
Joshimath Sinking: भारत के राज्य उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath Uttarakhand) शहर की धरती फट रही है जिसकी वजह से यहां पर रहने वाले लोगों की जान पर बड़ा खतरा बना हुआ है. इस जगह के लगभग 600 घरों और अन्य संरचनाओं में मिट्टी के खिसकने के कारण दरारें (joshimath cracks) आ गई हैं। जिसके बाद यहाँ के लोगों घरों में न रह कर बाहर रह रहे हैं साथ ही कई लोगों को सरकार (Government of Uttarakhand) ने नयी जगह पर शिफ्ट कर दिया है. वहीं इस बीच सवाल है कि जोशीमठ की तबाही (devastation joshimath) का जिम्मेदार कौन है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ में एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट (NTPC Power Project tunnel) के टनल में निर्माणकार्य चल रहा है और कहा जा रहा है कि इस टनल के कारण जोशीमठ में ऐसी घटनाएं हो रही है. वहीं कहा ये भी जा रहा है कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास (Helang Marwari Bypass) का निर्माण शुरू होने के बाद जोशीमठ की जमीन धंसने की घटना शुरू हो गई थ और इसे भी जोशीमठ की तबाही का जिम्मेदार बताया जा रहा है. वहीं कहा जा रहा है कि जोशीमठ के कई इलाकों में सालों से पानी रिस रहा है लेकिन प्रशासन ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया.
एक रिपोर्ट के अनुसार, जब चमोली यूपी का हिस्सा हुआ था तब जोशीमठ में 70 के दशक में यहां पर सबसे भीषण तबाही आई थी. वहीं इस तबाही का कारण बेलाकुचि बाढ़ (Belakuchi flood) थी. जिसके बाद से लगातार यहां पर भू-धंसाव की घटनाएं सामने आई. वहीं इस घटना के बाद गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा ने एक आयोग का गठन किया. इस ही मिश्रा आयोग कहा गया. इसमें भू-वैज्ञानिक, इंजीनियर, प्रसाशन के कई अधिकारियों को शामिल किया गया. एक साल के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी.
इस मिश्रा आयोग की रिपोर्ट ने 1976 में कहा था कि जोशीमठ की जड़ पर छेड़खानी करना यहाँ के लिए खतरा साबित होगा. इसी के साथ इस रिपोर्ट में जोशीमठ के निचे की जड़ से जुड़ी चट्टानों, पत्थरों को बिल्कुल भी न छेड़ने के लिए कहा गया था. वहीं यहां हो रहे निर्माण को भी सीमित दायरे में समेटने की गुजारिश की गई थी.
वहीं इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि जोशीमठ एक रेतीली चट्टान पर स्थित है. जोशीमठ की तलहटी में कोई भी बड़ा काम नहीं किया जा सकता. ब्लास्ट, खनन सभी बातों का इस रिपोर्ट में जिक्र था. बताया गया था कि बड़े-बड़े निर्माण या खनन न किया जाएं और अलकनंदा नदी किनारे सुरक्षा वॉल बनाई जाए, यहां बहने वाले नालों को सुरक्षित किया जाए लेकिन रिपोर्ट को सरकार ने दरकिनार कर दिया, जिसका नतीजा जोशीमठ में धरती फट गयी है और यहां घरों में दरारे आ गयी है.
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