई है. गाजीपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट दोपहर करीब ढाई बजे अपना फैसला सुनाया है. हालांकि फैसले के वक्त कोर्ट में मुख्तार अंसारी मौजूद नहीं रहे. मुख्तार अंसारी को ईडी की कस्टडी में होने और सुरक्षा कारणों की वजह से गाजीपुर कोर्ट नहीं भेजा गया. लिहाजा प्रयागराज के ईडी दफ्तर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के इंतजाम किए गए थे.

कब दर्ज हुआ था ये केस

1996 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर का ये मुकदमा दर्ज हुआ था. पांच मुकदमों के आधार पर मुख्तार के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी. कांग्रेस नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय मर्डर केस और एडिशनल एसपी पर हुए जानलेवा हमले भी इन पांच मुकदमों में शामिल हैं. 

जानिए क्या है गैंगस्टर कानून?

उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एंड एंटी सोशल एक्टीविटिज एक्ट साल 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की ओर से लाया गया था. इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य उस वक्त जाने माने 2500 जाने माने गैंगस्टर्स को सलाखों के पीछे डालना था ताकि राज्य में शांति बनाई जा सके और असामाजिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके. इस एक्ट की धारा 2 (बी) के अनुसार, गैंग का मतलब ऐसे लोगों के समूह से है, जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हैं और जानबूझकर सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालना चाहते हैं.

क्या है सजा का प्रवधान 

इस एक्ट में जो बिना समूह इस तरह की गतिविधियों में शामिल रहता है, उसे गैंगस्टर कहा गया है. इस एक्ट में दोषी पाए जाने वाले गैंगस्टर को 10 साल तक की सजा और कम से कम 5000 रुपये के जुर्माने की सजा हो सकती है. इसके साथ ही हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी अपराधी ने पहली बार भी अपराध किया है तो भी उस पर इसके तहत कार्रवाई की जा सकती है. ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी पर पहले से मुकदमे दर्ज हो. 

Also Read- छपरा की जहरीली शराब कैसे पहुंची निर्दोष के पास, बिहार की राजनीति में आया भूचाल.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here